/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/11/V7ssIW5FnPt8w3bs9BBv.jpg)
राजस्थान के सांभर झील में राजहंसों की वापसी से दिखा अद्भुत नजारा | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।राजस्थान की सांभर झील एक बार फिर प्रवासी पक्षियों के स्वागत में सज गई है। इस बार हजारों की संख्या में खूबसूरत राजहंस (फ्लेमिंगो) यहां उतरे हैं। मध्य एशियाई फ्लाईवे के तहत ये पक्षी हर साल यहां आते हैं, लेकिन इस बार इनकी संख्या रिकॉर्ड तोड़ रही है। यह दृश्य पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा।
राजस्थान की सांभर साल्ट लेक, जो भारत की सबसे बड़ी खारी पानी की झील मानी जाती है, इन दिनों प्रवासी पक्षियों, खासतौर पर राजहंसों (Flamingos) से गुलजार है। हर ओर इन पक्षियों की चहचहाहट और गुलाबी छटा फैली हुई है। मध्य एशियाई फ्लाईवे के जरिए आने वाले ये पक्षी, सर्दियों के मौसम में हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते हैं।
यह नज़ारा सिर्फ एक पर्यावरणीय चमत्कार नहीं, बल्कि प्राकृतिक पर्यटन का ज़िंदा उदाहरण भी बन चुका है।
#WATCH | Jaipur | Flamingos flock to Rajasthan's Sambhar Salt Lake.
— ANI (@ANI) June 11, 2025
Along the Central Asian Flyway, a significant migratory route, Sambhar is one of the most favoured destinations for migratory birds, especially Flamingos. pic.twitter.com/OvgQK0pjMO
मध्य एशियाई फ्लाईवे: एक जीवनदायिनी राह
मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway) दुनिया के उन प्रमुख प्रवासी पक्षी मार्गों में से एक है, जो उत्तरी एशिया से दक्षिण एशिया तक फैला हुआ है। यही मार्ग हजारों प्रवासी पक्षियों को भारत के सुरक्षित और भोजन से भरपूर जलाशयों तक पहुंचने में मदद करता है।
सांभर झील, इस रूट का सबसे अहम पड़ाव मानी जाती है, खासकर राजहंसों के लिए, जिन्हें यहां की जलवायु, खारापन और भोजन बेहद अनुकूल लगता है।
पर्यटकों के लिए बना आकर्षण का केंद्र
सांभर झील का यह अद्भुत दृश्य, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हजारों लोग इस प्राकृतिक नज़ारे को देखने के लिए पहुंच रहे हैं। फोटोग्राफर्स, बर्ड वॉचर्स और वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं।
यह दृश्य पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है और स्थानीय लोगों को रोजगार का मौका भी दे रहा है।
/young-bharat-news/media/media_files/2025/06/11/lIuluT97hfH5mnG1d2dW.jpg)
जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए वरदान
राजहंसों की इतनी बड़ी संख्या में मौजूदगी इस बात की पुष्टि करती है कि सांभर झील की पारिस्थितिकी प्रणाली अब भी जीवंत है। यह झील हजारों प्रकार के जलीय जीवों, शैवाल और प्लवकों (planktons) का घर है, जो इन पक्षियों के लिए भोजन का स्रोत हैं।
बर्ड्स की वापसी का मतलब है कि पर्यावरणीय संरक्षण के प्रयास सफल हो रहे हैं।
लेकिन चुनौती भी मौजूद
हालांकि यह दृश्य मन को सुकून देता है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर झील की सफाई, जल प्रबंधन और बायोडायवर्सिटी को संरक्षित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में यह दृश्य दुर्लभ हो सकता है।
राज्य सरकार और पर्यावरण संस्थानों को मिलकर झील की रक्षा करनी होगी ताकि यह प्राकृतिक धरोहर बची रहे।
स्थानीय लोग बोले – “प्रकृति ने फिर किया चमत्कार”
झील के पास रहने वाले कई ग्रामीणों ने बताया कि पहले ये पक्षी कम ही दिखते थे, लेकिन इस बार उनका झुंड देख दिल खुश हो गया। कुछ ने इसे प्रकृति का वरदान तो कुछ ने सांभर झील की आत्मा की वापसी कहा।
प्रकृति जब खिलती है, तो सांभर जैसी तस्वीरें बनती हैं
राजस्थान की सांभर झील में इस समय जो हो रहा है, वो सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि इंसान और प्रकृति के रिश्ते का अद्भुत उदाहरण है। यह खबर हर उस इंसान के लिए है जो पर्यावरण, पक्षियों और जैव विविधता से प्रेम करता है।
क्या आप भी इस दृश्य को देखने सांभर जाना चाहेंगे? क्या राजहंसों की वापसी को आप उम्मीद की किरण मानते हैं? नीचे कमेंट करके ज़रूर बताएं।
rajasthan | Tourists |