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अकाली दल को आई पुराने नेताओं-कार्यकर्ताओं की याद, सुखबीर ने कहा-अब लौट आओ

सुखबीर सिंह बादल ने सभी पुराने अकाली नेताओं और कार्यकर्ताओं से पार्टी में लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के एकता के आह्वान के बाद अब समय आ गया है कि सभी मतभेद भुलाकर पंथ और पंजाब के हित में मिलकर काम किया जाए।

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Mukesh Pandit
Sukhbir singh badal

चंडीगढ़, वाईबीएनडेस्क। अपने अब तक के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे शिरोमणी अकाली दल को अपने पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं की याद आई है। अकाली दल लंबे समय से पंजाब की सत्ता से बाहर है। अब शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सभी पुराने अकाली नेताओं और कार्यकर्ताओं से पार्टी में लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के एकता के आह्वान के बाद अब समय आ गया है कि सभी मतभेद भुलाकर पंथ और पंजाब के हित में मिलकर काम किया जाए।

'मतभेद भूलकर एकजुट होने का समय'

अकालीदल  प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने यह अपील 5 सिख उच्च पुजारियों (सिंह साहिबान) के उस निर्देश के एक दिन बाद आई है, जिसमें सभी पंथिक और अकाली गुटों को एकजुट होकर पंजाब की जमीन, संसाधनों, सिख पहचान और धार्मिक प्रतीकों की रक्षा के लिए साथ आने को कहा गया था। सुखबीर बादल ने साफ कहा, "मैं तख्त के सामने सिर झुकाता हूं। हर सिख का फर्ज है कि वह सिंह साहिबान के निर्देशों का पालन करे। जो भी साथी नाराज होकर या अलग गुट बनाकर चले गए हैं, मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं कि वे अपनी जड़ों में लौट आएं। अगर मैंने कभी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, तो इस मुश्किल समय में मुझे माफ करें।"

क्या कहा था पंथ के सिंह साहिबान ने

5 सिख उच्च पुजारियों (सिंह साहिबान) ने निर्देशों में साफ कहा गया था कि खालसा पंथ के बड़े हित के लिए हर गुट को एक साथ आना चाहिए। 2 दिसंबर, 2024 को जारी प्रस्ताव में यह भी चेतावनी दी गई थी कि जो समूह इन निर्देशों का पालन नहीं करेंगे, वे अपनी राजनीतिक राह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन वे सिख संगत को गुमराह न करें और अकाल तख्त का संरक्षण होने का झूठा दावा न करें।

पार्टी में फूट से कमजोर हुआ अकाली दल

पिछले कुछ सालों में अकाली दल के कई वरिष्ठ नेता और पुराने साथी नाराज होकर अलग हो गए या छोटे-छोटे गुट बना लिए। इस वजह से पार्टी का जनाधार कमजोर हुआ और कई चुनावी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

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सुखबीर बादल का मानना है कि अगर सभी पुराने साथी वापस लौट आते हैं, तो पार्टी फिर से पंजाब की राजनीति में मजबूत भूमिका निभा सकती है। बादल ने कहा, "यह वक्त व्यक्तिगत नाराजगियों का नहीं, बल्कि पंथ और पंजाब की भलाई के लिए एकजुट होकर काम करने का है। अगर हम सब मिलकर चलें, तो किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।"

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