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Ram Gopal Varma ने SC के स्ट्रीट डॉग फैसले पर साधा निशाना, डॉग लवर्स से पूछा बड़ा सवाल

फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के स्ट्रीट डॉग्स फैसले पर कड़ा रिएक्शन दिया। उन्होंने डॉग लवर्स से सवाल किया कि जब मासूम बच्चों पर आवारा कुत्तों ने हमला किया था, तब उनकी आवाज क्यों नहीं उठी। पढ़ें पूरी खबर।

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Dhiraj Dhillon
Ram Gopal Varma
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। फेमस फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा अक्सर अपनी फिल्मों से ज्यादा अपने बेबाक बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के स्ट्रीट डॉग्स पर दिए फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया है, जिसे लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। जहां एक तरफ डॉग लवर्स इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राम गोपाल वर्मा ने डॉग लवर्स की सोच पर सवाल उठाते हुए कड़ा बयान दिया है।

राम गोपाल वर्मा का डॉग लवर्स पर तंज

राम गोपाल वर्मा ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा- “हे डॉग लवर्स, आप सभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चिल्ला रहे हैं, लेकिन तब कहां थे जब चार साल की बच्ची को दिनदहाड़े आवारा कुत्तों ने मार डाला था? हर साल हजारों लोग कुत्तों के हमलों का शिकार होते हैं। क्या आपका प्यार सिर्फ उन जानवरों के लिए है जो दुम हिलाते हैं? क्या मरे हुए बच्चों की गिनती नहीं होती?” उन्होंने आगे कहा कि कुत्तों से प्यार करना बुरा नहीं है, लेकिन यह प्यार अपने आलीशान घरों और बंगलों के अंदर करें, न कि गरीबों की बस्तियों और सड़कों पर।

“कुत्तों का आतंक सड़कों और झुग्गियों में है”

राम गोपाल वर्मा ने लिखा कि असली समस्या झुग्गियों और गरीबों की गलियों में है, जहां छोटे बच्चे बिना सुरक्षा के खेलते हैं और आवारा कुत्तों का आतंक फैला हुआ है। जबकि अमीर लोग अपने पालतू लैब्राडोर और हस्की जैसे हाई-ब्रीड डॉग्स पर प्यार लुटाते हैं और उनकी देखभाल के लिए वर्कर्स रखते हैं।

“बच्चों के अधिकारों का क्या?”

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फिल्ममेकर ने सवाल उठाया- आप कुत्तों के अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन बच्चों के जीने के अधिकार का क्या? क्या एक बच्चे का जीवन आपके इंस्टाग्राम पर डॉग्स के साथ ली गई तस्वीरों से कम मायने रखता है? अगर सच में कुत्तों से प्यार करते हैं तो उन्हें गोद लें, खाना खिलाएं और घर में सुरक्षित रखें। लेकिन अपने प्यार का बोझ सड़कों पर न डालें, जहां यह किसी और के बच्चे की मौत का कारण बने। राम गोपाल वर्मा ने अंत में लिखा- एक ऐसा समाज जो आवारा कुत्ते की जान को बच्चों की जान से ज्यादा महत्व देता है, उसने पहले ही अपनी मानवता खो दी है।

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