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हाईकोर्ट का Indira Gandhi के खिलाफ वो फैसला, जिसके बाद लगी इमरजेंसी, जानिए — पूरा सच | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः इमरजेंसी के दौरान के बहुत सारे किस्से अक्सर सुर्खियों में आते रहते हैं। इनमें से ही एक किस्सा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री आईके गुजराल ने सालों पहले साझा किया था। गुजराल ने 25 जून, 1975 की रात को भी याद किया। उस दौरान जब बहादुर शाह जफर मार्ग पर बिजली काट दी गई थी। सरकार चाहती थी कि जिस दिन देश को आपातकाल लागू होने की खबर मिले, उस दिन अखबार न प्रकाशित न हो सकें। गुजराल ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि आपातकाल लागू हो गया है। उन्हें इस बारे में 26 जून को सुबह 6 बजे हुई कैबिनेट बैठक में ही पता चला। उन्होंने कहा कि उन्हें रात में एक अफसर ने बिजली कटौती के बारे में बताया था, लेकिन उन्होंने तुरंत मामले की गंभीरता को नहीं समझा।
गुजराल ने बताया, वो प्रेस पर नहीं लगाना चाहते थे सेंसरशिप
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2000 के दशक की शुरुआत में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी को दिए एक साक्षात्कार में गुजराल ने बताया कि 26 जून को प्रेस सेंसरशिप के लिए कोई भी आदेश पारित करने से इनकार करने के बाद उन्हें प्रधानमंत्री के आवास पर बुलाया गया था। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री के बेटे संजय गांधी के साथ हुई बातचीत को याद किया। संजय ने कहा था कि प्रेस को सेंसर करिए। गुजराल नहीं माने तो वो बोले कि "देखिए, यह इस तरह से काम नहीं करेगा।" गुजराल ने कहा कि उन्होंने जवाब दिया कि जब तक मैं मंत्रालय में हूँ, तब तक सब वैसा ही होगा जैसा मैं चाहता हूं। मैं प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह हूं। गुजराल ने कहा कि उन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ओम मेहता का फोन आया था जिसमें उन्हें प्रेस सेंसर की सूची भेजने के लिए कहा गया था। हालांकि उन्होंने पेपर भेजने से इनकार कर दिया।
इंदिरा से मिलने गए और रात में चली गई मिनिस्ट्री
गुजराल ने कहा कि जब वे अगली बार इंदिरा गांधी से मिले तो वो सेंसरशिप से निपटने के उनके तरीके से नाराज दिखीं। उन्होंने कहा कि इंदिरा जी यह मेरे बस की बात नहीं है, तो उन्होंने कहा- हां, यही मैं आपको बताना चाहती थी। इसे और सख्ती से संभालने की जरूरत है और आप बहुत नरम हैं। गुजराल कहते हैं कि जब मैं घर आया। मैंने लगभग 9 बजे रेडियो चालू किया। यह घोषणा की गई कि वी.सी. शुक्ला को सूचना मंत्री नियुक्त किया गया है। उनको योजना आयोग में भेज दिया गया। गुजराल ने 1980 के दशक में कांग्रेस छोड़ दी और जनता दल में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने 1997 और 1998 के बीच एक साल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में संयुक्त मोर्चा सरकार का नेतृत्व किया। trending | Congress not present in content
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