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"राज ठाकरे की 'गुंडागर्दी' या राजनीति की बड़ी चाल? सामने आए चौंकाने वाले सबूत"

2007 में मुंबई में रेलवे भर्ती पर राज ठाकरे की MNS हिंसा भड़की, बिहारी छात्रों को निशाना बनाया। बिहार में भी जबरदस्त विरोध हुआ। निशिकांत दुबे ने इसे ठाकरे की "गुंडागर्दी" बताकर चुनाव से जोड़ा। यह घटना क्षेत्रीयता बनाम राजनीतिक लाभ का खतरनाक खेल दिखाती है।

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Ajit Kumar Pandey
NISHIKANT DUBEY RAJ THAKAREY

"राज ठाकरे की 'गुंडागर्दी' या राजनीति की बड़ी चाल? सामने आए चौंकाने वाले सबूत" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।महाराष्ट्र में चल रहा भाषा विवाद अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। ठाकरे बंधुओं की मिलन से गैर मराठी भाषा बोलने वाले नागरिकों की आफत बढ़ना तय है। उधर, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस पूरे मामले को लेकर राज ठाकरे पर सीधा हमला बोला है। 2007 के विकीलीक्स का हवाला देते हुए दुबे ने एक्स पर कहा कि राज ठाकरे को जनता का समर्थन नहीं मिलता, तो वह "गुंडे" को आगे करते हैं, जिसका मतलब है कि "गुंडागर्दी ही उनका मकसद है"।

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उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुंबई महानगर पालिका के आगामी चुनाव में हार के डर से राज ठाकरे चुनाव से ठीक पहले ऐसी "गुंडागर्दी" करते हैं। दुबे ने जोर देकर कहा कि उनका विरोध ठाकरे की गुंडागर्दी से है और सहनशीलता की सीमाएं अब खत्म हो गई हैं।

आपको बता दें कि अक्टूबर 2007 में मुंबई और बिहार के बीच गहराया विवाद, जब राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने रेलवे भर्ती परीक्षा में उत्तर भारतीय हिंदी-भाषी उम्मीदवारों को निशाना बनाया। इस हिंसा से बिहार में भी व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जहां छात्रों ने ट्रेनें रोकीं और रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ की। क्या यह सिर्फ एक भर्ती विवाद था या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक साजिश थी?

मुंबई में फूटा हिंसा का ज्वालामुखी: राज ठाकरे के निशाने पर बिहारी

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2007 का वह दौर, जब मुंबई में बिहारी और उत्तर भारतीय समुदाय के खिलाफ राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने मोर्चा खोल दिया था। रेलवे भर्ती परीक्षा को लेकर शुरू हुआ यह विवाद जल्द ही खूनी संघर्ष में बदल गया। एमएनएस कार्यकर्ताओं ने खुलेआम हिंदी भाषी उम्मीदवारों पर हमला किया, रेलवे भर्ती केंद्रों पर तोड़फोड़ की और शहर में डर का माहौल बना दिया। यह सिर्फ एक परीक्षा का मामला नहीं था, बल्कि क्षेत्रीयता और भाषा के नाम पर भड़काई गई नफरत का एक भयावह प्रदर्शन था। क्या यह मुंबई में आगामी चुनावों की आहट थी?

बिहार में जवाबी हमला: जब रेलवे स्टेशनों पर गरजे छात्र

मुंबई में हुई हिंसा की आग जल्द ही बिहार तक पहुंच गई। छात्रों और युवाओं में भारी आक्रोश था। उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। बिहार के पटना, जेहानाबाद, बरह, खुसरुपुर, फतुहा, सहरसा, आरा, सासाराम, पूर्णिया और भागलपुर जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनें रोकी गईं, तोड़फोड़ की गई और रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया गया। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और गोलीबारी का सहारा लेना पड़ा। सासाराम में तो पुलिस ने एक हजार से ज्यादा छात्रों को हिरासत में ले लिया।

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मराठा समाज: सम्मान और सहिष्णुता की अपील

निशिकांत दुबे ने अपनी पोस्ट में मराठा समाज के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए कहा कि मराठा समाज हमेशा आदरणीय रहा है और "देश हम सबका है"। उन्होंने याद दिलाया कि जहां से वह सांसद हैं, वहां से मराठा मधु लिमये जी लगातार तीन बार सांसद रहे। इंदिरा गांधी के विरोध में भी उन्होंने मराठा को लोकसभा जिताया था। दुबे ने राज ठाकरे से होश में आने और अपनी लड़ाई को "मराठा" न बनाने की अपील की। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मुंबई के विकास में उनका भी योगदान है और रहेगा।

यह विवाद सिर्फ क्षेत्रीयता का मुद्दा नहीं था, बल्कि राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही विभाजनकारी राजनीति का एक उदाहरण था। क्या राज ठाकरे की रणनीति ने उन्हें कोई फायदा पहुंचाया या सिर्फ समाज में दरार पैदा की? यह सवाल आज भी प्रासंगिक है।

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घटनाक्रम की प्रमुख बातें

21-25 अक्टूबर 2007: मुंबई में MNS कार्यकर्ताओं द्वारा रेलवे भर्ती केंद्रों पर हमला।

25 अक्टूबर 2007: बिहार में छात्रों द्वारा एक दिवसीय रेल हड़ताल का आह्वान।

सीएम नीतीश कुमार का हस्तक्षेप: पीएम मनमोहन सिंह से बात की।

बिहार में विरोध प्रदर्शन: ट्रेनें रोकी गईं, रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़।

पुलिस कार्रवाई: लाठीचार्ज, गोलीबारी, 1000 से अधिक छात्र हिरासत में।

निशिकांत दुबे का आरोप: राज ठाकरे पर "गुंडागर्दी" और राजनीतिक लाभ के लिए हिंसा भड़काने का आरोप।

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