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क्या हैं NDA और INDIA ब्लॉक के गणित : जानें कैसे बदल सकते हैं सियासी समीकरण?

उपराष्ट्रपति चुनाव में NDA की राह आसान दिख रही है क्योंकि उनके पास प्रचंड बहुमत है। वहीं 'INDIA' ब्लॉक का लक्ष्य सिर्फ मुकाबला करना नहीं बल्कि एकजुटता का संदेश देना और भविष्य की रणनीति बनाना है।

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Ajit Kumar Pandey
क्या हैं NDA और INDIA ब्लॉक के गणित : जानें कैसे बदल सकते हैं सियासी समीकरण? | यंग भारत न्यूज

क्या हैं NDA और INDIA ब्लॉक के गणित : जानें कैसे बदल सकते हैं सियासी समीकरण? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उपराष्ट्रपति चुनाव का बिगुल बज चुका है और इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। एनडीए अपने 600 से अधिक वोटों के साथ प्रचंड बहुमत का दावा कर रहा है। जबकि 'इंडिया' ब्लॉक एक बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। यह चुनाव सिर्फ जीत-हार का नहीं बल्कि सियासी भविष्य की दिशा तय करने वाला है। इस स्टोरी में हम जानेंगे NDA और INDIA ब्लॉक के गणित क्या हैं और कैसे बदल सकते हैं सियासी समीकरण।

आपको बता दें कि भारतीय राजनीति में उपराष्ट्रपति का पद न केवल संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि इसका अपना एक बड़ा सियासी महत्व भी है। यह पद सदन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करता है और किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में राष्ट्रपति का कार्यभार संभालता है। यही वजह है कि हर दल इसे जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। 2025 का उपराष्ट्रपति चुनाव भी इसी कारण सुर्खियों में है जहां सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी 'इंडिया' ब्लॉक आमने-सामने हैं।

NDA अपनी संगठित शक्ति के साथ इस चुनाव में एक मजबूत स्थिति में है। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से मिलकर बने एक इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा होता है। मौजूदा संख्याबल के हिसाब से NDA के पास दोनों सदनों में मिलाकर कुल 420 से अधिक सांसद हैं, जिनमें से बीजेपी के पास ही 320 से ज्यादा हैं।

इसके अलावा NDA के सहयोगी दलों जैसे शिवसेना (शिंदे गुट), जनता दल (यूनाइटेड), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और अन्य छोटे दलों को मिला दें तो यह आंकड़ा 450 के पार चला जाता है। जीत के लिए सिर्फ 393 वोटों की जरूरत होती है और ऐसे में NDA के लिए यह राह बेहद आसान दिख रही है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो NDA को कुछ तटस्थ दलों और निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद है जिससे उनका कुल वोट 500 से अधिक हो सकता है।

क्यों है 'INDIA' ब्लॉक के लिए चुनौती?

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'INDIA' ब्लॉक जिसमें कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, समाजवादी पार्टी और अन्य प्रमुख विपक्षी दल शामिल हैं। संख्याबल के मामले में NDA से काफी पीछे है। दोनों सदनों को मिलाकर उनके पास 250 से भी कम सांसद हैं। हालांकि, उनका लक्ष्य सिर्फ जीतना नहीं बल्कि एक मजबूत संदेश देना है।

एकजुटता का संदेश: यह चुनाव 'INDIA' ब्लॉक के लिए अपनी एकजुटता और आपसी तालमेल को साबित करने का एक बड़ा मौका है।

रणनीतिक दांव: भले ही उनके पास संख्याबल कम हो, लेकिन वे एक ऐसा उम्मीदवार उतार सकते हैं जो NDA के कुछ असंतुष्ट सांसदों या तटस्थ दलों को अपनी ओर आकर्षित कर सके।

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मुकाबला दमदार बनाना: 'INDIA' ब्लॉक की रणनीति चुनाव को एकतरफा न बनाकर उसे एक कड़ा मुकाबला बनाने की है। यह चुनाव उन्हें 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले अपने संगठन की ताकत का आकलन करने का भी मौका देगा।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव का अंतर

यह समझना जरूरी है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल कॉलेज में क्या अंतर है। राष्ट्रपति चुनाव में विधानसभा के सदस्य भी वोट डालते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव सिर्फ संसद के दोनों सदनों के सांसदों तक सीमित होता है। यही वजह है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में केंद्र सरकार का संख्याबल सीधे-सीधे जीत या हार का फैसला कर देता है।

सितंबर 2025 में होने हैं चुनाव

9 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। इसमें भाग लेने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीपी राधाकृष्णन पर दांव खेला है। वहीं विपक्ष ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 17 अगस्त को बीजेपी की संसदीय बोर्ड में राधाकृष्णन प्रत्याशी घोषित किया है। इस बार एनडीए ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को उपराष्ट्रपति चुनाव का जिम्मा सौंपा है, वहीं केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को चुनाव एजेंट बनाया है। एनडीए के पास साफ बहुमत है, इसके बाद भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन से समर्थन मांगा है। यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए क्या कहता है नंबर गेम?

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वर्तमान में लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं। यानि कुल 782 संसद सदस्य हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए 392 मतों की आवश्यकता होगी। एनडीए के पास 427 सदस्यों का सीधा समर्थन प्राप्त है। इसमें लोकसभा के 293 और राज्या के 134 सदस्य हैं। वहीं विपक्ष की बात की जाए तो लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर 355 सांसद हैं। हालांकि अभी तक 133 सांसद को किसी भी पक्ष में नहीं देखा जा रहा है।

अंतिम दांव और सियासी गणित

NDA ने अपना उम्मीदवार चुन लिया है और माना जा रहा है कि यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही समीकरणों को साधने वाला है। वहीं, 'INDIA' ब्लॉक ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उम्मीद है कि वे भी जल्द ही एक चौंकाने वाला नाम सामने ला सकते हैं।

राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि कुछ छोटे दल, जो न तो एनडीए के साथ हैं और न ही 'INDIA' ब्लॉक का रुख इस चुनाव में निर्णायक हो सकता है। इन दलों के सांसद अपने विवेक से वोट डाल सकते हैं जिससे अंतिम परिणाम पर थोड़ा बहुत असर पड़ सकता है।

हालांकि वर्तमान में गणित पूरी तरह से NDA के पक्ष में है, और उनके लिए जीत की राह लगभग तय मानी जा रही है। 'INDIA' ब्लॉक के लिए यह चुनाव अपनी ताकत दिखाने और भविष्य की रणनीति तय करने का एक बड़ा मंच साबित होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 'INDIA' ब्लॉक कोई ऐसा सियासी दांव खेल पाएगा जो NDA के गणित को थोड़ा भी हिला सके?

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