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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः ओडिशा में सत्तारूढ़ भाजपा ने मनमोहन सामल को एक और कार्यकाल के लिए सूबाई अध्यक्ष के रूप में बरकरार रखने का फैसला किया है। इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल करने वाले एकमात्र नेता सामल ही थे। 65 वर्षीय सामल का ओडिशा भाजपा प्रमुख के रूप में निर्विरोध चुना जाना तय है। हालांकि इसकी घोषणा मंगलवार को पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक संजय जायसवाल करेंगे।
सामल को फिर से बनाया जा रहा ओडिशा का बीजेपी अध्यक्ष
भुवनेश्वर में पार्टी मुख्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में उनकी उम्मीदवारी पर सर्वसम्मति से फैसला किया गया। फिर उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया। सूत्रों ने कहा कि सामल को उनकी राजनीतिक सूझबूझ के लिए एक और कार्यकाल के लिए ओडिशा पार्टी इकाई का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है। उनकी वजह से ही पार्टी को 2024 के विधानसभा चुनावों में पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल करने में मदद मिली। भाजपा ने राज्य की 147 सीटों में से 78 सीटें जीतीं, जबकि बीजद ने 51 सीटें जीतीं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में भी जीत हासिल की। तब बीजेपी को 21 सीटों में से 20 सीटों पर जीत मिली थी।
मोदी चाहते थे पटनायक का साथ पर सामल अड़ गए
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने 2024 के चुनावों के लिए बीजद के साथ गठबंधन करने का लगभग फैसला कर लिया था, लेकिन सामल एकमात्र पार्टी नेता थे जिन्होंने न केवल गठबंधन के प्रस्ताव का विरोध किया, बल्कि नेतृत्व को अकेले लड़ने के लिए भी राजी किया। सामल एक ऐसे नेता के रूप में उभरे, जो जनता की भावनाओं को समझ सकते थे और तत्कालीन नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजद सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी को भांप सकते थे। 2000 के बाद से बीजद की लगातार पांच सरकारें बनी थीं। पार्टी नेता ने कहा कि सामल ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं को बीजद के साथ गठबंधन न करने और आक्रामक अभियान के साथ अपने दम पर चुनाव लड़ने के लिए राजी किया। केंद्रीय नेतृत्व को उनके प्रस्ताव से सहमत होना पड़ा। इससे पार्टी को बीजद सरकार को हटाने में मदद मिली, जिससे ओडिशा में पहली भाजपा सरकार का रास्ता साफ हो गया।
संघ से निकले हैं सामल, इसी वजह से बने सूबाई अध्यक्ष
सामल 1970 के दशक में अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी में काम किया था। माना जाता है कि राज्य अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति को भी संघ ने मंजूरी दी थी। उन्होंने 1999-2004 के दौरान दो कार्यकालों के लिए राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में भी कार्य किया था।
बीजेपी को जितवा दिया पर खुद 2014 से हार रहे चुनाव
सामल ओबीसी से आते हैं। उनको अप्रैल 2000 में भाजपा ने राज्यसभा के लिए नामित किया था। 2004 में भद्रक के धामनगर विधानसभा क्षेत्र से ओडिशा विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्हें सांसदी छोड़नी पड़ी। तत्कालीन बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में सामल ने 2004 से 2008 तक राजस्व और खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण जैसे प्रमुख विभागों को संभाला था। 2009 में बीजद ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया। धामनगर को एससी के लिए आरक्षित किए जाने के बाद सामल ने अपना निर्वाचन क्षेत्र पड़ोसी चंदबली में स्थानांतरित कर दिया था। 2014 के चुनावों के बाद से वह अपनी नई सीट से कोई भी चुनाव नहीं जीत पाए। 2024 के चुनावों में भी वह बीजेडी उम्मीदवार से लगभग 19 सौ वोटों से हार गए।
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