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छत्तीगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान, चुनावी समय में ही ED-CBI की कार्रवाई क्यों?

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे की ED-CBI द्वारा गिरफ्तारी ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने इसे अडाणी के खिलाफ कांग्रेस की आवाज दबाने का 'षड्यंत्र' बताया है, पप्पू बंसल के बयान पर भी सवाल उठाए हैं।

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Ajit Kumar Pandey
छत्तीगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान, चुनावी समय में ही ED-CBI की कार्रवाई क्यों? | यंग भारत न्यूज

छत्तीगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल का बड़ा बयान, चुनावी समय में ही ED-CBI की कार्रवाई क्यों? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे पर छापों के बाद गिरफ्तारी ने राजनीतिक गलियारों में तूफान ला दिया है। बघेल ने इसे कांग्रेस के अडाणी विरोधी रुख का नतीजा बताते हुए "शासकीय एजेंसी द्वारा षड्यंत्र" करार दिया है। पप्पू बंसल के बयान पर सवाल खड़े करते हुए, उन्होंने कहा कि बंसल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट होने के बावजूद वे खुलेआम घूम रहे हैं।

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) की कार्रवाई ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल ला दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन छापों और अपनी गिरफ्तारी को सीधे तौर पर कांग्रेस पार्टी के अडाणी समूह के खिलाफ स्टैंड से जोड़ा है। उन्होंने साफ कहा कि यह बदले की कार्रवाई है, जो उन्हें और उनकी पार्टी को चुप कराने के लिए की जा रही है। क्या वाकई केंद्रीय एजेंसियां विपक्ष को निशाना बना रही हैं?

क्यों सवालों के घेरे में हैं ED-CBI की कार्रवाई?

भूपेश बघेल ने बेटे की गिरफ्तारी के बाद जिस तरह से केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला है, वह कई सवाल खड़े करता है। उनका कहना है कि पहले उनके घर पर ED का छापा पड़ा, फिर 15 दिन बाद CBI का छापा और अब सीधी गिरफ्तारी। ये सब तब हो रहा है जब कांग्रेस पार्टी लगातार अडाणी समूह के खिलाफ मुखर रही है। क्या यह सिर्फ एक संयोग है, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? यह प्रश्न छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।

पप्पू बंसल का 'रहस्यमय' बयान और बघेल का आरोप

बघेल ने जिस पप्पू बंसल के बयान का जिक्र किया है, वह इस पूरे मामले में एक नया मोड़ लाता है। उनके अनुसार, बंसल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट होने के बावजूद वह खुलेआम घूम रहे हैं, और उनके बयान के आधार पर बघेल के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। यह दर्शाता है कि एजेंसियां चुनिंदा तरीके से काम कर रही हैं। यदि कोई व्यक्ति जिस पर वारंट है, वह आज़ाद घूम सकता है, तो उसके बयान की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाज़मी है। क्या यह किसी बड़ी चाल का हिस्सा है?

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सत्ता के गलियारों में हलचल: क्या विपक्ष को दबाया जा रहा है?

यह घटना केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी नेताओं पर हो रही केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के पैटर्न का हिस्सा प्रतीत होती है। हाल के दिनों में कई विपक्षी नेताओं पर इसी तरह के आरोप लगे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। क्या ये सभी मामले वाकई भ्रष्टाचार से जुड़े हैं, या इनका उपयोग राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है? भूपेश बघेल का बयान इस बहस को और तेज़ करता है।

मुख्य बातें जो आपको जाननी चाहिए

ED और CBI के छापे: भूपेश बघेल के घर पर पहले ED और फिर CBI का छापा पड़ा, जिसके बाद बेटे की गिरफ्तारी हुई।

अडाणी कनेक्शन: बघेल ने इन कार्रवाइयों को कांग्रेस के अडाणी विरोधी रुख से जोड़ा है।

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पप्पू बंसल का रोल: बघेल का आरोप है कि गैर-जमानती वारंट वाले पप्पू बंसल के बयान पर कार्रवाई हो रही है।

राजनीतिक षड्यंत्र: बघेल ने इसे शासकीय एजेंसियों के माध्यम से रचा गया "षड्यंत्र" बताया है।

भूपेश बघेल: एक मुखर नेता, अब निशाने पर?

भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के एक कद्दावर नेता हैं, जिनकी पहचान एक मुखर और जुझारू व्यक्तित्व के रूप में रही है। मुख्यमंत्री रहते हुए भी उन्होंने कई मौकों पर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। कांग्रेस पार्टी के भीतर भी वे एक मजबूत आवाज माने जाते हैं। क्या उनकी यही मुखरता अब उनके लिए मुसीबत बन गई है? यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला आगे चलकर क्या मोड़ लेता है और क्या यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई है या इसके पीछे गहरा राजनीतिक दांव-पेंच छिपा है। छत्तीसगढ़ की राजनीति पर इसका क्या असर होगा, यह समय बताएगा।

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अडाणी समूह और कांग्रेस का टकराव

कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी के नेतृत्व में, लगातार अडाणी समूह से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और जांच की मांग करती रही है। संसद से लेकर सड़क तक, कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। भूपेश बघेल जैसे नेताओं का इस मुद्दे पर मुखर होना कोई नई बात नहीं है। क्या यही वजह है कि वे आज केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर हैं? इस प्रश्न का जवाब आने वाले समय में शायद और साफ हो पाएगा, लेकिन फिलहाल यह राजनीतिक गर्मी बढ़ा रहा है।

क्या न्यायपालिका हस्तक्षेप करेगी?

ऐसे मामलों में अक्सर न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जब किसी नेता पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगता है, तो अदालतें ही अंतिम आसरा होती हैं। क्या भूपेश बघेल इस मामले को अदालत तक ले जाएंगे और क्या उन्हें राहत मिल पाएगी? यह देखना बाकी है। फिलहाल, यह घटनाक्रम छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।

भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी ने छत्तीसगढ़ और देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। उनके आरोपों ने केंद्रीय एजेंसियों की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह देखना होगा कि यह मामला किस दिशा में जाता है और क्या यह वास्तव में एक राजनीतिक षड्यंत्र है या कानून अपना काम कर रहा है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आने वाले समय में और भी उठापटक देखने को मिल सकती है।

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