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महाराष्ट्र चुनाव को लेकर राहुल गांधी का फिर से बीजेपी पर हमला, जीत को बताया "मैच फिक्सिंग"

द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में राहुल ने कहा कि वो छोटे पैमाने की धोखाधड़ी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि ये industrial-scale rigging (औद्योगिक धांधली) है।

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Shailendra Gautam
RAHUL GANDHI

RAHUL GANDHI Photograph: (x)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में एनडीए (खासकर बीजेपी) ने शानदार जीत हासिल की थी। जबकि उसे कुछ महीने पहले लोकसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली महाविकास अघाड़ी असेंबली चुनाव में औंधे मुंह गिर पड़ी थी। राहुल गांधी ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि उसने नतीजों को मनमाफिक तरीके से बदला था। राहुल ने चुनाव आयोग को भी निशाने पर लिया था। अब ये मसला फिर से एक बार सुर्खियों में है। द इंडियन एक्सप्रेस में लिखे एक लेख में राहुल ने महाराष्ट्र के नतीजों को "मैच फिक्सिंग" बताया है। 

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2024 असेंबली चुनाव में बीजेपी ने अकेले जीती थीं 132 सीटें

ध्यान रहे कि भाजपा, एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के महायुति गठबंधन ने 288 विधानसभा सीटों में से 235 सीटें हासिल की थी। इनमें से अकेले भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जो राज्य के इतिहास में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। द इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखे एक लेख में राहुल गांधी ने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को विफल करने के लिए पांच-चरण वाले माडल का इस्तेमाल किया, जिससे बीजेपी ने 132 सीटें जीत लीं। इसके विपरीत कांग्रेस, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी (एसपी) को मिलाकर बनी विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) मात्र 50 सीटों पर सिमट गई। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ कांग्रेस के लिए असेंबली चुनावों के परिणाम एक बड़ा झटका थे। 

राहुल ने कहा- ये एक औद्योगिक धांधली

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राहुल गांधी ने अपने लेख के कटआउट के साथ एक पोस्ट में लिखा- चरण 1: चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए पैनल में हेराफेरी, चरण 2: फर्जी मतदाताओं को मतदाता सूची में जोड़ा, चरण 3: मतदान प्रतिशत बढ़ाया, चरण 4: फर्जी मतदान को ठीक उसी जगह लक्षित किया जहां भाजपा को जीतना है, चरण 5: सबूत छिपाए गए। राहुल ने लिखा कि वो छोटे पैमाने की धोखाधड़ी की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि ये industrial-scale rigging (औद्योगिक धांधली) है। 

चुनाव आयुक्तों के चयन की समिति से सीजेआई को क्यों हटाया

कांग्रेस नेता का पहला तर्क 2023 में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में बदलावों को लेकर है। इसमें सीजेआई की जगह चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए जिम्मेदार समिति में एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। उनका तर्क है कि इससे संतुलन निर्णायक रूप से सरकार के पक्ष में बदल गया। चयन समिति में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को रखने का निर्णय smell test में पास नहीं होता। खुद से पूछें कि ऐसा क्यों किया गया। तीन सदस्यीय कमेटी में सीजेआई एक तटस्थ वोट थे। अगर वो होते तो सरकार चुनाव आयोग को लेकर मनमाना फैसला न ले पाती। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा है कि उसके कामकाज पर कोई दबाव नहीं है और वह संवैधानिक कानूनों का सख्ती से पालन करता है। लेकिन राहुल ने लेख में उसके दावे का माखौल उड़ाया। 

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पांच साल में बढ़े 31 लाख तो पांच महीनों में बढ़ गए 41 लाख वोटर

राहुल गांधी के अनुसार महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 2019 के विधानसभा चुनावों में 8.98 करोड़ से बढ़कर 2024 के लोकसभा चुनावों में 9.29 करोड़ हो गई। आंकड़े बताते हैं कि पांच सालों के दौरान 31 लाख वोटरों की वृद्धि हुई। लेकिन नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अगले पांच महीनों में यह आंकड़ा  41 लाख बढ़कर 9.70 करोड़ हो गया। राहुल का सवाल था कि ये सारी कारस्तानी चुनाव आयोग के साथ मिलकर बीजेपी ने अंजाम दी। महाराष्ट्र में वोटरों की तादाद बढ़ने से साफ है कि मनमाफिक तरीके से नए वोटर जुड़वा लिए गए। चुनाव आयोग को इस पर अंकुश लगाना था लेकिन वो बीजेपी की कठपुतली की तरह से काम करता रहा। जिसके चलते 2024 के असेंबली चुनाव में बीजेपी 132 सीटें जीतने में कामयाब रही।  

बीजेपी बोली- फिर से पुराने ढर्रे पर लौट रहे हैं राहुल गांधी

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उधर भाजपा ने राहुल गांधी के दावों को अपमानजनक करार दिया है। भाजपा के तुहिन सिन्हा ने कहा कि राहुल गांधी देश की संस्थाओं को बदनाम करने की अपनी शर्मनाक हरकतों पर वापस आ गए हैं। चुनाव में धांधली के मसले पर चुनाव आयोग ने बार-बार स्पष्टीकरण दिया है। सिन्हा ने कहा कि यह सामान्य प्रक्रिया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों से पहले भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा राहुल गांधी ने खुद अलग-अलग समय पर अलग-अलग आंकड़ों का हवाला दिया है। चुनाव आयोग ने इस वृद्धि का श्रेय युवाओं की अधिक भागीदारी और नए मतदाताओं को नामांकित करने के लिए शुरू कराए गए अभियान को दिया। हालांकि राहुल गांधी ने इस स्पष्टीकरण को खारिज कर दिया।

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