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1974 के बाद के विरोध प्रदर्शनों की किसने की फंडिंग? अमित शाह का बड़ा आदेश

गृह मंत्री अमित शाह ने 1974 के बाद के सभी बड़े आंदोलनों की जांच का आदेश दिया है। इस अध्ययन में आंदोलनों के पीछे के खिलाड़ी, फंडिंग और कारणों का पता लगाया जाएगा।यह कदम आंदोलनों के भविष्य और देश में विरोध प्रदर्शनों के तरीकों को बदल सकता है।

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Ajit Kumar Pandey
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1974 के बाद हुए आंदोलनों की होगी जांच, गृहमंत्री Amit Shah ने क्यों दिए यह आदेश? | यंग भारत न्यूज

1974 के बाद हुए आंदोलनों की होगी जांच, गृहमंत्री Amit Shah ने क्यों दिए यह आदेश? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । गृह मंत्री अमित शाह ने 1974 के बाद हुए सभी बड़े आंदोलनों की गहन जांच का आदेश दिया है। इस अभूतपूर्व कदम का उद्देश्य इन आंदोलनों के असली कारणों, उन्हें फंडिंग करने वालों और पीछे से काम करने वाले तत्वों का पर्दाफाश करना है। यह फैसला देश में विरोध प्रदर्शनों की दिशा और भविष्य को हमेशा के लिए बदल सकता है। भारत का इतिहास आंदोलनों से भरा पड़ा है। 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 का 'बिहार आंदोलन' हो या फिर हाल ही में हुए किसान आंदोलन और नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन, हर आंदोलन ने देश की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरी छाप छोड़ी है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इन आंदोलनों के पीछे की असली कहानी क्या है? कौन लोग हैं जो इन्हें हवा देते हैं और कहां से आता है पैसा? 

गृह मंत्री अमित शाह ने इसी सवाल का जवाब ढूंढने का बीड़ा उठाया है। उनके आदेश के बाद, एक हाई-लेवल कमिटी इन सभी बड़े आंदोलनों का एक-एक पहलू खंगालेगी। यह सिर्फ एक जांच नहीं, बल्कि भारत के आधुनिक इतिहास को फिर से समझने का प्रयास है। 

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "बीपीआरएंडडी को विशेष रूप से इन विरोध प्रदर्शनों के कारणों, पैटर्न और परिणामों का विश्लेषण करने के लिए कहा गया है, जिसमें पर्दे के पीछे के लोग भी शामिल हैं।" अधिकारी ने कहा, "यह निर्देश दिया गया है कि भविष्य में निहित स्वार्थों द्वारा बड़े पैमाने पर आंदोलन को रोकने के लिए अध्ययन के परिणामों के आधार पर एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की जाए।"

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शाह के निर्देशों के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) के अधीन बीपीआरएंडडी एक टीम गठित करने की प्रक्रिया में है जो राज्य पुलिस विभागों के साथ उनके अपराध जांच विभागों (सीआईडी) की रिपोर्टों सहित पुरानी केस फाइलों के लिए समन्वय करेगी।

एक अधिकारी के अनुसार, शाह ने बीपीआरएंडडी को ऐसे आंदोलनों के "वित्तीय पहलुओं" की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (एफआईयू-आईएनडी) और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जैसी वित्तीय जांच एजेंसियों को भी शामिल करने को कहा है।

जांच के दायरे में कौन-कौन से आंदोलन? 

गृह मंत्रालय की इस जांच में कई प्रमुख आंदोलनों को शामिल किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं: 

1974 का जयप्रकाश नारायण आंदोलन: जिसने आपातकाल की नींव रखी। 

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मंडल आयोग के विरोध में हुआ आंदोलन: जिसने भारतीय राजनीति में आरक्षण की बहस को नया आयाम दिया। 

अन्ना हजारे का जन लोकपाल आंदोलन: जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ देश को एकजुट किया। 

किसान आंदोलन और CAA विरोध प्रदर्शन: हाल के दिनों के सबसे बड़े और विवादित आंदोलन। 

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जांच के दौरान, इन आंदोलनों की फंडिंग के स्रोतों, विदेशी चंदे और राजनैतिक हस्तक्षेप की गहराई से पड़ताल की जाएगी। भारत में विरोध प्रदर्शन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, लेकिन क्या इसका इस्तेमाल गलत इरादों से किया जा रहा है? गृह मंत्रालय की यह जांच इसी सवाल का जवाब तलाशेगी।

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