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"कांवड़ियों को 'गुंडा' कहने पर घिरे सपा विधायक! इकबाल महमूद के बयान से मचा बवाल, जानिए - सच्चाई"

सपा विधायक इकबाल महमूद के "कांवड़ यात्रा में गुंडे हैं" बयान से सियासी हलचल तेज। शिवभक्तों और हिंदूवादी संगठनों में गुस्सा। क्या यह आस्था पर हमला है? जानें पूरा विवाद और प्रतिक्रियाएं।

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Ajit Kumar Pandey

"कांवड़ियों को 'गुंडा' कहने पर घिरे सपा विधायक! इकबाल महमूद के बयान से मचा बवाल, जानिए सच्चाई" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांवड़ यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी के संभल से विधायक इकबाल महमूद का एक बयान इन दिनों सुर्खियों में है, जिसमें उन्होंने शिवभक्तों को गुंडा बताया है। इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। क्या वाकई कांवड़ यात्रा आस्था का प्रतीक न होकर हुड़दंग का अड्डा बन गई है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी है? आइए जानते हैं इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी।

सावन का महीना आते ही देशभर में कांवड़ यात्रा की धूम मच जाती है। लाखों शिवभक्त गेरुआ वस्त्र धारण कर लंबी पैदल यात्रा करते हुए पवित्र नदियों से जल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की गहरी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। लेकिन, इस बार कांवड़ यात्रा एक अलग ही वजह से चर्चा में है। समाजवादी पार्टी के संभल से विधायक इकबाल महमूद ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है। उन्होंने कहा है, "कांवड़ यात्रा में शिवभक्तों से ज्यादा गुंडे हैं।"

समाजवादी पार्टी के विधायक इकबाल महमूद के बयान से गरमाई सियासत

इकबाल महमूद के इस बयान के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में हंगामा मचा हुआ है। भाजपा समेत कई हिंदूवादी संगठनों ने उनके बयान की कड़ी निंदा की है। सोशल मीडिया पर भी यह बयान आग की तरह फैल गया है और लोग इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोग इसे शिवभक्तों का अपमान बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था से जोड़कर देख रहे हैं। इस बयान ने एक बार फिर धार्मिक यात्राओं पर राजनीतिकरण की बहस छेड़ दी है।

आखिर क्या है विधायक की नाराजगी की वजह?

सवाल उठता है कि विधायक ने ऐसा बयान क्यों दिया? क्या इसके पीछे कोई ठोस वजह है या यह सिर्फ उनका निजी विचार है? बताया जा रहा है कि सपा विधायक इकबाल महमूद ने यह टिप्पणी यात्रा के दौरान होने वाली कुछ अप्रिय घटनाओं और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों के संदर्भ में की है। कई बार यात्रा के दौरान कुछ तत्वों द्वारा हुड़दंग मचाने, तेज संगीत बजाने और नियमों का उल्लंघन करने की शिकायतें आती रही हैं। संभवतः विधायक ने इन्हीं घटनाओं को आधार बनाकर यह बयान दिया है।

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अप्रिय घटनाएं: यात्रा के दौरान कई बार छोटी-मोटी झड़पें और विवाद देखने को मिलते हैं।

कानून-व्यवस्था: सड़कों पर अत्यधिक भीड़ और तेज आवाज में डीजे बजाने से आम जनता को परेशानी होती है।

नियमों का उल्लंघन: कुछ जगहों पर यातायात नियमों का उल्लंघन भी देखा जाता है।

शिवभक्तों का गुस्सा और संगठनों की प्रतिक्रिया

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सपा विधायक इकबाल महमूद के बयान से शिवभक्तों में जबरदस्त गुस्सा है। उनका कहना है कि यह बयान करोड़ों शिवभक्तों की आस्था पर चोट है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए विधायक से माफी मांगने की मांग की है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताते हुए विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है। उनका तर्क है कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से पूरी कांवड़ यात्रा को बदनाम करना ठीक नहीं है। ज्यादातर शिवभक्त अनुशासन और श्रद्धा के साथ ही यात्रा करते हैं।

क्या कहते हैं अन्य राजनेता और धर्म गुरु?

इस विवाद पर अन्य राजनेताओं और धर्म गुरुओं की भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। भाजपा नेताओं ने इस बयान को सपा की हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रमाण बताया है। वहीं, कुछ धर्म गुरुओं ने कहा है कि यात्रा में अनुशासन बनाए रखना जरूरी है, लेकिन किसी भी धार्मिक यात्रा को बदनाम करना उचित नहीं है। उनका मानना है कि सरकार और प्रशासन को ऐसे तत्वों पर लगाम लगानी चाहिए जो यात्रा की पवित्रता को भंग करते हैं, न कि पूरी यात्रा पर सवाल उठाना चाहिए। यह बयान आगामी चुनावों में भी एक अहम मुद्दा बन सकता है।

आस्था का सम्मान और कानून का पालन जरूरी

कांवड़ यात्रा भारतीय संस्कृति और धार्मिक सहिष्णुता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। इसमें कोई शक नहीं कि किसी भी बड़ी भीड़ में कुछ असामाजिक तत्व हो सकते हैं, लेकिन उनकी वजह से पूरी यात्रा को 'गुंडों की यात्रा' कहना गलत है। प्रशासन को चाहिए कि वह यात्रा के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुख्ता इंतजाम करे और असामाजिक तत्वों पर नकेल कसे। साथ ही, राजनेताओं को भी ऐसे बयानों से बचना चाहिए जो किसी धर्म या समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। आस्था का सम्मान और कानून का पालन दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है कि ऐसी पवित्र यात्राएं शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से संपन्न हों।

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