/young-bharat-news/media/media_files/2025/08/20/thakery-brothers-2025-08-20-10-33-16.jpg)
ठाकरे ब्रदर्स को BEST सोसाइटी चुनाव में बड़ा झटका, साथ आने के बावजूद नहीं जीत पाए एक भी सीट | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । मुंबई की मशहूर BEST बस सोसाइटी के चुनाव में ठाकरे भाई (उद्धव और राज) को करारा झटका लगा है। दोनों के एक साथ आने के बावजूद वे एक भी सीट नहीं जीत पाए। यह परिणाम महाराष्ट्र की राजनीति में कई सवाल खड़े कर रहा है खासकर तब जब BMC चुनाव सिर पर हैं। मुंबई की सड़कों पर दौड़ने वाली लाल रंग की BEST बसें सिर्फ परिवहन का साधन नहीं, बल्कि मुंबई की पहचान हैं।
इन्हीं बसों को चलाने वाले कर्मचारियों की सहकारी सोसाइटी के चुनाव में इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे महाराष्ट्र की राजनीति को चौंका दिया। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) यानी उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने के बावजूद उनके उम्मीदवारों को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। यह हार सिर्फ एक चुनाव की नहीं, बल्कि आने वाले बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनाव के लिए एक बड़ा संकेत मानी जा रही है।
क्यों खास था यह चुनाव?
यह पहली बार था जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के पैनल ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। दोनों भाई सालों से एक-दूसरे से अलग हैं और उनकी पार्टियों के बीच भी अक्सर टकराव होता रहता है। ऐसे में BEST चुनाव में उनका एक साथ आना एक बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा था। इस दांव का मकसद था महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNSS) और शिवसेना (UBT) के वोट बैंक को जोड़कर एक बड़ी जीत हासिल करना। हालांकि, ऐसा हो नहीं पाया।
शिवसेना (UBT) और मनसे: दोनों ने 'शशांक राव पैनल' के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ा।
उम्मीदवारों की हार: उनके पैनल के सभी 15 उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा।
एकतरफा जीत: दूसरी तरफ, शशांक राव के नेतृत्व वाले पैनल ने सभी 15 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की।
आखिर कैसे हुआ यह ‘खेला’?
इस हार के पीछे कई कारण माने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे भाइयों की एकजुटता सिर्फ कागज पर थी, जमीनी स्तर पर नहीं। BEST कर्मचारियों के बीच शशांक राव की पकड़ बहुत मजबूत है, जो पिछले कई सालों से उनके हक़ के लिए लड़ रहे हैं।
दूसरी तरफ, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं के बीच आपसी तालमेल की कमी भी साफ नजर आई। जहां मनसे के कार्यकर्ता राज ठाकरे के लिए काम करते हैं, वहीं शिवसेना (UBT) के कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे के लिए। इन दोनों के बीच पुरानी कटुता खत्म नहीं हुई थी, जिसका सीधा फायदा शशांक राव को मिला।
यह चुनाव यह भी साबित करता है कि सहकारी समितियों के चुनाव अक्सर राजनीतिक विचारधारा से ज्यादा उम्मीदवार के व्यक्तिगत प्रभाव पर निर्भर करते हैं। शशांक राव ने अपनी साख और वर्षों की मेहनत से यह साबित कर दिया कि वे BEST कर्मचारियों के सच्चे नेता हैं।
BMC चुनाव पर क्या होगा असर?
BEST सोसाइटी चुनाव के नतीजे सीधे तौर पर BMC चुनाव की दिशा तय कर सकते हैं।
कमजोर वोट बैंक: इस हार से यह साफ हो गया है कि मुंबई में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का संयुक्त वोट बैंक उतना मजबूत नहीं है जितना माना जा रहा था।
बीजेपी-शिंदे गुट का फायदा: इस हार से बीजेपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को फायदा हो सकता है। वे यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि ठाकरे भाई अब अपनी पुरानी पकड़ खो चुके हैं।
शशांक राव का बढ़ता कद: शशांक राव अब एक ऐसे नेता के रूप में उभर रहे हैं, जो अकेले दम पर ठाकरे भाइयों को हरा सकते हैं। भविष्य में वे BMC चुनाव में भी एक बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं।
इस नतीजे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दोनों के लिए चिंता बढ़ा दी है। उन्हें अब BMC चुनाव से पहले अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा। क्या यह सिर्फ एक झटका है, या फिर यह मुंबई की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत है? इसका जवाब आने वाले समय में ही मिलेगा।
BEST Election 2025 | Thackeray Brothers Defeat | Shashank Rao Victory | BMC Election 2025