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पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा के लिए तैयार विशाल रथ | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । ओडिशा में आज शुक्रवार 27 जून 2025 को लाखों भक्तों के दिलों की धड़कनें तेज हैं क्योंकि भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा शुरू हो रही है। अपने भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ, भगवान जगन्नाथ गुंडिचा मंदिर के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां वे एक सप्ताह तक निवास करेंगे। यह केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और सदियों पुरानी परंपरा का जीवंत उत्सव है। इस अद्वितीय आयोजन को सुरक्षित और सुचारु बनाने के लिए जहां भक्तगण पूरी लगन से जुटे हैं, वहीं प्रशासन और विभिन्न एजेंसियां भी कमर कस चुकी हैं। इस साल की रथ यात्रा सिर्फ भक्ति का नहीं, बल्कि सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजामों का भी एक बेमिसाल उदाहरण है।
आस्था का सैलाब: क्यों खास है यह रथ यात्रा?
पुरी की रथ यात्रा दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। हर साल, देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने पुरी पहुंचते हैं। यह यात्रा सिर्फ एक मूर्ति को खींचना नहीं, बल्कि स्वयं भगवान को अपने भक्तों के बीच आने का निमंत्रण है। भगवान जगन्नाथ, जिन्हें 'कलियुग का भगवान' भी कहा जाता है, इस दौरान अपने भक्तों के बीच आते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं। रथ यात्रा के दौरान निकलने वाली ऊर्जा और भक्ति का माहौल अद्वितीय होता है, जो हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
#WATCH | पुरी, ओडिशा: भगवान जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की गुंडिचा मंदिर तक की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा आज से शुरू होगी, जहां देवता एक सप्ताह तक निवास करते हैं और फिर श्री जगन्नाथ मंदिर लौट आते हैं। pic.twitter.com/fFXfrjbcCL
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 27, 2025
पुनर्जन्म का प्रतीक: मान्यता है कि इस यात्रा में भाग लेने या रथों को छूने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भाईचारे का संदेश: यह यात्रा जाति, धर्म और वर्ण के भेद को मिटाकर सभी को एक सूत्र में पिरोती है।
कला और संस्कृति का प्रदर्शन: रथों का निर्माण, पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य इस यात्रा को और भी जीवंत बनाते हैं।
इस बार भी, पुरी की सड़कें भक्तों से खचाखच भरी होंगी, जो 'जय जगन्नाथ' के उद्घोष से आसमान गुंजायमान करेंगे।
सुरक्षा चक्रव्यूह: कैसे तैयार है NDRF और प्रशासन?
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान उमड़ने वाली भारी भीड़ और संभावित आपदाओं को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) के डिप्टी कमांडेंट नवीन ने बताया कि कई एजेंसियां इस आयोजन के लिए तैनात हैं, और NDRF भी किसी भी आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उनके जवान हर तरह से प्रशिक्षित हैं और किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम हैं। यह दर्शाता है कि प्रशासन भक्तों की सुरक्षा को कितनी गंभीरता से ले रहा है।
संयुक्त प्रयास: जिला प्रशासन और NDRF ने मिलकर अब तक 4 मॉक ड्रिल आयोजित की हैं।
सामुदायिक जागरूकता: लोगों को आपदा के दौरान क्या करना चाहिए, इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए हैं।
विभिन्न एजेंसियों का समन्वय: पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, अग्निशमन विभाग और स्वयंसेवी संगठन भी रथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
इन तैयारियों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रथ यात्रा शांतिपूर्ण और बिना किसी बाधा के संपन्न हो। आपदा प्रबंधन के पुख्ता इंतजामों से भक्तों को भी सुरक्षा का भरोसा मिलता है।
रथ यात्रा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास सदियों पुराना है और इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ओडिया संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग है। रथों का निर्माण हर साल नए सिरे से होता है, जिसमें विशेष लकड़ियों का उपयोग किया जाता है। कारीगरों की पीढ़ियां इस कला को जीवित रखे हुए हैं, जो इस यात्रा को और भी विशेष बनाती है। रथ यात्रा के दौरान, भगवान को भक्तों के और करीब आने का अवसर मिलता है, जिससे एक अद्वितीय आत्मीय संबंध स्थापित होता है। इस साल भी, ये विशाल रथ भक्तों की आस्था को लेकर आगे बढ़ेंगे।
#WATCH | पुरी, ओडिशा: जगन्नाथ रथ यात्रा पर भाजपा सांसद संबित पात्रा ने कहा, "आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने जा रही है... आज भगवान रथ पर बैठकर अपनी मौसी गुडिंचा के मंदिर जाएंगे, वे 3 किलोमीटर की यह यात्रा रथ पर तय करेंगे। ओडिशा की, सनातन की कितनी सुंदर परंपरा है कि भगवान… pic.twitter.com/Kgmg7maIXe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 27, 2025
गुंडिचा मंदिर में लीला और वापसी यात्रा
एक सप्ताह तक गुंडिचा मंदिर में रहने के बाद, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपने मुख्य मंदिर, श्री जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे। इस वापसी यात्रा को 'बहुदा यात्रा' के नाम से जाना जाता है। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है, और वहां उनका निवास एक प्रतीकात्मक लीला है। यह पूरा पर्व लगभग दस दिनों तक चलता है, जो भक्तों को निरंतर भक्ति और आनंद में लीन रखता है।
डीएम ने बताई रथ यात्रा की तैयारियां
#WATCH | पुरी, ओडिशा: पुरी DM सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने रथ यात्रा की तैयारियों पर कहा, "सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं, पहंडी कार्यक्रम तय समय पर शुरू होगा... सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है, रात से ही सभी पुलिस वाहिनी अलर्ट पर है... रथ यात्रा के लिए काफी संख्या में फोर्स को… pic.twitter.com/e3ZNmY4opE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 27, 2025
सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं, पहंडी कार्यक्रम तय समय पर शुरू होगा... सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है, रात से ही सभी पुलिस वाहिनी अलर्ट पर है... रथ यात्रा के लिए काफी संख्या में फोर्स को तैनात किया गया है... हम आशा करेंगे कि रथ यात्रा शांतिपूर्ण तरीक से होगी..."
— सिद्धार्थ शंकर स्वैन, डीएम पुरी ओडिसा
आपदा से निपटने को तैयार है NDRF
#WATCH | पुरी, ओडिशा: NDRF डिप्टी कमांडेंट नवीन ने रथ यात्रा की तैयारियों पर कहा, "रथ यात्रा के लिए कई एजेंसियां यहां तैनात हैं, इसी कड़ी में NDRF भी तैनात है जो किसी भी आपदा से निपटने में सक्षम है, हमारे जवान हर तरह से प्रशिक्षित हैं... जिला प्रशासन के साथ मिलकर हमने 4 मॉक… pic.twitter.com/ZghT1RrzIg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 27, 2025
रथ यात्रा के लिए कई एजेंसियां यहां तैनात हैं, इसी कड़ी में NDRF भी तैनात है जो किसी भी आपदा से निपटने में सक्षम है, हमारे जवान हर तरह से प्रशिक्षित हैं... जिला प्रशासन के साथ मिलकर हमने 4 मॉक ड्रिल की हैं, इसके साथ ही हमने सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया है..."
— नवीन, NDRF डिप्टी कमांडेंट
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