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संघ नेता के बयान पर राहुल गांधी का तगड़ा प्रहार, बोले- 'संविधान से इन्हें चिढ़ है

आरएसएस के संविधान की प्रस्तावना से दो शब्दों समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष को हटाने की मांग पर कांग्रेस बुरी तरह से भड़क गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा-आरएसएस को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए।

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Mukesh Pandit
RAHUL GANDHI BHOPAL NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महासचिव दत्तात्रेय होसबोले की ओर से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी को लेकर दिए बयान से सियासत का पारा एकदम हाई हो गया है। संघ, नेता दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना से दो शब्दों समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष को हटा देना चाहिए। इस पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जबरदस्त हमला बोला और कहा कि इन्हें संविधान से नफरत है, चिढ़ है।

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संघ पर बोला राहुल ने हमला

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नकाब  फिर से उतर गया। उन्होंने कहा, "संविधान इन्हें नापसंद है, क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है। भाजपा-आरएसएस को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।" कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, "आरएसएस ये सपना देखना बंद करे. हम उन्हें कभी सफल नहीं होने देंगे. हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा।

आपातकाल के दौरान जोड़े गए दोनों शब्द

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उल्लेखनीय है कि आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ‘बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।" उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। 

सवाल किया, क्या समाजवाद के विचार शाश्वत हैं

संघ महासचिव होसबाले ने कहा, इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए। होसबोले ने कहा, "प्रस्तावना शाश्वत है। क्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाश्वत हैं?" वरिष्ठ आरएसएस पदाधिकारी ने दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करने का सुझाव ऐसे समय दिया जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौर की ज्यादतियों के लिए निशाना साधा और पार्टी से माफी की मांग की। 

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बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई थी

संघ नेता ने  होसबाले ने कहा कि आपातकाल के दिनों में बड़े पैमाने पर जबरन नसबंदी भी की गई। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने ऐसी चीजें कीं, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्होंने अभी तक माफी नहीं मांगी है...वे माफी मांगें।’ कांग्रेस पर हमला करते हुए होसबाले ने कहा, ‘आपके पूर्वजों ने ऐसा किया... आपको इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।’ 

 

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