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वोटर लिस्ट पर बवाल : चुनाव आयोग की नीयत पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के सवाल

बिहार में मतदाता सूची के "गहन पुनरीक्षण" पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने 25 दिनों की समय सीमा पर सवाल उठाते हुए इसे नाम काटने की साजिश बताया, न कि सही जांच की प्रक्रिया।

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Ajit Kumar Pandey
वोटर लिस्ट पर बवाल : क्या चुनाव आयोग की नीयत पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के सवाल? | यंग भारत न्यूज

वोटर लिस्ट पर बवाल : क्या चुनाव आयोग की नीयत पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के सवाल? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार में मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण" को लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के आरोपों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। पवन खेड़ा का दावा है कि 25 दिनों में इतने बड़े पैमाने पर पुनरीक्षण केवल नाम काटने की नीयत से किया जा रहा है, न कि सही जांच-पड़ताल से। यह आरोप चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा है कि केवल 25 दिनों में इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देना नाम काटने की जल्दबाजी है। उन्होंने 2003 के पुनरीक्षण का हवाला दिया, जब इसमें एक साल का समय लगा था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या वाकई चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल उठाने की जरूरत है?

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने साफ शब्दों में कहा है कि जब आपको (मतदाताओं के) नाम काटने ही हैं तो आसानी से काट लेंगे, उसमें क्या है? काम मुश्किल तब होगा जब आपकी नीयत साफ होगी। ये शब्द सीधे तौर पर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाते हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में कागजों की सही जांच नहीं की जा रही है, बल्कि एक खास वर्ग के लोगों के नाम हटाने का लक्ष्य है।

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2003 बनाम 2025: समय सीमा पर क्यों उठ रहे सवाल?

पवन खेड़ा का यह दावा कि 2003 में इसी तरह के पुनरीक्षण में एक साल लगा था, और अब इसे 25 दिनों में पूरा करने की बात कही जा रही है, समय सीमा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या वाकई इतने कम समय में लाखों मतदाताओं की जानकारी को सत्यापित करना और मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाना संभव है? 

"किसी एक संस्था की दादागिरी नहीं चल सकती": विपक्ष का अल्टीमेटम

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कांग्रेस नेता ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर चुनाव आयोग अपनी प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरतता है, तो विपक्ष चुप नहीं बैठेगा। खेड़ा ने चेतावनी दी, "हमारे पास तमाम विकल्प सड़क से लेकर संसद तक खुले हैं और इस देश में किसी एक संस्था की दादागिरी नहीं चल सकती।" यह बयान दर्शाता है कि विपक्ष इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और इसे एक बड़े राजनीतिक संघर्ष में बदलने को तैयार है।

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