नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत के पूर्व विदेश सचिव और रूस में भारत के पूर्व राजदूत कंवल सिब्बल ने पाकिस्तान और चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का गठन 1947 में सिर्फ इस उद्देश्य से हुआ था कि भारत पर लगातार रणनीतिक दबाव बना रहे। आज यह रणनीतिक खेल और भी जटिल हो गया है, जिसमें अब चीन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
पाकिस्तान की भूमिका अब भी कायम चीन बना नया मोहरा
मंगलवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने विचार साझा करते हुए कंवल सिब्बल ने लिखा कि
पाकिस्तान को भारत पर दबाव बनाए रखने के लिए बनाया गया था और यह भू-राजनीतिक खेल आज भी जारी है। चीन इस खेल में एक मुख्य खिलाड़ी बन चुका है। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समितियों में पाकिस्तान की भूमिका से भी स्पष्ट है। सिब्बल ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान को तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और आतंकवाद-रोधी समिति का उपाध्यक्ष बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह चीन द्वारा पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर खुला समर्थन देने का प्रतीक है।
पाक सेना प्रमुख असीम मुनीर पर भी तीखा हमला
पूर्व विदेश सचिव ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर भी निशाना साधा। उन्होंने
मुनीरको “कट्टर हिंदू विरोधी” बताते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में भारत-पाक रिश्तों में सुधार की कोई उम्मीद नहीं बची है। “हमने पाकिस्तान से वर्षों तक संवाद किया, लेकिन वहां की सोच नहीं बदली। अब एक हिंदू विरोधी फील्ड मार्शल सेना का नेतृत्व कर रहा है। जब तक कश्मीर एजेंडा रहेगा, पाकिस्तान गंभीर बातचीत नहीं करेगा,” सिब्बल ने कहा।
IMF से बार-बार मदद ले रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को लेकर भी कंवल सिब्बल ने तल्ख टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान 22वें IMF बेलआउट पैकेज पर है, जबकि भारत ने 1993 के बाद से कभी IMF की वित्तीय मदद नहीं ली। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि दिवालियेपन के बावजूद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों से बार-बार राहत मिल जाती है।
भारत की रणनीति सोशल मीडिया नहीं
पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को लेकर भारत की रणनीति पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए सिब्बल ने कहा, कि यह कहना अनुचित है कि भारत पाकिस्तान की सैन्य ताकत को नजरअंदाज करता है। बालाकोट स्ट्राइक से लेकर हाल के पहलगाम हमले तक भारत की नीति स्पष्ट है — हम संघर्ष को सीमित दायरे में रखने की रणनीति अपनाते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखता है, लेकिन नीति सोशल मीडिया की राय से नहीं, बल्कि ठोस रणनीतिक विश्लेषण पर तय होती है।
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