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Rahul Gandhi पुंछ में पीड़ितों से करेंगे मुलाकात

24 मई को Rahul Gandhi पुंछ पहुंचेंगे, जहां वे पाकिस्तान की गोलीबारी में पीड़ित परिवारों से मिलेंगे। यह दौरा मानवीय सहानुभूति के साथ-साथ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल भी खड़े करता है।

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Ajit Kumar Pandey
RAHUL GANDHI

RAHUL GANDHI Photograph: (RAHUL GANDHI)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सीमा पर बिछड़ी ज़िंदगियों का दर्द लेकर पुंछ पहुंचेंगे राहुल गांधी। पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में जान गंवाने वालों के परिजनों से करेंगे मुलाकात। राजनीति से अलग मानवीय भावनाओं की तस्वीर पेश करेंगे कांग्रेस नेता। पुंछ का यह दौरा सिर्फ हमदर्दी नहीं, बल्कि सरकार पर दबाव की रणनीति भी माना जा रहा है। 24 मई को यह मुलाकात कई सवालों और सुर्खियों को जन्म दे सकती है।

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कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi 24 मई को जम्मू-कश्मीर के पुंछ का दौरा करेंगे, जहां वे हाल ही में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी में प्रभावित परिवारों से मुलाकात करेंगे। इस दौरे को मानवता और सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर केंद्रित बताया जा रहा है। राहुल का यह कदम जहां ज़मीनी पीड़ा को उजागर करेगा, वहीं केंद्र सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े कर सकता है।

पुंछ का दर्द: गोलियों की गूंज और सन्नाटे की चीखें

जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हाल ही में पाकिस्तान की ओर से हुई गोलीबारी ने कई परिवारों को गहरे दर्द में धकेल दिया। ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन पीड़ित परिवारों से मिलने का निर्णय लिया है, जिससे उन्हें राहत और सहानुभूति मिल सके।

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राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है। पुंछ में वह उन परिवारों से बात करेंगे, जिनके घरों में मौत की सन्नाटा पसरा हुआ है। यह भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की एक और कोशिश है – देश की आवाज़ बनने की।

सरकार पर सवाल: क्या पर्याप्त है बॉर्डर सिक्योरिटी?

राहुल के इस कदम को लेकर यह बहस भी तेज़ हो गई है कि क्या केंद्र सरकार सीमा सुरक्षा को लेकर नाकाम रही है? बार-बार हो रही गोलीबारी, और नागरिकों की जान जाना – यह देश की सुरक्षा नीति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

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पुंछ का राजनीतिक संदेश

राहुल गांधी का यह दौरा 2024 के चुनावी माहौल में एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी देता है। वह जहां जनता के दर्द में शरीक होंगे, वहीं BJP को अप्रत्यक्ष रूप से कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेंगे।

पीड़ितों की उम्मीदें

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सीमा पर रहने वाले परिवारों की उम्मीदें अब राहुल गांधी जैसे नेताओं से जुड़ गई हैं। उन्हें उम्मीद है कि कोई तो उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचाएगा, कोई तो उनकी सुरक्षा का ठोस हल निकालेगा।

क्या आपको लगता है कि सीमावर्ती नागरिकों की सुरक्षा पर सरकार को और गंभीर होना चाहिए? नीचे कमेंट करें और अपनी राय दें।

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