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"भाषाई नफरत" पर घमासान : SC में राज ठाकरे के खिलाफ याचिका, बढ़ीं कानूनी मुश्किलें

राज ठाकरे के खिलाफ SC में PIL! हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में FIR की मांग से हड़कंप। क्या हेट स्पीच पर लगेगी लगाम? देश में नई बहस छिड़ी, राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ीं।

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Ajit Kumar Pandey

"भाषाई नफरत" पर घमासान : SC में राज ठाकरे के खिलाफ याचिका, बढ़ीं कानूनी मुश्किलें | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ कथित तौर पर हिंसा भड़काने और भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के आरोप में राज ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है। यह याचिका वकील घनश्याम उपाध्याय ने दाखिल की है, जिससे राज ठाकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और देश में हेट स्पीच को लेकर नई बहस छिड़ गई है।

मनसे प्रमुख राज ठाकरे अक्सर अपने बयानों और रैलियों में हिंदी भाषी लोगों के खिलाफ मुखर रहे हैं। उन पर आरोप है कि उनके भाषणों से कई बार महाराष्ट्र में हिंसा और तनाव का माहौल बना है। यह याचिका इन्हीं कथित भड़काऊ भाषणों और भाषा आधारित नफरत फैलाने के आरोपों पर केंद्रित है। याचिकाकर्ता घनश्याम उपाध्याय ने तर्क दिया है कि राज ठाकरे के बयानों से देश की एकता और अखंडता को खतरा है और इन पर लगाम लगाना बेहद ज़रूरी है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा, जिससे राज ठाकरे के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल उठने लगे हैं।

जब राज ठाकरे के बयान बने सुर्खियां

राज ठाकरे का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2008 में, उनके महाराष्ट्र छोड़ो आंदोलन के बाद उत्तर भारतीयों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाएं भी प्रभावित हुई थीं। तब से लेकर अब तक, उनके कई बयान हिंदी भाषी लोगों और बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों के खिलाफ रहे हैं। इन बयानों को अक्सर 'मराठी मानुष' की अस्मिता से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये सिर्फ नफरत फैलाने का काम करते हैं। इस जनहित याचिका (PIL) के बाद, राज ठाकरे को इन आरोपों का सामना सुप्रीम कोर्ट में करना होगा।

क्या है जनहित याचिका (PIL)?

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एक जनहित याचिका (PIL) एक ऐसा कानूनी उपकरण है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजनिक हित से जुड़े मुद्दों पर न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सकता है। वकील घनश्याम उपाध्याय ने इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए राज ठाकरे के खिलाफ यह याचिका दायर की है। इस याचिका में अदालत से यह मांग की गई है कि राज ठाकरे और उनके सहयोगियों पर FIR दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए। इसका मकसद सिर्फ राज ठाकरे को कटघरे में खड़ा करना नहीं, बल्कि हेट स्पीच पर एक कड़ा संदेश देना भी है।

हेट स्पीच और कानून की पेचीदगियां

भारत में हेट स्पीच को लेकर कानून काफी जटिल हैं। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 113 (विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) और धारा 115(2) (धार्मिक भावनाओं के जानबूझकर अपमान) जैसी धाराएं हेट स्पीच के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करती हैं।  हालांकि, 'हेट स्पीच' की सटीक परिभाषा अक्सर बहस का विषय रही है। सुप्रीम कोर्ट में राज ठाकरे के खिलाफ इस PIL की सुनवाई से हेट स्पीच को परिभाषित करने और उस पर नियंत्रण पाने के लिए नए दिशानिर्देश भी सामने आ सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।

महाराष्ट्र की राजनीति और राज ठाकरे का प्रभाव

राज ठाकरे की मनसे महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है, खासकर मुंबई और पुणे जैसे शहरी इलाकों में। मराठी अस्मिता और क्षेत्रीय पहचान को लेकर उनका आक्रामक रुख उनके समर्थकों को आकर्षित करता है। हालांकि, उनके बयानों के कारण उन्हें अक्सर आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ता है। यह PIL ऐसे समय में आई है जब महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं और आगामी चुनावों को लेकर भी चर्चाएं गरम हैं। राज ठाकरे पर लगे ये आरोप उनके राजनीतिक भविष्य को कैसे प्रभावित करते हैं, यह देखना बाकी है।

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सुप्रीम कोर्ट अब इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा और याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच करेगा। अगर सुप्रीम कोर्ट राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश देता है, तो यह देश में हेट स्पीच के खिलाफ एक ऐतिहासिक फैसला साबित हो सकता है। यह न सिर्फ राज ठाकरे के लिए, बल्कि ऐसे सभी राजनेताओं और संगठनों के लिए एक मिसाल कायम करेगा जो भाषा, धर्म या क्षेत्र के आधार पर नफरत फैलाते हैं। इस फैसले का इंतजार पूरे देश को रहेगा, क्योंकि यह भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक व्यवस्था के बीच संतुलन स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हेट स्पीच पर लगाम लगाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम हो सकता है।

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