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Sawan Somwar Special 2025 : शिवभक्ति में डूबा देश, कनखल में दर्शन को उमड़े लाखों श्रद्धालु | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आज सावन के दूसरे सोमवार, 21 जुलाई 2025 को देशभर के शिवालयों में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। खासकर उत्तराखंड के प्राचीन कनखल में, जहां सुबह से हो रही लगातार बारिश के बावजूद, भगवान भोलेनाथ के भक्तों का तांता लगा रहा। हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। यह पावन दिन शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन जलाभिषेक से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कनखल: जहां शिव और सती की अमर कहानी है
Sawan Somwar 2025 : उत्तराखंड की पावन भूमि पर स्थित कनखल, सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि पौराणिक कथाओं और गहन आस्था का केंद्र है। यह वह पवित्र स्थान है, जहां प्रजापति ब्रह्मा के पुत्र राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया था। इसी यज्ञ में माता सती ने अपने पति, भगवान शिव के अपमान से क्षुब्ध होकर स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया था। यह घटना न केवल शिव-सती के अमर प्रेम की साक्षी बनी, बल्कि 52 शक्तिपीठों के निर्माण का आधार भी बनी।
दक्षेश्वर महादेव: सावन में शिव का विशेष आगमन
Sawan Somwar Special 2025 : कनखल का महत्व यहीं खत्म नहीं होता। यह वही भूमि है, जहां भगवान शिव माता सती को ब्याहने के लिए यक्ष, गंधर्व और किन्नरों के साथ आए थे। और दक्ष को दिए अपने वचन को निभाने के लिए, भगवान शंकर प्रत्येक सावन में यहां दक्षेश्वर महादेव के रूप में विराजमान होते हैं। इस वर्ष भी, सावन के दूसरे सोमवार पर, कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिलीं, जो भगवान के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा का प्रमाण है।
प्राचीन ऋषियों की यज्ञभूमि और शक्तिपीठों का उद्गम
Sawan Somwar Special 2025 : कनखल की भूमि पर न केवल शिव और सती की गाथाएं जुड़ी हैं, बल्कि यहीं पर ब्रह्मा, विष्णु, 84 हजार ऋषि और असंख्य देवताओं ने अपने चरण रखे थे। यहीं पर ऋषियों ने स्वर्ग से इतर पहली बार 'अरणी मंथन' से यज्ञग्नि उत्पन्न की थी। यह स्थान शिवत्व, देवत्व और महामाया के अपार शक्तिपुंज का संगम है। माता सती के आत्मदाह के बाद, जब भगवान शिव उनकी पार्थिव देह को लेकर क्रोधित तांडव कर रहे थे, तब उनके शरीर के अंग जहां-जहां गिरे, वे स्थान आज 52 शक्तिपीठों के रूप में पूजे जाते हैं।
शीतला मंदिर: यहीं पर माता सती का जन्म हुआ था।
सतीकुंड: वह स्थान जहां माता सती ने आत्मदाह किया।
मायादेवी मंदिर: वह स्थान जहां शिवगण वीरभद्र ने सती की दग्ध देह रखी थी।
चंडी देवी और मनसा देवी मंदिर: शक्ति के अन्य महत्वपूर्ण ज्योतिर्थल।
ये पांच ज्योतिर्थल मिलकर शक्ति के केंद्र का निर्माण करते हैं, जिसका मूल आदि पीठ मायादेवी के गर्भस्थल यानी पाताल में है।
शिव के पांच ज्योतिर्थल: आकाश में विराजमान
शक्ति की भांति, भगवान शिव के भी पांच प्रमुख ज्योतिर्थल हैं, जिनका केंद्र आकाश में है
दक्षेश्वर महादेव: कनखल में स्थित, जहां शिव सावन में दक्षेश्वर बनकर आते हैं।
- बिल्वकेश्वर महादेव
- नीलेश्वर महादेव
- वीरभद्र महादेव
नीलकंठ महादेव: यह उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है।
इन पांच ज्योतिर्थलों का केंद्र नीलेश्वर और नीलकंठ से जुड़े ऊंचे कैलाश पर्वत यानी आकाश पर माना जाता है।
सावन में शिव-शक्ति की कृपा: कांवड़ियों पर विशेष आशीर्वाद
Sawan Somwar Special 2025 : सावन के पवित्र महीने में, शिव और शक्ति के ये दसों ज्योतिर केंद्र, कांवड़ भरने आए शिव भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। इन दसों स्थलों की कृपा के बिना, शिवभक्तों की गंगा यात्रा और अपने अभीष्ट शिवालयों तक की सकुशल यात्रा संपन्न होना असंभव माना जाता है। सावन के इस दूसरे सोमवार को, जब बारिश के बीच भी भक्तों का उत्साह चरम पर था, यह स्पष्ट था कि भगवान भोलेनाथ की कृपा उन पर बरस रही है। इस सावन सोमवार को भक्तों ने जलाभिषेक कर अपनी आस्था का प्रदर्शन किया और हर-हर महादेव का उद्घोष कर पूरी दुनिया को शिवमय कर दिया।
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