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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क | आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) की राज्यसभा सांसद और पूर्व पत्रकार सागरिका घोष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया, जिसके बाद से हंगामा बरपा हुआ है। उन्होंने अपने पोस्ट में इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर थोपी गई कठोरता को जायज़ ठहराने का प्रयास किया।
सागरिका घोष का 25 जून वाला ट्वीट
25 जून को अपने ट्वीट में सागरिका घोष ने लिखा - "इंदिरा गांधी ने Emergency1975 इसलिए लगाई क्योंकि आरएसएस देश को पूरी तरह अराजकता की ओर धकेल रहा था।"घोष यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने इंदिरा गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव कराए और सार्वजनिक रूप से सवालों का सामना किया। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया जिसमें 1978 में इंदिरा गांधी मीडिया से बात करते हुए खुद को जनता का समर्थन प्राप्त होने का दावा कर रही थीं। वीडियो में इंदिरा गांधी कहती हैं कि "मेरे राजनीतिक भविष्य को जिस तरह प्रेस ने बताया, वैसा कुछ नहीं है। मुझे हमेशा जनता का समर्थन मिला है… मैंने सेंसरशिप लगाई थी और मैंने यह बात स्वीकार की थी।" घोष का प्रयास था कि इस वीडियो के ज़रिए इंदिरा गांधी की ‘दयालुता’ को दिखाया जाए और यह बताया जाए कि आरएसएस की ‘उकसावे वाली भूमिका’ के चलते आपातकाल लागू करना पड़ा।
Indira Gandhi imposed #Emergency1975 because @RSSorg was pushing India towards total anarchy. YES, the Emergency was a BLOT, BUT the same #IndiraGandhi called elections, resigned and took questions in public. Why doesn’t @narendramodi hold a press conference like this 👇🏽first… pic.twitter.com/NP5nlx2J7s
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) June 25, 2025
क्या है आपातकाल का सच?
आपातकाल 25 जून 1975 को घोषित किया गया था और यह 21 मार्च 1977 तक लागू रहा। यह स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे अंधकारमय अध्याय माना जाता है। इस दौरान लोकतांत्रिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाई गई, और हजारों विपक्षी नेताओं को जेलों में बंद कर दिया गया। यह कदम राजनीतिक अस्थिरता और असंतोष के बीच उठाया गया था, न कि आरएसएस द्वारा फैलाई गई किसी कथित ‘अराजकता’ के चलते।
1971 के युद्ध में जीत और बांग्लादेश की स्थापना ने इंदिरा गांधी की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचाया था, लेकिन 1974 तक बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी ने जनता का भरोसा उनकी सरकार से खत्म कर दिया था। 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें 1971 के लोकसभा चुनाव में चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी पाया और उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। इसके बाद जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के इस्तीफे की मांग को लेकर पूरे देश में आंदोलन शुरू हो गया।
इंदिरा गांधी ने अपने विश्वस्त सहयोगियों, विशेष रूप से सिद्धार्थ शंकर रे और अपने बेटे संजय गांधी के कहने पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल घोषित करवाया। 25-26 जून की मध्यरात्रि को ही सरकार ने विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू कर दीं और उन्हें MISA (Maintenance of Internal Security Act) के तहत जेल में डाल दिया गया। भारतीय मीडिया को दबा दिया गया। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने 28 जून 1975 को एक खाली संपादकीय छापकर मौन विरोध दर्ज कराया।
इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता को पूरी तरह निलंबित कर दिया गया। अनुच्छेद 359 के तहत जनता को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ न्यायालय में जाने का अधिकार भी छीन लिया गया।
ज़बरदस्ती नसबंदी जैसे क्रूर अभियान चलाए
संजय गांधी की अगुवाई में ज़बरदस्ती नसबंदी जैसे क्रूर अभियान चलाए गए। लगभग 8 से 12 मिलियन (80 लाख से 1.2 करोड़) लोगों की जबरन नसबंदी की गई, जिनमें अधिकांश गरीब और असहाय वर्ग से थे। इस 21 महीनों में 1 लाख से अधिक लोगों को बिना मुकदमे के हिरासत में लिया गया। इनमें विपक्षी नेता, मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, शिक्षक और आम नागरिक शामिल थे।
यहां तक कि न्यायपालिका भी दबाव में झुकती नजर आई। ADM जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि आपातकाल के दौरान नागरिकों को हबीयस कॉर्पस (बिना कारण गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका) का अधिकार नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत की लोकतांत्रिक छवि को गहरी चोट पहुंची। वहीं आज, सागरिका घोष जैसे लोग उसी इंदिरा गांधी को लोकतंत्र की रक्षक के रूप में पेश कर रहे हैं।
While we remember the #Emergency today, it is important to tell the story of an estimated 1.2 crore people who were forcibly sterilised by the Congress regime between 1975 and 1977
— Dibakar Dutta (দিবাকর দত্ত) (@dibakardutta_) June 25, 2023
This is the story of how Indira & Sanjay Gandhi infringed upon people's right to life.
Thread🧵- pic.twitter.com/bYRjUgFrGK
Emergency 1975 | Indira Gandhi Emergency | Indian Constitution Emergency