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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः चुनाव आयोग (ईसी) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत को अपने समक्ष पेश होने के लिए तलब किया है। आयोग ने अपने आदेश का पालन नहीं करने पर उन्हें तलब किया है। आयोग ने राज्य सरकार के पांच कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इन कर्मचारियों में दो अधिकारी भी शामिल हैं। ये कर्मचारी हाल ही में पूर्वी मिदनापुर के मोयना और दक्षिण 24 परगना के बरुईपुर पूर्व विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची में फर्जी नाम जोड़ने में संलिप्त पाए गए थे।
तीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई
चुनाव आयोग की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही पंत ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर बताया था कि इन कर्मचारियों में से दो सुदीप्त दास और सुरोजीत हलधर को उनके चुनावी पदों से हटा दिया गया था, लेकिन तीन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि इससे उनकी ईमानदारी पर सवाल उठता और सरकारी काम के प्रति उनकी भावना कम होती। तमलुक ब्लॉक में पंचायत लेखा एवं लेखा परीक्षा अधिकारी दास मोयना में सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (एईआरओ) के पद पर तैनात थे, जबकि हलदर एक अस्थायी डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम करते थे।
5 अगस्त को चुनाव आयोग ने पंत से दास, हलदर और तीन अन्य कर्मियों पर एक्शन लेने को कहा था। सभी को निलंबित करने और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के साथ केस दर्ज करने का निर्देश दिया था। हालांकि चीफ सेक्रेट्री चुप्पी साध गए। उनका कहना था कि सरकार की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।
पहले अलपन को लेकर उलझ चुकी हैं ममता
वैसे ममता बनर्जी की सरकार और केंद्र के बीच ये पहली बार रस्साकस्सी नहीं हुई है। 2012 में केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार में टकराव के बीच पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलप्पन बंदोपाध्याय ने पद से इस्तीफा दे दिया था। वो टीम ममता से जुड़ गए थे। केंद्र सरकार के दिल्ली आने के फरमान के बीच यह फैसला लिया गया। ममता बनर्जी ने बंदोपाध्याय को तीन साल के लिए अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया था। ममता ने इस फैसले के साथ साफ संकेत दिया कि वे इस सियासी टकराव के बीच झुकने वाली नहीं हैं।
तूफान यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की थी। लेकिन कहते हैं कि ममता बनर्जी और मुख्य सचिव बंदोपाध्याय ने उन्हें 30 मिनट तक इंतजार कराया। ममता बनर्जी चक्रवात संबंधी दस्तावेज पेश करने के बाद दूसरे कार्यक्रम का हवाला देकर वहां से चली भी गईं।
इसके अगले ही दिन कार्मिक मंत्रालय ने चिट्ठी लिखकर बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त करके वापस केंद्र सरकार की सेवा में भेंजने का निर्देश जारी किया था। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त करने से मना कर दिया था। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले ही बंदोपाध्याय को तीन महीने का सेवा विस्तार दिया था। इस मामले के तकरीबन चार साल बाद बंगाल सरकार से केंद्र फिर उलझने के मूड में है। तब निशाना अलपन थे तो अब मनोज पंत हैं। खास बात है कि दोनों की मुख्य सचिव हैं।
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