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कांप उठेगा पाकिस्तान? रूस ने की भारत को T-14 अर्माटा टैंक की पेशकश, Make in India का भी ऑफर

रूस ने भारत को अगली पीढ़ी के T-14 अर्माटा टैंक देने की पेशकश की है। खास बात यह है कि रूस इन आधुनिक युद्धक टैंकों का निर्माण भारत में करने को तैयार है। जानें टैंक की खूबियां और क्यों कांप उठेगा पाकिस्तान?

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Dhiraj Dhillon
T14 Armata Tank
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग और मजबूत होता जा रहा है। इसी कड़ी में रूस ने भारत को अगली पीढ़ी के अत्याधुनिक T-14 अर्माटा टैंक देने की पेशकश की है। खास बात यह है कि रूस ने इन टैंकों को भारत में ही बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बड़ा समर्थन मिलेगा। T-14 अर्माटा डील भारत के लिए सिर्फ एक रक्षा सौदा नहीं, बल्कि डिफेंस इंडस्ट्री में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। आने वाले समय में यह देखना रोचक होगा कि भारत इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है या नहीं।

रूसी कंपनी ने दिया निर्माण प्रस्ताव

रूसी रक्षा निर्माता Uralvagonzavod ने भारत के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह देश की जरूरतों के मुताबिक T-14 टैंक का डिजाइन और निर्माण भारत में ही कर सकती है। इसके लिए कंपनी, भारत के CVRDE (Combat Vehicles Research and Development Establishment) और अन्य सरकारी रक्षा संस्थानों के साथ साझेदारी करना चाहती है। यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय की “Make-I” नीति के तहत आता है, जिसमें 70% तक सरकारी फंडिंग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और स्थानीय निर्माण को प्राथमिकता दी जाती है। भारत और रूस पहले ही T-90S टैंकों की तकनीक साझा कर चुके हैं। आज भारत में इन्हें T-90 भीष्म के नाम से बनाया जा रहा है, जिसमें 83% से ज्यादा स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल होता है। अब रूस चाहता है कि वैसे ही भारत में T-14 अर्माटा टैंक का भी निर्माण हो, जिससे भारतीय सेना को वैश्विक स्तर के आधुनिक टैंक मिल सकें।

जानें  T-14 अर्माटा की खासियत

  • T-14 को दुनिया के सबसे आधुनिक युद्धक टैंकों में से एक माना जाता है। खूबियों के बारे में जानिए:
  • रिमोट कंट्रोल सिस्टम: चालक दल खतरे से दूर
  • बख्तरबंद कैप्सूल: सुरक्षा का उच्चतम स्तर
  •  Afghanit APS: दुश्मन की मिसाइल रास्ते में ही नष्ट
  •  360° रडार कवरेज
  •  8–10 किमी तक गाइडेड मिसाइल फायरिंग क्षमता
  • तीन सदस्यीय ऑपरेटर दल

कीमत और क्षमता, सब कुछ जानें

  • अधिकतम रफ्तार: 75–80 किमी/घंटा
  • संचालन रेंज: 500 किमी
  • वजन: 55 टन
  • लागत: ₹30 से ₹42 करोड़ प्रति टैंक
  • अगर भारत में बना, तो लागत में ₹10 करोड़ तक की कटौती संभव

क्या भारत स्वीकार करेगा रूस का यह प्रस्ताव?

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रूस की यह पेशकश रणनीतिक रूप से भारत के लिए अहम मानी जा रही है। जहां अमेरिका भारत-रूस के बढ़ते रिश्तों से चिंतित है और टैरिफ लगाने की चेतावनी दे चुका है, वहीं भारत के लिए स्वदेशी रक्षा निर्माण और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना प्राथमिकता है। पीएम मोदी स्वदेशी पर भरोसा करने का न केवल ऐलान कर चुके हैं बल्कि यह उनका संकल्प है। ऐसे अगर यह डील फाइनल होती है, तो इससे न सिर्फ भारतीय सेना की ताकत बढ़ेगी, बल्कि डिफेंस सेक्टर में रोजगार और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को भी बढ़ावा मिलेगा।

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