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वोटर लिस्ट से बाहर होंगे 1.5 करोड़ बिहारी? फारूक अब्दुल्ला बोले — लोकतंत्र पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा!

बिहार की वोटर लिस्ट पर फारूक अब्दुल्ला का बयान, करोड़ों प्रवासी मजदूरों के मताधिकार पर संकट! नए नियम संविधान की मूल भावना के खिलाफ? जानें स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का पूरा सच और लोकतंत्र पर मंडराते खतरे को।

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Ajit Kumar Pandey
FAROOQ ABDULAH

वोटर लिस्ट से बाहर होंगे 1.5 करोड़ बिहारी? फारूक अब्दुल्ला बोले — लोकतंत्र पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार में चल रहे मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (S.I.R) पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के बयान ने हलचल मचा दी है। उनका कहना है कि 1.5 करोड़ से अधिक बिहार के लोग राज्य से बाहर काम करते हैं, तो वे कैसे वोट देंगे और आवश्यक दस्तावेज कहां से लाएंगे? यह सवाल भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर गंभीर चिंताएं पैदा करता है।

बिहार में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) चल रहा है, जिसने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के दिग्गज नेता फारूक अब्दुल्ला ने इस प्रक्रिया पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि बिहार के लगभग डेढ़ करोड़ लोग रोजी-रोटी के लिए राज्य से बाहर रहते हैं। ऐसे में उनके लिए वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराना या मौजूदा नाम को सत्यापित कराना एक बड़ी चुनौती बन सकता है। उनका यह बयान भारतीय संविधान में निहित 'एक व्यक्ति, एक वोट' के सिद्धांत पर सवालिया निशान खड़ा करता है। क्या वाकई नए नियम करोड़ों लोगों के मताधिकार को प्रभावित कर सकते हैं?

"संविधान से खिलवाड़": अब्दुल्ला का सीधा आरोप

फारूक अब्दुल्ला ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जब बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान बनाया था, तब उन्होंने हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के वोट देने का अधिकार दिया था। लेकिन अब जो नए कानून और प्रक्रियाएं बनाई जा रही हैं, वे इस मूल भावना के विपरीत हैं। उनके अनुसार, "ये भारत के लोगों को स्वीकार्य नहीं है।" यह बयान सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं, बल्कि देशभर में प्रवासी मजदूरों और कामगारों के मताधिकार को लेकर एक व्यापक बहस छेड़ता है। क्या सरकारें वाकई उन लोगों तक पहुंच पा रही हैं जो अपने घरों से दूर, दूसरे राज्यों में रहकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं?

क्या है स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)?

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स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट किया जाता है। इसमें नए मतदाताओं के नाम जोड़े जाते हैं, पुराने नामों को हटाया जाता है (जो स्थानांतरित हो गए हैं या जिनका निधन हो गया है), और मौजूदा जानकारी को सत्यापित किया जाता है। इसका उद्देश्य एक सटीक और नवीनतम मतदाता सूची तैयार करना है ताकि चुनावों में किसी भी तरह की धांधली को रोका जा सके। हालांकि, अब्दुल्ला जैसे नेताओं का आरोप है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग करके कुछ वर्गों के मताधिकार को सीमित किया जा सकता है।

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