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"चैट लीक स्कैंडल भतीजे से तकरार, क्या ममता खो रही हैं पश्चिम बंगाल पर पकड़?"

ममता बनर्जी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, भतीजे अभिषेक से विवाद, SSC घोटाले में शिक्षकों की नौकरी रद्द और मुर्शिदाबाद दंगे उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

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Ajit Kumar Pandey
MAMTA BANARJI TRENDING NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । ममता बनर्जी के लिए 2025 चुनौतियों का साल बन गया है। भतीजे अभिषेक बनर्जी से तकरार, SSC घोटाले में 25,000 शिक्षकों की नौकरी रद्द, TMC सांसदों के बीच झगड़े और लीक हुई चैट, और अब मुर्शिदाबाद दंगे ने उनके नेतृत्व पर सवाल उठा दिए हैं। क्या ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल और अपनी पार्टी पर पकड़ खो रही हैं? क्या वे 2026 के विधानसभा चुनाव में इस तूफान को पार कर पाएंगी? आइए, इस स्टोरी में विस्तार से समझते हैं...

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मुर्शिदाबाद दंगों में ममता बनर्जी पर सवाल क्यों उठ रहे हैं?

mamta banerjee | west Bengal : मुर्शिदाबाद में हाल ही में वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन दंगों में बदल गए। 4 अप्रैल 2025 को संसद द्वारा पारित और राष्ट्रपति द्वारा मंजूर इस कानून का कई जगह विरोध हुआ, लेकिन मुर्शिदाबाद में स्थिति बेकाबू हो गई।

8 अप्रैल: प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की दो जीपों में आग लगा दी। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

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10 अप्रैल: हिंसा फिर भड़की। भीड़ ने दुकानों और वाहनों को निशाना बनाया। इसमें तीन लोगों की मौत हुई—दो को पीट-पीटकर और एक को गोली लगने से। दर्जनों घायल हुए।

पलायन: धुलियान से करीब 500 लोग मालदा के वैष्णवनगर में शरण लेने को मजबूर हुए।

12 अप्रैल: कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया। पुलिस ने 221 लोगों को हिरासत में लिया।

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ममता पर सवाल...

  • सोशल मीडिया पर हिंसा की आशंका पहले से जताई जा रही थी, फिर भी पुलिस तैयार नहीं थी।
  • ममता ने कहा कि वक्फ कानून केंद्र का है, राज्य इसे लागू नहीं करेगा। विपक्ष ने इसे उनकी निष्क्रियता और तुष्टीकरण की नीति का सबूत बताया।
  • BJP नेता सुवेंदु अधिकारी ने TMC पर कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी ममता की नीतियों को BJP के लिए मुस्लिमों को बदनाम करने का मौका बताया।
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सूत्रों के हवाले से दावा: बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम का हाथ हो सकता है। ममता ने जवाब दिया कि सीमा सुरक्षा केंद्र की जिम्मेदारी है।

TMC सांसदों में टकराव और चैट लीक-पार्टी के अंदर क्या चल रहा है?

TMC के सांसदों के बीच खुला टकराव 4 अप्रैल 2025 को सामने आया, जब वोटर ID को आधार से जोड़ने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सांसदों ने ज्ञापन सौंपा।

विवाद की शुरुआत...

  • TMC सांसद डेरेक ओ’ब्रायन, कल्याण बनर्जी और अन्य 13 सांसदों ने हस्ताक्षर किए।
  • महुआ मोइत्रा को साइन करने से रोका गया, जिससे वे कल्याण बनर्जी से भिड़ गईं।
  • कीर्ति आजाद ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन गहमागहमी बढ़ने पर पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
  • कल्याण ने महुआ पर गिरफ्तारी की धमकी देने का आरोप लगाया। BJP के अमित मालवीय ने इसका वीडियो X पर शेयर किया।

वॉट्सएप चैट लीक...

  • ‘AITC MP 2024’ ग्रुप में कल्याण ने महुआ को तंज कसते हुए ‘इंटरनेशनल ग्रेट लेडी’ कहा।
  • कीर्ति आजाद ने कल्याण को ‘बच्चा’ बताकर व्यवहार सुधारने को कहा।
  • सौगत रॉय ने महुआ को रोते देख कल्याण को चीफ व्हिप पद से हटाने की मांग की।
  • 8 अप्रैल को अमित मालवीय ने चैट के स्क्रीनशॉट X पर शेयर किए।

पार्टी का अंदरूनी हाल...

कल्याण ने कहा, “अगर दीदी कहें कि मैं गलत हूं, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा, लेकिन महुआ की असभ्यता बर्दाश्त नहीं करूंगा।”
यह घटना TMC के अंदर पुरानी और नई पीढ़ी के बीच तनाव को दर्शाती है।

SSC घोटाला क्या है, जिसने 25,000 शिक्षकों की नौकरी छीनी?

पश्चिम बंगाल स्टाफ सर्विस कमीशन (WBSSC) ने 2016 में 24,640 शिक्षक और गैर-शिक्षक पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की। 23 लाख उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया।

घोटाले की बातें...

  • 25,753 नियुक्तियां हुईं, जो तय पदों से 1,113 ज्यादा थीं।
  • मेरिट लिस्ट सार्वजनिक नहीं की गई।
  • OMR शीट में छेड़छाड़, फर्जी मेरिट लिस्ट, और खाली आंसर शीट वालों को नियुक्ति जैसे गंभीर आरोप सामने आए।
  • कई उम्मीदवारों ने रिश्वत देकर नौकरी पाई।
  • CBI ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। ED ने 23 जुलाई 2022 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया।

कानूनी कार्रवाई...

  • 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सभी 25,753 नियुक्तियां रद्द कर दीं।
  • सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा।

क्या है ममता बनर्जी का रुख...

  • ममता ने फैसले को CPI(M) और BJP की साजिश बताया और इसे मानने से इनकार किया।
  • उन्होंने फैसले को मानवीय आधार पर गलत ठहराया।

ममता और अभिषेक बनर्जी के बीच क्या तनाव है?

ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच ‘प्रबीन बनाम नबीन’ की जंग चल रही है।

2 जनवरी 2025: नबन्ना में मीटिंग के दौरान ममता ने अभिषेक के करीबी परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती और शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु को फटकार लगाई।

नए साल का कार्यक्रम: ममता और अभिषेक के बीच कलाकारों को बुलाने पर मतभेद हुआ। अभिषेक ने कुछ कलाकारों के बहिष्कार को खारिज किया, लेकिन बाद में उनकी परफॉर्मेंस रद्द हुई।

अभिषेक का बयान: फरवरी 2025 में BJP में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते हुए अभिषेक ने कहा, “मैं TMC का वफादार सिपाही हूं, ममता मेरी नेता हैं।”

रिटायरमेंट पर असहमति: अभिषेक ने सीनियर नेताओं के रिटायरमेंट की वकालत की, जबकि ममता ने इसका विरोध किया।

सुरजीत सी मुखोपाध्याय का कहना है कि यह तनाव TMC की छवि सुधारने और असंतोष को नियंत्रित करने की रणनीति हो सकती है।

ममता के लिए और कौन-सी चुनौतियां हैं?

आरजी कर रेप केस: इस मामले में ममता सरकार की निष्क्रियता की आलोचना हुई।

सार्वजनिक असंतोष: SSC घोटाले और दंगों ने मध्यम वर्ग में TMC के प्रति नाराजगी बढ़ाई।

विपक्ष का हमला: BJP और कांग्रेस, ममता की तुष्टीकरण नीति और प्रशासनिक विफलता पर लगातार हमलावर हैं।

आर्थिक दबाव: शिक्षकों की बर्खास्तगी और दंगों के बाद पुनर्वास के लिए आर्थिक संसाधनों की जरूरत बढ़ी है।

क्या TMC और पश्चिम बंगाल पर ममता की पकड़ कमजोर हो रही है?

पार्टी में अराजकता: सांसदों के बीच झगड़े और चैट लीक ने TMC की एकजुट छवि को नुकसान पहुंचाया।

प्रशासनिक विफलता: मुर्शिदाबाद दंगे और SSC घोटाले ने ममता की प्रशासनिक क्षमता पर सवाल उठाए।

जर्नलिस्ट मोनीदीपा बनर्जी: “TMC अब मछली बाजार जैसी दिख रही है। ममता दिल्ली में पार्टी की पकड़ खो रही हैं।”

जयंत भट्टाचार्य: “ममता पहली बार पार्टी और सरकार को टूटने से बचाने के लिए जूझ रही हैं। 2026 में इसका असर दिख सकता है।”

क्या ममता 2026 के चुनाव में तूफान से निकल पाएंगी?

सायंतन घोष: “TMC का मध्यम वर्ग में आधार कमजोर हो रहा है। जनता का असंतोष 2026 में वोटों में बदल सकता है। BJP इसका फायदा उठा सकती है।”

मोनीदीपा बनर्जी: “अगले 12 महीने ममता के लिए निर्णायक हैं। शिक्षकों के विरोध और जनता में असंतोष TMC के लिए खतरा है।”

संभावनाएं: ममता की लोकप्रियता और ‘मां, माटी, मानुष’ की अपील अब भी मजबूत है, लेकिन प्रशासनिक सुधार और पार्टी एकता भी जरूरी है।

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