समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने सरकार के 'सौगात-ए-मोदी' कार्यक्रम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनके बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। जिसमें उन्होंने सरकार के द्वारा गरीब मुसलमानों के लिए ईद के अवसर पर दिए जाने वाले तोहफे पर सवाल उठाया। अबू आजमी का कहना है, जिन लोगों ने अपनी पार्टी में किसी मुसलमान को मंत्री नहीं बनाया। आज वही मुसलमानों को सौगात दे रहे हैं।
अबू आज़मी ने उठाए गंभीरसवाल
अबू आजमी का यह बयान पीएम नरेंद्र मोदी के 'सौगात-ए-मोदी' योजना पर था, जो गरीब मुसलमानों को ईद के मौके पर एक विशेष तोहफा देने की बात कर रही है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब मुसलमानों को राजनीतिक दृष्टि से प्रतिनिधित्व देने की बात आती है, तो वे अक्सर उपेक्षित रहते हैं। अगर आप सचमुच मुसलमानों के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो ईद के अवसर पर उन हजारों निर्दोष मुसलमानों को रिहा करें, जो जेलों में बंद हैं। यही सबसे बड़ी सौगात होगी। मुस्लिम समुदाय से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर राजनीतिक बहस जोरों पर है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि यह सिर्फ एक दिखावा है और सरकार को अपनी नीतियों के जरिए वास्तविक मदद करनी चाहिए न कि केवल प्रतीकात्मक तोहफों से मुसलमानों को लुभाने की कोशिश करनी चाहिए।
जेलों में बंद मुसलमानों की रिहाई की मांग
अबू आज़मी ने जेलों में बंद मुसलमानों की रिहाई की मांग करते हुए यह भी कहा कि सरकार को उन निर्दोष मुसलमानों के मामलों की जांच करानी चाहिए। जो सालों से बिना किसी अपराध के जेलों में बंद हैं। उनका कहना है कि यह एक राजनीतिक सच्चाई है कि बहुत से मुसलमान सिर्फ उनके धर्म के आधार पर जेलों में सजा काट रहे हैं, जबकि वे पूरी तरह निर्दोष हैं। उन्होंने इसे अन्याय और भेदभाव करार दिया।
क्या है 'सौगात-ए-मोदी'?
सौगात-ए-मोदी' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुस्लिम समुदाय के गरीब और जरूरतमंद वर्ग के लिए दी जाने वाली एक योजना का हिस्सा है। इस योजना के तहत सरकार ने मुसलमानों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। जिसके अंतर्गत कुछ मुस्लिम परिवारों को ईद के मौके पर सहायता दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के विकास में मदद करना और उनके सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए प्रयास करना बताया गया है।
अबू आजमी का राजनीतिक तंज
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने यह भी कहा कि सरकार का यह कदम राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित लगता है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सचमुच मुसलमानों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करना चाहती है, तो ईद पर दी जाने वाली यह 'सौगात' एक दिखावा नहीं, बल्कि वास्तविक कार्य होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मुसलमानों को केवल चुनावों में ही याद नहीं करना चाहिए, बल्कि पूरे साल उनके मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। जब चुनाव नजदीक होते हैं, तो सरकार मुसलमानों के बारे में बात करना शुरू कर देती है, लेकिन बाकी समय वे उन्हें भूल जाती हैंं।