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क्या सैफ अली खान की शाही विरासत अब सरकार की हो जाएगी? जानिए — 'दुश्मन की संपत्ति' का सच

सैफ अली को पटौदी की 15,000 करोड़ की पैतृक संपत्ति पर MP हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला रद्द कर दिया है। उधर, सरकार ने इसे 'दुश्मन की संपत्ति' घोषित कर दिया। इस केस में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को दोबारा सुनवाई का आदेश दिया है। क्या बचेगी शाही विरासत?

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Ajit Kumar Pandey
क्या सैफ अली खान की शाही विरासत अब सरकार की हो जाएगी? जानिए — 'दुश्मन की संपत्ति' का सच | यंग भारत न्यूज

क्या सैफ अली खान की शाही विरासत अब सरकार की हो जाएगी? जानिए — 'दुश्मन की संपत्ति' का सच | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । सैफ अली खान और उनके परिवार को पटौदी की बेशकीमती संपत्ति के मामले में बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्हें संपत्ति का वारिस माना गया था। केंद्र सरकार ने इस 15,000 करोड़ रुपए की संपत्ति को 'दुश्मन की संपत्ति' घोषित किया है। यह सब एक ऐसे कानूनी दांव-पेंच का नतीजा है, जहां इतिहास और विरासत आमने-सामने आ गए हैं।

यह कहानी सिर्फ एक अभिनेता के परिवार की नहीं, बल्कि एक रियासत के इतिहास की है। पटौदी परिवार की संपत्ति, जिसमें महल, जमीनें और अन्य मूल्यवान चीजें शामिल हैं, हमेशा से चर्चा का विषय रही है। अभिनेता सैफ अली खान इस शाही परिवार से आते हैं और अपने पिता, दिवंगत मंसूर अली खान पटौदी, के इकलौते बेटे हैं। स्वाभाविक रूप से, उन्हें ही इस संपत्ति का वारिस माना जाता रहा है। लेकिन अब जो हुआ है, उसने सभी को हैरान कर दिया है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निचली अदालत के एक फैसले को पलट दिया है, जिसने पहले सैफ और उनके परिवार को संपत्ति का कानूनी वारिस घोषित किया था। इस नए आदेश के बाद, पटौदी संपत्ति का भविष्य अधर में लटक गया है।

इस मामले का सबसे हैरान करने वाला पहलू केंद्र सरकार का हस्तक्षेप है। सरकार ने इस पूरी पटौदी संपत्ति को 'दुश्मन की संपत्ति' यानी 'एनिमी प्रॉपर्टी' घोषित कर दिया है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि परिवार का एक सदस्य विभाजन के समय पाकिस्तान चला गया था। 'दुश्मन की संपत्ति' कानून के तहत, ऐसी संपत्तियाँ सरकार के नियंत्रण में आ जाती हैं, जिनके मालिक भारतीय नागरिकता छोड़ कर शत्रु देश में बस गए हों। यह एक जटिल कानूनी प्रावधान है, और इसका पटौदी परिवार की विरासत पर सीधा असर पड़ा है।

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इस फैसले का मतलब है कि अब इस विरासत पर सैफ अली खान और उनके परिवार का सीधा अधिकार नहीं रहेगा, कम से कम जब तक यह कानूनी विवाद सुलझ नहीं जाता। यह सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि एक परिवार की पहचान और इतिहास से जुड़ा मामला है।

हाई कोर्ट का फैसला: ट्रायल कोर्ट को फिर से सुनवाई का आदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट को फिर से सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया है। इसका मतलब है कि अब इस जायदाद के भविष्य का फैसला निचले स्तर पर नए सिरे से होगा। यह प्रक्रिया लंबी और पेचीदा हो सकती है, जिसमें कई कानूनी पहलुओं पर फिर से विचार किया जाएगा।

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यह निर्णय पटौदी परिवार के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्हें अब अपनी पैतृक संपत्ति पर अपना दावा फिर से साबित करना होगा, जबकि सरकार ने इसे 'दुश्मन की संपत्ति' घोषित कर दिया है। क्या इस शाही परिवार को अपनी विरासत वापस मिल पाएगी? यह सवाल पूरे देश की नजरों में है।

सैफ अली खान के लिए यह एक निजी और पेशेवर दोनों तरह का झटका हो सकता है। जहाँ एक ओर उनकी पारिवारिक विरासत पर सवाल उठ गए हैं, वहीं दूसरी ओर इसका असर उनकी मानसिक स्थिति और फिल्मी करियर पर भी पड़ सकता है। यह सिर्फ पैसे का मामला नहीं, बल्कि एक सम्मान और विरासत से जुड़ा मुद्दा है।

यह मामला अन्य शाही परिवारों और उनकी संपत्तियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, खासकर उन मामलों में जहाँ विभाजन के कारण परिवार के सदस्य सीमा पार चले गए थे। 'दुश्मन की संपत्ति' कानून पर फिर से बहस छिड़ सकती है।

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अब सभी की निगाहें पटौदी परिवार की अगली चाल पर हैं। क्या वे हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे? या फिर ट्रायल कोर्ट में नए सिरे से अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि सैफ अली खान और उनके कानूनी सलाहकार इस जटिल स्थिति से कैसे निपटते हैं। यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि इतिहास, विरासत और न्याय के बीच की एक जंग है।

पटौदी की यह अनोखी और दुखद कहानी निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आ खड़ी हुई है, जिसका असर न केवल इस शाही परिवार पर पड़ेगा, बल्कि भारत में 'दुश्मन की संपत्ति' से जुड़े कानूनों पर भी इसका व्यापक प्रभाव देखा जा सकता है।

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