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'क्या हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं?' प्रियंका गांधी ने ओडिशा और ग्रेटर नोएडा की घटनाओं पर सरकार से मांगा जवाब

ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में छात्रा की खुदकुशी ने देश को हिलाया। शिक्षकों पर प्रताड़ना का आरोप, प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा- क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं? छात्रों की सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल। सख्त कार्रवाई की मांग की।

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Ajit Kumar Pandey
PRIYANKA GANDHI VADRA

'क्या हमारे बच्चे सुरक्षित नहीं?' प्रियंका गांधी ने ओडिशा और ग्रेटर नोएडा की घटनाओं पर सरकार से मांगा जवाब | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अपने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट के जरिए सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए पहले ओडिसा और अब ग्रेटर नोएडा की दर्दनाक घटना पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने पोस्ट में लिखा है कि पहले ओडिशा में एक छात्रा को जान देने पर मजबूर किया गया और अब ऐसी ही दुखद घटना ग्रेटर नोएडा में सामने आई है। प्रियंका गांधी ने सीधे तौर पर केंद्र सरकार से सवाल किया है, "क्या हमारे शैक्षणिक संस्थान हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं? जहां जिंदगी ही सुरक्षित न हो, वहां वे बेहतर जिंदगी के सपने कैसे देखेंगे?"

उनका यह बयान न केवल इस विशिष्ट घटना पर प्रकाश डालता है, बल्कि यह देश भर में शिक्षा के माहौल में बढ़ती असुरक्षा की भावना को भी उजागर करता है। गांधी ने विशेष रूप से लड़कियों के संघर्ष का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लड़कियां जीवन के हर पड़ाव पर दोगुना संघर्ष करते हुए आगे बढ़ती हैं, और ऐसी घटनाएं देश भर की लड़कियों को हतोत्साहित करने वाली हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

बता दें कि ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में हुई एक बेहद दुखद घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। एक युवा छात्रा ने कथित तौर पर शिक्षकों द्वारा प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। यह खबर उन सभी माता-पिता के लिए एक भयानक दुःस्वप्न है, जो अपने बच्चों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाकर उच्च शिक्षा के लिए भेजते हैं। क्या हमारे शिक्षण संस्थान, जो कभी ज्ञान के मंदिर माने जाते थे, अब छात्रों के लिए सुरक्षित नहीं रहे? यह सवाल अब हर तरफ से उठ रहा है।

इस घटना ने सिर्फ शारदा यूनिवर्सिटी को ही नहीं, बल्कि देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। छात्रा के परिवार ने शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, और अब इस मामले की गहन जांच की मांग की जा रही है। क्या यह सिर्फ एक अकेली घटना है, या यह एक बड़े पैटर्न का हिस्सा है जिसमें छात्रों को अकादमिक दबाव, मानसिक प्रताड़ना या अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है?

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उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार से इन मामलों का संज्ञान लेने और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि किसी भी कैंपस में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। यह मांग उचित भी है, क्योंकि छात्रों का भविष्य और उनकी जान से बढ़कर कुछ भी नहीं।

यह घटना केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली में एक गहरी खामी का संकेत है। शिक्षण संस्थानों की यह नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है कि वे छात्रों के लिए एक सुरक्षित और पोषणकारी वातावरण प्रदान करें। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चे न केवल अकादमिक रूप से सफल हों, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी स्वस्थ रहें।

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इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए, हमें सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है – सरकार, शैक्षणिक संस्थान, माता-पिता और स्वयं छात्र। शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, जिम्मेदार और खुशहाल नागरिक बनाना है। जब हमारे बच्चे सुरक्षित महसूस करेंगे, तभी वे अपने सपनों को पंख दे पाएंगे और एक उज्जवल भविष्य की कल्पना कर पाएंगे।

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