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दिल्ली में आरएसएस का नया दफ्तर केशव कुंज बढ़कर तैयार हो गया है । 2018 में शुरू हुआ नए बिल्डिंग का काम लगभग 7 साल में पूरा हुआ है। आधुनिक सुविधाओं से युक्त आरएसएस के दफ्तर में 300 कमरे बनाए गए हैं जिसमें देश भर से आने वाले स्वयंसेवकों के ठहरने की व्यवस्था होगी।
150 करोड की लागत से बना है आरएसएस का दफ्तर
अभी तक आरएसएस का दफ्तर करोल बाग में चल रहा था। प्रधानमंत्री मोदी के बनते ही संघ के नए दफ़तर की कवायद शुरू हो गई थी। मोदी के पहले कार्यकाल में ही संघ के नए दफ्तर की आधारशिला 1918 में रखी गई थी। हालांकि आरएसएस यहां पर 1962 से अपना काम कर रहा है लेकिन समय के साथ संघ के कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ाने और देशभर से आने वाले स्वयंसेवकों के लिए ठहरने और प्रशिक्षण के लिए आधुनिक दफ्तर की जरूरत थी इसी को ध्यान में रखकर दिल्ली में नए दफ्तर केशव कुंज का निर्माण शुरू किया गया करीब 150 करोड़ की लागत से बनने वाले इस दफ्तर का काम लगभग पूरा हो चुका है।
पौने चार एकड में लाइब्रेरी के साथ अस्पताल भी
संघ के नए दफ़तर में सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है। इसमें लाइब्रेरी से लेकर अस्पताल तक शामिल है। लाइब्रेरी में देश विदेश के सभी प्रकार का साहित्य उपलब्ध होगा । फिलहाल 3:75 एकड़ में इस दफ्तर का निर्माण किया गया है दफ्तर में स्वयंसेवकों को देखने के साथ संघ प्रमुख सहित तमाम वरिष्ठ पदों पर बैठे पदाधिकारी के दफ्तर के साथ उनके रहने के लिए व्यवस्था की गई है आने वाले दिनों में उसे इसका उद्घाटन किया जाएगा।
दो हाल में 650 व 463 लोग बैठ सकते है
आधुनिक दफ़तर में दो बडे आकार के हॉल बनाए गए है। बडे हॉल में एक साथ 650 व्यक्तियों की बैठने की व्यवस्था है। जबकि दूसरे हॉल में 463 लोग संघ की विचारधार पर मंथन कर सकते है। हाल में सभी प्राकर हाइ्रटेक सुविधाएं उपलब्ध होगी। इसमें टेलीप्रोजेक्टर के साथ सभी प्रकार के संचार उपकरण मौजूद होंगे।
आधुनिक दफ्तर से संघ की विचारधारा फैलाने में मिलेगी मदद
संघ का मानना है कि आधुनिक दफ्तर खुलने से संस्था के विस्तार और उसके अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ाने में मदद मिलेगी। पुरान दफ़तर में पदाधिकारियों के रूकने की व्यवस्था थी लेकिन बडे आयोजनों में एक साथ लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी। नए दफ़तर में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में वरिष्ठ पदाधिकारी को एक साथ प्रशिक्षण और संदेश देने में मदद मिलेगी।