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Breaking : प्रियंका गांधी पर संकट! वायनाड चुनाव में संपत्ति का खुलासा!, जानिए — क्यों सख्त हो गया केरल हाईकोर्ट?

प्रियंका गांधी की वायनाड सीट से जीत पर संकट! केरल हाईकोर्ट ने संपत्ति के गलत खुलासे के आरोप पर जवाब मांगा। भाजपा उम्मीदवार नव्या हरिदास ने आरोप लगाया है कि नामांकन में प्रियंका ने अपनी और परिवार की संपत्ति का सही विवरण नहीं दिया।

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Ajit Kumar Pandey
नव्या हरिदास की याचिका पर प्रियंका गांधी केरल वायनाड चुनाव में संपत्ति के खुलासे पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब | यंग भारत न्यूज

नव्या हरिदास की याचिका पर प्रियंका गांधी केरल वायनाड चुनाव में संपत्ति के खुलासे पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की वायनाड लोकसभा सीट से जीत अब सवालों के घेरे में आ गई है! आज बुधवार 11 जून 2025 को केरल हाईकोर्ट ने पिछले साल हुए उपचुनाव में उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर उनसे जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि प्रियंका ने नामांकन में अपनी और परिवार की संपत्ति का सही खुलासा नहीं किया है, जिससे उनकी जीत पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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कांग्रेस पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वायनाड से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची हैं, अब एक नए विवाद में घिर गई हैं। केरल उच्च न्यायालय ने उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली एक महत्वपूर्ण याचिका पर उनसे जवाब मांगा है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि राजनीति के गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह सीधे तौर पर एक बड़े राजनीतिक घराने से जुड़ी हस्ती के चुनावी भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

ये है पूरा मामला?

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दरअसल, यह पूरा मामला पिछले साल वायनाड लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से जुड़ा है। इस उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा ने भारी मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन अब उनके खिलाफ भाजपा उम्मीदवार नव्या हरिदास ने याचिका दायर की है। नव्या हरिदास का दावा है कि प्रियंका गांधी ने अपने नामांकन पत्रों में अपनी और अपने परिवार की संपत्ति का सही और पूरा विवरण नहीं दिया है। उनका आरोप है कि कांग्रेस नेता ने "गलत जानकारी" प्रदान की है, जो आदर्श आचार संहिता का सीधा उल्लंघन है और इसे "भ्रष्ट आचरण" के बराबर माना जाना चाहिए। यह एक गंभीर आरोप है, क्योंकि चुनावी नियमों के तहत उम्मीदवारों को अपनी सभी संपत्तियों और देनदारियों का खुलासा करना अनिवार्य होता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

अदालत का रुख और प्रियंका पर दबाव

न्यायमूर्ति के बाबू की पीठ ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और प्रियंका गांधी वाड्रा को नोटिस जारी कर इस मामले में उनका जवाब मांगा है। अदालत द्वारा नोटिस जारी करना यह दर्शाता है कि याचिका में उठाए गए मुद्दों में कुछ गंभीरता है और अदालत ने इन्हें सुनवाई योग्य माना है। अब प्रियंका गांधी को निर्धारित समय-सीमा के भीतर अदालत में अपना पक्ष रखना होगा। इस कानूनी प्रक्रिया से प्रियंका पर एक बड़ा दबाव आ गया है, क्योंकि उन्हें न केवल अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी, बल्कि यह भी दिखाना होगा कि उनके नामांकन में कोई त्रुटि नहीं थी।

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राजनीतिक मायने और भविष्य की राह

इस मामले के राजनीतिक मायने काफी गहरे हैं। वायनाड सीट से जीत प्रियंका गांधी के राजनीतिक करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। अब इस याचिका से उनकी जीत पर ही सवाल उठने लगे हैं, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य पर भी अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें उनका निर्वाचन रद्द होना भी शामिल है। हालांकि, यह सब अभी दूर की बात है और कानूनी प्रक्रिया लंबी चलेगी।

याचिकाकर्ता नव्या हरिदास, जो उपचुनाव में प्रियंका से पांच लाख से अधिक मतों से हार गई थीं, ने अदालत के इस कदम पर संतोष व्यक्त किया है। उन्होंने पुष्टि की है कि अदालत ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है और कांग्रेस नेता को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा गया है। यह दिखाता है कि हार के बावजूद नव्या हरिदास इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही हैं और न्यायपालिका से उम्मीद कर रही हैं।

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संपत्ति का खुलासा: एक संवेदनशील मुद्दा

चुनावों में संपत्ति का खुलासा हमेशा से एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि मतदाता को उम्मीदवार की वित्तीय स्थिति के बारे में पूरी जानकारी हो और कोई भी उम्मीदवार गलत जानकारी देकर मतदाताओं को गुमराह न करे। अगर किसी उम्मीदवार द्वारा जानबूझकर गलत जानकारी दी जाती है या महत्वपूर्ण जानकारी छुपाई जाती है, तो इसे चुनावी कदाचार माना जाता है। ऐसे में प्रियंका गांधी के मामले में यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके जवाब में क्या दलीलें पेश की जाती हैं और क्या वे इन आरोपों को सफलतापूर्वक खारिज कर पाती हैं।

भारत में चुनाव के दौरान उम्मीदवार द्वारा अपनी संपत्ति (मूवेबल और इम्मूवेबल—चल और अचल संपत्ति) की गलत जानकारी देना एक गंभीर अपराध माना जाता है। इस मामले में भारतीय कानून और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय स्पष्ट दिशानिर्देश देते हैं।

संपत्ति की गलत जानकारी देने पर क्या होता है – कानूनी प्रावधान:

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (Representation of the People Act, 1951) 

इस अधिनियम के तहत उम्मीदवार को नामांकन पत्र भरते समय अपनी:

  • चल-अचल संपत्तियों की जानकारी,
  • देनदारियों (liabilities),
  • आपराधिक मामलों की स्थिति,
  • शैक्षणिक योग्यता
  • स्पष्ट रूप से शपथपत्र (Form 26) में देनी होती है।

अगर कोई उम्मीदवार जानबूझकर झूठी जानकारी देता है या जानकारी छिपाता है, तो:

धारा 125A – Representation of the People Act, 1951

उम्मीदवार द्वारा गलत जानकारी देना या जानकारी छिपाना

  • सजा: 6 महीने तक की जेल, या
  • जुर्माना, या
  • दोनों।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत मामला दर्ज हो सकता है:

धारा 177 – झूठी जानकारी देना (Furnishing false information):

  • किसी लोक सेवक को झूठी जानकारी देना।
  • सजा: 6 महीने तक की जेल या जुर्माना।

धारा 181 – झूठी शपथ देना (False statement on oath):

  • अगर उम्मीदवार शपथ लेकर जानबूझकर झूठ बोलता है...
  • सजा: 3 साल तक की जेल।

धारा 420 – धोखाधड़ी (Cheating):

  • यदि झूठी जानकारी देकर जनता को गुमराह किया गया,
  • सजा: 7 साल तक की जेल और जुर्माना।
  • सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णयों की भूमिका

लोक प्रहरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (2013)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार को अपनी और अपने परिवार की सभी चल-अचल संपत्तियों और आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य है।
अगर जानकारी अधूरी या गलत दी गई, तो यह "भ्रष्ट आचरण" (corrupt practice) माना जा सकता है।

पुनावाला केस (2020):

कोर्ट ने कहा – अगर गलत जानकारी से चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ है, तो चुनाव को रद्द किया जा सकता है।

चुनाव रद्द भी हो सकता है:

यदि यह सिद्ध हो जाए कि संपत्ति की जानकारी जानबूझकर छिपाई गई और इससे मतदाता प्रभावित हुए, तो चुनाव याचिका (Election Petition) के ज़रिए उस उम्मीदवार का चुनाव अवैध घोषित किया जा सकता है।

उम्मीदवार द्वारा संपत्ति की गलत जानकारी देना केवल तकनीकी गलती नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध है, जो:

  • जेल तक ले जा सकता है। 
  • चुनाव निरस्त करा सकता है।
  • सार्वजनिक जीवन में बदनामी ला सकता है।

चुनाव में उम्मीदवार अगर सम्पत्ति की गलत जानकारी देता है तो उसके विरूद्ध कानून क्या कहता है, क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें। 

priyanka Gandhi | High Court |

High Court priyanka Gandhi
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