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कांग्रेस हाईकमान को क्यों परेशान कर रही है डीके शिवकुमार की चुप्पी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने तलब किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी खुद दोनों से मुलाकात करने जा रहे हैं।

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Shailendra Gautam
RAHUL GANDHI

RAHUL GANDHI Photograph: (RAHUL GANDHI)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः कर्नाटक कांग्रेस में ऊपर से तो सबकुछ ठीक दिख रहा है। सिद्धरमैया सीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं। डीके शिवकुमार के समर्थकों ने हो हल्ला जरूर मचाया लेकिन रणदीप सुरजेवाला के दौरे के बाद सारे शांत हो गए। यहां तक कि डीके को खुद सामने आकर कहना पड़ गया कि कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया हैं और वो मजबूती से उनके पीछे खड़े हैं। लेकिन कांग्रेस हाईकमान डीके की चुप्पी को लेकर फिक्रमंद है। ये भी कह सकते हैं कि वो सहमा हुआ है कि कहीं ये चुप्पी गुल न खिला दे। 

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कांग्रेस आलाकमान में दिख रही है डीके की चुप्पी से घबराहट

यही वजह है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने तलब किया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी खुद दोनों से मुलाकात करने जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में राज्य में हाल ही में हुए उस संकट पर भी चर्चा हो सकती है, जब कुछ विधायकों ने शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब कुछ दिनों पहले ही सिद्धारमैया ने कहा था कि वह पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे, जबकि शिवकुमार ने स्वीकार किया था कि उनके पास मुख्यमंत्री के साथ खड़े रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जानकार कहते हैं कि शिवकुमार के तेवर दिल्ली दरबार को अखर रहे हैं। आलाकमान को लगता है कि शिवकुमार कहीं कोई ऐसा कदम न उठा लें जिससे उनकी सरकार ही धाराशाई हो जाए। कर्नाटक उन दो सूबों में से एक है जहां कांग्रेस की अपने दम पर सरकार है। अगर कुछ ऊंच नीच हो गई तो कांग्रेस में एक ऐसा संकट खड़ा  हो सकता है जिसकी तपिश दिल्ली तक शिद्दत से महसूस की जाएगी। 

2018 में थी कांग्रेस सरकार पर येदुयिरप्पा ने कर दिया था खेल

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कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 104 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को 80 और जनता दल सेक्युलर (JDS) को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। तब कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।  एचडी कुमारसामी को सीएम की कुर्सी मिली लेकिन सरकार बीच में ही धाराशाई हो गई। येदियुरप्पा ने आपरेशन लोटस के जरिये  सरकार को गिरा  दिया और खुद सीएम बन गए। हालांकि जनता को बीजेपी की ये चालाकी कुछ रास नहीं आई। हालांकि बीजेपी का नेतृत्व समय रहते समझ गया था कि करप्ट येदुयिरप्पा से सरकार नाराज है। इसी वजह से बोम्मई को चुनाव से ऐन पहले कमान सौंप दी गई। लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था। 2023 में चुनाव हुए तो कांग्रेस ने 135 सीटें प्राप्त करके चुनाव में भारी जीत हासिल की। 1989 के चुनावों के बाद से कर्नाटक में सीटों और वोट शेयर के हिसाब से उनकी सबसे बड़ी जीत थी। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) ने हार स्वीकार की और क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

2023 में कांग्रेस को मिलीं 135 सीटें तो  सिद्धरमैया बन गए सीएम

बहुमत हासिल करने के बाद जब कांग्रेस के सीएम का जिक्र आया तो सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार खुल्लमखुल्ला लड़ पड़ा। कांग्रेस की फजीहत होने लगी तो आलाकमान ने एक फार्मूला तैयार किया। सिद्धरमैया को सीएम और डीके शिवकुमार को उनका डिप्टी  बना दिया गया। डीके को कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी भी मिली। तय हुआ कि ढाई साल बाद डीके  सीएम बनेंगे। ढाई साल की मियाद सितंबर में पूरी हो रही है और डीके के समर्थक खुलेआम कहने लगे हैं कि सिद्धरमैया को हटाकर डीके शिवकुमार को सीएम बनाया जाए। तभी सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजा गया था। 

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डीके के बीजेपी से रिश्ते, खेल किया तो खत्म हो सकती है कांग्रेस

हालांकि सुरजेवाला ने बेंगलुरु में ये साफ कर दिया कि सिद्धरमैया सीएम बने रहेंगे और डीके शिवकुमार उनके डिप्टी। लेकिन आलाकमान को लग रहा है कि ये तूफान से पहले की शांति है। डीके कहीं कुछ ऐसा न कर दें जो  उनके लिए भारी साबित हो जाए। डीके के बीजेपी से रिश्ते हैं। अभी वो दिल्ली आए थे तो नगर निगम में जाकर बीजेपी के मेयर से कानों मे फुसफुसाते दिखे। मेयर राजा इकबाल सिंह को अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है। बीजेपी में अमित शाह ही तोड़फोड़ को अंजाम देते हैं। डीके के जेडीएस नेता कुमारसामी से भी गहरे रिश्ते हैं। 2018 के चुनाव में कुमारसामी को मनाकर साथ लाने का काम उन्होंने ही किया था। जबकि सिद्धरमैया को जेडीएस फूटी आंख देखकर भी राजी नहीं है, क्योंकि वो जेडीएस में थे और धोखा  देकर वहां से निकले। देवेगौड़ा परिवार सिद्धरमैया से ज्यादा शिवकुमार पर भरोसा करता है। कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी की 66 सीटें हैं जबकि 23 सीटें अन्य दलों के खाते में हैं। समीकरणों से साफ है कि डीके कांग्रेस में सेंध लगा देते हैं तो बीजेपी उनको सीएम की कुर्सी पर बिठा सकती है। बीजेपी को फायदा ये मिलेगा कि कांग्रेस खत्म हो जाएगी।

Karnataka, DK Shivakumar, Siddaramaiah, Rahul Gandhi, BJP

Congress rahul gandhi Karnataka
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