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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबी रहे पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक का आज दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया। श्री मलिक लंबे समय से अस्पताल में उपचार ले रहे थे, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और मंगलवार को निधन हो गया। सत्यपाल मलिक के निधन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा और राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई। राजनीतिक जीवन के अंतिम पड़ाव में सत्यपाल मलिक भाजपा शामिल हो गए थे। वह जम्मू- कश्मीर, गोवा और बिहार के गवर्नर रहे। पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का कल दिल्ली में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। दिल्ली के लोधी रोड स्वर्ग आश्रम में बुधवार दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा। सत्यपाल मलिक के निजी सचिव कंवर सिंह राणा ने ये जानकारी साझा की है। वहीं कल सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक आरके पुरम, सोम विहार स्थित उनके आवास पर अंतिम दर्शन किए जा सकेंगे।
अत्यंत दुःख से यह सूचना देता हूं कि पूर्व गवर्नर सत्यपाल सिंह मलिक जी आज़ 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:12 बजें स्वर्ग सिधार गए। लंबी बिमारी से जुझते हुए उन्होंने आज़ अंतिम सांस ली।
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) August 5, 2025
कल सुबह 9 बजें से दोपहर 2 बजें तक आरके पुरम सोम विहार में आप उनके अंतिम दर्शन कर सकतें हैं।
उनका अंतिम…
बागपत में जन्मे थे मलिक
सत्यपाल सिंह मलिक, का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसवाड़ा गांव में एक जाट किसान परिवार में हुआ। उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की, जहां वे छात्रसंघ अध्यक्ष रहे और राम मनोहर लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित हुए। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1968 में छात्र राजनीति से हुई।
28 साल की उम्र में बन गए थे विधायक
1974 में, मलिक ने चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत से विधानसभा चुनाव जीता और 28 साल की उम्र में विधायक बने। 1980 में वे लोकदल से राज्यसभा पहुंचे, लेकिन 1984 में कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर से राज्यसभा सांसद बने। बोफोर्स घोटाले के बाद 1987 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 1988 में वी.पी. सिंह के जनता दल में शामिल होकर 1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए। 1996 में समाजवादी पार्टी से अलीगढ़ में हार का सामना करना पड़ा। 2004 में बीजेपी में शामिल हुए, लेकिन बागपत से लोकसभा चुनाव हार गए।
उनके कार्याकाल में हटा था अनुच्छेद 370
2012 में बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया। 2017 में वे बिहार के राज्यपाल बने, फिर 2018 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल नियुक्त हुए, जहां उनके कार्यकाल में अनुच्छेद 370 हटाया गया। बाद में वे गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे। मलिक ने किसान आंदोलन का समर्थन किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे, जिसके चलते वे सुर्खियों में रहे। हाल के वर्षों में उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना की, जिससे उनकी छवि एक बेबाक नेता के रूप में उभरी।