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RBI EX Governor की PM Modi को सलाह,  'फ्रीबीज' पर आचार संहिता बनाएं

आरबीआई के EX Governorडी सुब्बाराव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि वे मुफ्त की सुविधाओं (फ्रीबीज) के मामले में पहल करें और राज्यों के साथ मिलकर आचार संहिता बनाएं। 

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Mukesh Pandit
EX RBI Subbarav

Photograph: (file)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि वे मुफ्त की सुविधाओं (फ्रीबीज) के मामले में पहल करें और राज्यों के साथ मिलकर आचार संहिता बनाएं। सुब्बाराव ने हर राजनीतिक दल, राज्य सरकार और केंद्र पर 'प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद' में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारों को मुफ्त सुविधाएं देने के लिए उधार लेना पड़ता है। 

पीएम पर भी तंज, वे कहते हैं रेवड़ियां, भाजपा करती है मुफ्त का ऐलान

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने स्पष्ट किया कि यह जारी नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले मोदी ने मुफ्त सुविधाओं या ‘रेवड़ियों’ के खिलाफ बात की थी, लेकिन भाषण के दो सप्ताह बाद ही उनकी भाजपा उत्तर प्रदेश में मुफ्त सुविधाएं देने वाली ‘अग्रणी’ पार्टी बन गई। सुब्बाराव ने यहां एनएसई के एक कार्यक्रम में कहा, “मुझे लगता है कि वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री को यह कहना चाहिए कि हम राज्य सरकारों के साथ बातचीत करने जा रहे हैं और हमें एक आचार संहिता की आवश्यकता है। जैसे कि हमने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर), एफआरबीएम (राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम) पर केंद्र-राज्य सहयोग किया है, ताकि मुफ्त सुविधाओं पर आचार संहिता बनाई जा सके।” 

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कहां, गरीबी के कारण 90 करोड़ लोग असुरक्षित 

उन्होंने स्वीकार किया कि गरीबी के कारण 90 करोड़ लोग असुरक्षित हैं तथा अन्य 30 करोड़ लोग निर्वाह स्तर पर जीवन यापन कर रहे हैं। सरकारों पर सहायता प्रदान करने का 'दायित्व' है। हालांकि, उन्होंने तुरंत यह भी कहा कि इसकी 'सीमाएं' होनी चाहिए। सुब्बाराव ने कहा कि सरकार मुफ्त सुविधाओं के वित्तपोषण के लिए उधार लेती है, जो उपभोग पर व्यय के अलावा और कुछ नहीं है।

उन्होंने इस उधार और शिक्षा ऋण के बीच अंतर स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी के पेशेवर करियर शुरू करने के बाद उसकी भावी आय से शिक्षा ऋण का भुगतान किया जाएगा, जबकि सरकारों के मामले में, धन का उपयोग केवल उपभोग के लिए किया गया है, तथा किसी भी परिसंपत्ति का निर्माण नहीं किया गया है। 

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