नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः बारामती में मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव में अजीत पवार की एंट्री और शरद पवार के पलटवार ने महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है। एनसीपी (एसपी) ने एक अजित को रोकने के लिए कमर कस ली है। 1984 के बाद पहली बार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार सहकारी चीनी मिल चुनाव की दौड़ में शामिल हुए हैं। बारामती में मालेगांव सहकारी चीनी मिल चुनाव में वो 90 उम्मीदवारों में से एक हैं। यह चुनाव 22 जून को होने वाला है और मतगणना अगले दिन होगी। चीनी मिल में पवार की आखिरी चुनावी भागीदारी चार दशक पहले हुई थी,जब वो छत्रपति सहकारी चीनी मिल के बोर्ड के लिए चुने गए थे। चुनाव में उनकी भागीदारी इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षण है, जहां चीनी सहकारी समितियां स्थानीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
नीलकंठेश्वर पैनल के उम्मीदवार हैं अजित पवार
अजित पवार नीलकंठेश्वर पैनल के उम्मीदवार हैं, जो वर्तमान में चीनी मिल में सत्ता रखता है। उम्मीदवार पार्टी के टिकट पर नहीं बल्कि विभिन्न पैनलों के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं। नीलकंठेश्वर पैनल और सहकार बचाव पैनल के अलावा, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) ने बलिराजा सहकार बचाव पैनल बनाकर मैदान में प्रवेश किया है, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। शरद पवार सीधे तौर पर मैदान में नहीं हैं। बलिराजा सहकार बचाव पैनल ने 20 उम्मीदवार और नीलकंठेश्वर पैनल ने 21 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। एनसीपी में 2023 के विभाजन से पहले, चीनी मिल के बोर्ड में पवार परिवार का प्रतिनिधित्व केवल एक पैनल (नीलकंठेश्वर) करता था।
शरद पवार बोले- अजित के रुख के चलते हमें उतरना पड़ा
शरद पवार ने कहा कि अगर एनसीपी (एसपी) के लोगों को अजित पवार ने साथ लिया गया होता तो उनकी पार्टी को चुनावों के लिए प्रतिद्वंद्वी पैनल बनाने की कोई जरूरत नहीं होती। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज भी हम ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहते। हालांकि। पार्टी को परिस्थितियों के कारण यह रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन जो बीत गई सो बीत गई। शरद पवार ने कहा कि वह इस असहमति को मुद्दे के रूप में नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा कि यह इस चुनाव तक सीमित है, जिसमें केवल 19 हजार मतदाता शामिल हैं। शरद पवार ने चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को प्रलोभनों के प्रति आगाह किया।
सहकारी समितियों में है पैसे का अंबार
खास बात है कि महाराष्ट्र में चीनी मिल काफी अहमियत रखती हैं। चाचा शरद पवार से अलग होने के बाद अजित अपना कद बढ़ाने में लगे हैं। उनको पता है कि इसके लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत पड़ेगी और बारामती की चीनी मिलों में उनका दखल रहा तो ये जरूरत काफी हद तक पूरी हो सकती है। यही वजह है कि चीनी मिल का चुनाव काफी हाट हो गया है। शरद पवार भी इसी वजह से चुनावी मैदान में उतर गए हैं।
Ajit Pawar, Malegaon Cooperative Sugar Mill election, Baramati, Sharad Pawar, NCP (SP), Maharashtra Deputy Chief Minister