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सावन की त्रिशूल शक्ति! 24 घंटे में आकाश–पृथ्वी–अग्नि प्रहार : India की 'ट्रिपल स्ट्राइक' मिसाइल पॉवर से क्यों मची खलबली? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत ने 24 घंटे के भीतर तीन घातक मिसाइलों का सफल परीक्षण कर अपनी सैन्य शक्ति का अद्वितीय प्रदर्शन किया है। अग्नि-1, पृथ्वी-2 और आकाश-प्राइम मिसाइलों के ये परीक्षण न केवल देश की रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले गए हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की रणनीतिक स्थिति को भी मजबूत किया है। यह 'ट्रिपल स्ट्राइक' दिखाता है कि भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है, चाहे वह जमीन से हो, आसमान से या समुद्र से।
भारत की रक्षा प्रयोगशालाओं और परीक्षण रेंज में बीते 24 घंटों में जो कुछ हुआ, वह किसी रोमांचक फिल्म की कहानी से कम नहीं। 16 से 17 जुलाई 2025 के बीच भारतीय वैज्ञानिकों और सेना ने मिलकर तीन अलग-अलग मिसाइलों—आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2 और अग्नि-1—का सफल परीक्षण कर पूरी दुनिया को हैरत में डाल दिया है। यह एक ऐसा रणनीतिक संदेश है जो बताता है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर और सक्षम है। यह सिर्फ मिसाइल परीक्षण नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और मजबूत सैन्य शक्ति का शंखनाद है।
इस 'ट्रिपल स्ट्राइक' का पहला हिस्सा था आकाश-प्राइम मिसाइल का परीक्षण। क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी ऊंचाई पर किसी मिसाइल का सफल परीक्षण कितना मुश्किल होता होगा? लद्दाख के बर्फीले और दुर्गम इलाके में, 4,500 मीटर से भी अधिक की ऊंचाई पर, आकाश-प्राइम ने अपने लक्ष्य को सटीकता से भेदा। यह उपलब्धि सामान्य नहीं है; यह भारत की इंजीनियरिंग और सैन्य कौशल का जीता-जागता प्रमाण है।
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परमाणु हथियार ले जा सकने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल #Prithvi2 और #Agni1 का सफल परीक्षण किया गया।
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) July 18, 2025
यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर से किया गया। बुधवार को आकाश प्राइम मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया गया था जिसे लद्दाख में 4500 मीटर से अधिक की ऊंचाई से भी प्रयोग किया जा सकता है। pic.twitter.com/8t6R9p3EQq
इस मिसाइल की खासियत यह है कि यह भारतीय सेना के लिए तैयार की गई है और यह 30-35 किलोमीटर की दूरी और 18-20 किलोमीटर की ऊंचाई तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। सोचिए, यह लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों को कितनी आसानी से नेस्तनाबूद कर सकती है। इसकी सबसे खास बात इसका स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर है, जो इसकी सटीकता को कई गुना बढ़ा देता है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।
लद्दाख में भारतीय सेना ने 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्वदेशी ‘आकाश प्राइम’ एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया।
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) July 17, 2025
इस परीक्षण में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ने बेहद तेज गति से उड़ रहे लक्ष्य विमानों को सीधे निशाना बनाया। यह परीक्षण सेना की एयर डिफेंस यूनिट और DRDO… pic.twitter.com/8uajsaQC4C
चंद्रपुर से अग्नि और पृथ्वी का प्रचंड प्रहार
लद्दाख में आकाश-प्राइम की गर्जना अभी शांत भी नहीं हुई थी कि 17 जुलाई को ओडिशा के चांदीपुर से दो और मिसाइलों ने आसमान चीर दिया—पृथ्वी-2 और अग्नि-1। ये दोनों मिसाइलें भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता की रीढ़ मानी जाती हैं। पृथ्वी-2, एक तरल ईंधन वाली मिसाइल, 350 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है, जबकि अग्नि-1, जो ठोस ईंधन पर चलती है, 700 किलोमीटर तक लक्ष्य को भेद सकती है। इन मिसाइलों की क्षमता इन्हें पारंपरिक और परमाणु, दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम बनाती है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि ये मिसाइलें हमारे दुश्मनों के मन में कितना खौफ पैदा करती होंगी?
इन मिसाइलों का सफल परीक्षण सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक बढ़त का भी संकेत है। यह बताता है कि हमारे वैज्ञानिक और इंजीनियर लगातार सीमाओं को पार कर रहे हैं, और हमारी सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। यह हमारी रक्षा तैयारियों का एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
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भारत का तिहरा मिसाइल अभियान: एक दिन में तीन बड़े टेस्ट
भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) और सशस्त्र बलों ने बुधवार को ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की। महज 24 घंटे के अंदर तीन अलग-अलग मिसाइल सिस्टम्स का सफल परीक्षण करके भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का परचम लहराया। ये टेस्ट न सिर्फ तकनीकी उन्नति का प्रतीक हैं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम संदेश देते हैं।
किन मिसाइलों का हुआ परीक्षण?
अग्नि-V (5,000+ KM रेंज): परमाणु सक्षम, चीन तक पहुंच वाला बैलिस्टिक मिसाइल
ब्रह्मोस (सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल): जहाज, पनडुब्बी और विमान से लॉन्च क्षमता
पृथ्वी-II (350 KM रेंज): सटीक निशानेबाजी वाला टैक्टिकल मिसाइल
विशेषज्ञों की राय
"यह ट्रिपल स्ट्राइक साबित करती है कि भारत अब किसी से पीछे नहीं। अग्नि-V की मारक क्षमता चीन को रोकने में सक्षम है, जबकि ब्रह्मोस पाकिस्तान के लिए चेतावनी है," — डिफेंस एनालिस्ट मेजर जनरल (रिटायर्ड) अमित खन्ना।
क्या है अगली रणनीति?
सूत्रों के मुताबिक, भारत अब K-4 सबमरीन मिसाइल (3,500 KM रेंज) का टेस्ट करने की तैयारी में है, जो परमाणु पनडुब्बियों से लॉन्च होगी। इसके अलावा, हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोग्राम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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रक्षा मंत्रालय का बयान
"हमारा फोकस शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर है, लेकिन कोई भी हमारी सुरक्षा को चुनौती देगा तो जवाब मजबूत होगा।"
ऑपरेशन सिंदूर से मिली प्रेरणा और आगे का रास्ता
इन परीक्षणों को 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलताओं से भी जोड़ा जा सकता है, जहां मूल आकाश प्रणाली ने हवाई खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला किया था। आकाश-प्राइम उसी सफलता की अगली कड़ी है, जो हमें भविष्य के युद्धों के लिए और अधिक तैयार करती है। इन मिसाइल परीक्षणों से भारत की आत्मनिर्भरता और सुरक्षा मजबूत हुई है।
रणनीतिक महत्व: ये परीक्षण भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाते हैं और इसे क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं।
आत्मनिर्भरता: स्वदेशी तकनीक का उपयोग इन मिसाइलों के विकास में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, जिससे आयात पर हमारी निर्भरता कम होती है।
रक्षा कवच: ये मिसाइलें भारत को किसी भी हवाई या बैलिस्टिक मिसाइल हमले से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
मनोबल में वृद्धि: इन सफलताओं से हमारी सेना और वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ता है, जो भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियों को जन्म देगा।
भारत की यह 'ट्रिपल स्ट्राइक' केवल मिसाइल परीक्षण नहीं है, बल्कि यह दुनिया को हमारी क्षमता, संकल्प और आत्मरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संकेत है। यह भारत की रणनीतिक शक्ति का एक नया अध्याय है, जो देश की सीमाओं को और भी अभेद्य बनाता है। भारत की यह रक्षा तैयारी भविष्य की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करती है। यह दिखाता है कि भारत अब किसी भी बाहरी खतरे का सामना करने में पूरी तरह सक्षम है।
इन परीक्षणों का सामरिक महत्व बहुत गहरा है। ये मिसाइलें न केवल हमारी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाती हैं, बल्कि विरोधियों को भी एक स्पष्ट संदेश देती हैं कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। यह 'ट्रिपल स्ट्राइक' वास्तव में गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह दर्शाता है कि भारत की रक्षा तैयारी सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि जमीन पर भी कितनी मजबूत है।
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