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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपुल एम पंचोली की सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति सिस्टम को ठेंगा दिखाने वाली साबित हुई। वरिष्ठता के क्रम में जस्टिस पंचोली से तीन महिला जज ऊपर थीं। लेकिन पहले कालेजियम और फिर सरकार ने सारे नियमों को दरकिनार करके जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में बिठा ही दिया।
जस्टिस नागरथ्ना की आवाज को कर दिया अनसुना
कॉलेजियम के सदस्य के रूप में जस्टिस बीवी नागरथ्ना ने जस्टिस पंचोली के प्रमोशन का विरोध भी किया। कालेजियम में सीजेआई बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी भी शामिल हैं। जस्टिस नागरथ्ना ने अपने बारी साथियों से कहा कि पंचोली की नियुक्ति न केवल न्याय प्रशासन के लिए प्रतिकूल होगी, बल्कि कॉलेजियम प्रणाली की विश्वसनीयता को भी खतरे में डालेगी। लेकिन उनकी आपत्ति को न तो उनको साथियों ने सुना और न ही केंद्र ने। देश की भावी सीजेआई की असहमति और विधिक समुदाय की आलोचना के बावजूद केंद्र सरकार ने 27 अगस्त को जस्टिस पंचोली और आलोक अराधे की पदोन्नति को हैरान करने वाली तेजी से अधिसूचित कर दिया।
वरिष्ठता में जस्टिस पंचोली से तीन महिला जज थीं ऊपर
खास बात है कि जस्टिस पंचोली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में केवल 57वें स्थान पर हैं। वरिष्ठता में उनसे तीन महिला जज ऊपर हैं। लेकिन उनको न तो कालेजियम ने तवज्जो दी और न ही सरकार ने। जस्टिस सुनीता अग्रवाल वर्तमान में गुजरात उच्च न्यायालय की चीफ जस्टिस हैं। वो भारत की सबसे वरिष्ठ महिला जज हैं। अगर उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया जाता, तो उनका कार्यकाल काफी लंबा होता और 2031 में ही समाप्त होता। जस्टिस अग्रवाल के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे का स्थान है। वो अगर पदोन्नत होतीं तो 2030 तक कार्यरत रहतीं। पंजाब और हरियाणा हाईकर्ट की जस्टिस लिसा गिल भी वरिष्ठता सूची में जस्टिस पंचोली से ऊपर हैं। अगर उन्हें पदोन्नत किया जाता तो वे 2031 तक शीर्ष न्यायालय की पीठ में कार्यरत रहतीं। अभी तक, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की में केवल एक महिला जस्टिस बीवी नागरत्ना ही मौजूद हैं। वो भारत की पहली महिला सीजेआई बनने वाली हैं।
2012 में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में दिखी थीं चार महिला जज
महिला जजों को सुप्रीम कोर्ट में लाने को लेकर अक्सर भेदभाव बरता जाता है। अगस्त 2021 में पहली बार एक ही झटके में तीन महिला जजों को भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था। तब जस्टिस हिमा कोहली, बीवी नागरथ्ना और बेला त्रिवेदी की पदोन्नति के साथ शीर्ष न्यायालय में अपने 70 साल के इतिहास में पहली बार चार महिला जज कार्यरत हुईं। इनमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं, जो उस समय पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यरत थीं।
पिछले तीन सीजेआई के कार्यकाल में शीर्ष अदालत में नहीं आई एक भी महिला जज
2021 से अब तक भारत के तीन सीजेआई जस्टिस यूयू ललित, डीवाई चंद्रचूड़ और संजीव खन्ना आए और गए हैं। लैंगिक प्रतिनिधित्व के महत्व की तमाम बातों के बावजूद उनके कार्यकाल में कोई भी महिला सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत नहीं हुई। इस साल मई में कार्यभार संभालने वाले मौजूदा सीजेआई बीआर गवई का कार्यकाल भी कुछ ऐसा ही लगता है। उन्होंने तो अपने पूर्ववर्तियों से एक कदम आगे निकलकर ऐसा काम कर दिया जो न्यायपालिका के इतिहास में दर्ज होने वाला है। वरिष्ठता को नजरंदाज करके सरकार के पसंदीदा जज को सुप्रीम कोर्ट बुला लिया।
Supreme Court, Women Judge, Justice BV Nagarathna, Justice Vipul Pancholi