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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः तमिलनाडु के रहने वाले सीपी राधाकृष्णन को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने उप राष्ट्रपति चुनाव में उतारा तो एमके स्टालिन के लिए अगर मगर की स्थिति पैदा कर दी। स्टालिन पूरा जोर लगाए थे कि तमिलनाडु के वैज्ञानिक को इंडिया ब्लाक अपना उम्मीदवार बना ले। स्टालिन के दिल की मुराद तो पूरी नहीं हो सकी लेकिन राहुल गांधी ने जो पासा फेंका उसमें स्टालिन जैसी स्थिति में चंद्रबाबू नायडू फंस गए। विपक्ष के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं। अब सवाल ये है कि नायडू कैसे उनको अनदेखा करते हैं।
नायडू के सामने स्टालिन जैसा धर्म संकट
इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी के नहले पर राहुल ने जो दहला मारा है वो एक मास्टर स्ट्रोक जैसा है। मोदी ने डीएमके को धर्मसंकट में डाला था राहुल ने पलटवार करते हुए टीडीपी को वैसी ही स्थिति में ला खड़ा किया। विपक्ष के इस कदम से केंद्र में भाजपा की प्रमुख सहयोगी एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी के लिए दुविधा पैदा हो गई है। तेदेपा नेतृत्व ने पहले ही एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। अब वो उसी सवाल का सामना कर रहे हैं जिसका सामना द्रमुक कर रही है। क्या वह अपने सूबे के रिटायर जज को अनदेखा करके एनडीए के निर्देशों का पालन करेंगे?
पहले करते थे वकालत फिर जज बने रेड्डी
जस्टिस रेड्डी आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले से हैं। वो पहले वकालत करते थे। 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का जज बनाया गया। 2005 में वो गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। जनवरी 2007 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। जुलाई 2011 में वे सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने गोवा के पहले लोकायुक्त के रूप में भी काम किया।
इससे पहले, एनडीए द्वारा महाराष्ट्र के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को चुने जाने से एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके के लिए दुविधा पैदा हो गई थी। तमिल गौरव इस दक्षिणी राज्य में एक भावनात्मक मुद्दा है। भाजपा ने डीएमके पर राजनीति से आगे बढ़कर एनडीए के उम्मीदवार का समर्थन करने का दबाव डाला। हालांकि, डीएमके ने कहा कि भाजपा के चयन के पीछे सियासत है।
अब, टीडीपी के सामने भी ऐसा ही एक सवाल है। एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली यह पार्टी केंद्र में भाजपा की एक प्रमुख सहयोगी है। नायडू आंध्र प्रदेश में सत्ता में है। नायडू के बेटे और राज्य मंत्री नारा लोकेश ने हाल ही में राधाकृष्णन से मुलाकात करके उन्हें एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने पर बधाई दी।
रेड्डी और केसीआर भी बदल सकते हैं पाला
विपक्ष की घोषणा के साथ टीडीपी के सामने एक सवाल खड़ा है। आंध्र के जज या तमिल राजनेता? एनडीए के फैसले के साथ रहे तो टीडीपी के प्रतिद्वंद्वियों को राजनीतिक हमले करने का मौका मिल जाएगा। टीडीपी के अलावा दो अन्य दल अब अपने विकल्पों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी और के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति अब विपक्ष के साथ अपने मतभेदों को भुलाकर जज का समर्थन करने की राह पर आगे बढ़ सकती है।
भितरघात के हालात बनते दिख रहे
हालांकि नंबर गेम में उपराष्ट्रपति चुनाव भाजपा के पक्ष में जाता दिख रहा है। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इसमें 782 सदस्य हैं। इसका मतलब है कि जीतने वाले पक्ष के पास कम से कम 392 वोट होने चाहिए। एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 133 सीटें हैं। नंबर इशारा कर रहे हैं कि भाजपा आसानी से सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति बना देगी। लेकिन एनडीए के कुछ सदस्य अगर विपक्ष के पाले में चले गए तो स्थिति बदल सकती है। अब ऐसा होता दिख रहा है।
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