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कहां हैं जगदीप धनखड़? इस्तीफे के बाद से नहीं दिखे, विपक्ष को हुई चिंता

कांग्रेस के जयराम रमेश ने सवाल दागा है कि आखिर वो हैं कहां। लेकिन हर छोटे बड़े मौके पर अक्सर बोलते दिखने वाले बीजेपी के तमाम नेताओं के मुंह पर ताला लग गया है। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं।

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Shailendra Gautam
vice president

Photograph: (file)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः उप राष्ट्रपति के  पद को छोड़ने के बाद से जगदीप धनखड़ का कोई अता पता नहीं है। कोई कह रहा है कि वो सरकारी कैद में हैं तो कोई कुछ और बोलता है। कांग्रेस के जयराम रमेश ने सवाल दागा है कि आखिर वो हैं कहां। लेकिन हर छोटे बड़े मौके पर अक्सर बोलते दिखने वाले बीजेपी के तमाम नेताओं के मुंह पर ताला लग गया है। कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं।

अक्सर चौकाने के लिए मशहूर हैं धनखड़

राजस्थान के एक गांव के किसान परिवार में जन्म लेने से लेकर उप राष्ट्रपति आवास तक का सफर। धनखड़ का यह सफर हर किसी को चौंकाता है। जगदीप धनखड़ जिस तरह अपनी बातों से कई बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को चौंका देते थे। कुछ वैसा ही उनका सियासी सफर भी रहा है। वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में उनकी नियुक्ति ने सभी को चौंका दिया था। उपराष्ट्रपति बने तो भी सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। वो विपक्ष की उम्मीदवार मार्ग्रेट अल्वा को हराकर यहां पहुंचे थे। 

धाकड़ वकील रहे थे धनखड़

पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने से पहले 71 वर्षीय धनखड़ एक प्रसिद्ध वकील थे। उन्होंने राजस्थान में जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। काले हिरण के शिकार मामले में सलमान खान समेत दूसरे अभिनेताओं को बेल दिलाने का काम धनखड़ ने ही किया था।

पैदल जाया करते थे स्कूल

कहते है कि जगदीप धनखड़ जब छठी कक्षा में थे तो वे चार-पांच किलोमीटर पैदल चलकर एक सरकारी स्कूल जाते थे। धनखड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ से पूरी की। फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली। धनखड़ ने राजस्थान हाई कोर्ट और देश के सुप्रीम कोर्ट दोनों में वकालत की।

देवीलाल को मानते हैं आदर्श

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जगदीप धनखड़ ताऊ देवीलाल से प्रभावित थे। उस समय युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था। धनखड़ ने तब जीत दर्ज की थी। धनखड़ 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। जब पी.वी. नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने पर धनखड़ भाजपा में शामिल हो गए। कभी वो वसुंधरा राजे के करीबी बन गए थे। धनखड़ का राजनीतिक सफर उस समय करीब एक दशक के लिए थम गया, जब उन्होंने अपने कानूनी करियर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। जुलाई 2019 में धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और तब से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करने को लेकर वह अक्सर सुर्खियों में रहे।

नड्डा पढ़ते थे कसीदे पर अब चुप

जब उनको उपराष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया तो भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा था कि धनखड़ लगभग तीन दशकों से सार्वजनिक जीवन में हैं। उन्होंने जाट नेता को किसान पुत्र बताया था। लेकिन अब नड्डा भी जयराम रमेश के सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं।

Jagdeep Dhankhar, Former Vice President, Jairam Ramesh, BJP

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