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"स्कूलों में खून-खराबा : चार दिन में तीन खौफनाक वारदात — सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल"

उत्तराखंड के काशीपुर में एक 9वीं कक्षा के छात्र ने अपने शिक्षक पर तमंचे से गोली चला दी। यह चार दिन में स्कूलों से जुड़ी तीसरी गोलीबारी की घटना है। पहले ग़ाज़ीपुर, फिर अहमदाबाद और अब काशीपुर—आखिर स्कूलों में हिंसा क्यों बढ़ रही है? पढ़ें, पूरा सच।

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Ajit Kumar Pandey

"स्कूलों में खून-खराबा : तीन राज्यों में छात्रों का खौफनाक वारदात — सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।पिछले चार दिनों में देश के तीन अलग-अलग राज्यों से तीन ऐसी बड़ी चौंकाने वाली खबरें सामने आई हैं जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड राज्यों में स्कूल परिसर के अंदर ही छात्रों द्वारा हिंसा की तीन बड़ी वारदात को अंजाम दिया गया है। ये घटनाएं न केवल स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती हैं, बल्कि बच्चों के परवरिश को लेकर अभिभावकों को भी कटघरे में खड़ी करती हैं। साथ ही यह भी सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर हमारे युवा छात्र किस दिशा में जा रहे हैं।

ये तीन मामले महज इत्तेफाक नहीं हैं बल्कि ये एक गहरी और भयावह समस्या की ओर इशारा करते हैं। ये घटनाएं दिखाती हैं कि अब हिंसा स्कूल के गेट के बाहर तक नहीं, बल्कि अंदर तक आ चुकी हैं। ये घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि बच्चों में गुस्सा, सहनशीलता की कमी, मानसिक दबाव और हथियारों तक आसान पहुंच एक गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल स्कूलों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती हैं बल्कि अभिभावकों और समाज की जिम्मेदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। आइए जानें इन घटनाओं का पूरा सच क्या है।

वारदात नंबर एक : UP में गाजीपुर जिले के छात्र ने सीनियर को बेरहमी से मार डाला

यूपी के जिला गाजीपुर अंतर्गत महराजगंज के सनबीम स्कूल में ही एक छात्र ने दूसरे छात्र की हत्या की | यंग भारत न्यूज
यूपी के जिला गाजीपुर अंतर्गत महराजगंज के सनबीम स्कूल में ही एक छात्र ने दूसरे छात्र की हत्या की | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
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यूपी के जिला गाजीपुर अंतर्गत महराजगंज के सनबीम स्कूल में 15 वर्षीय आदित्य वर्मा की हत्या ने सबको स्तब्ध कर दिया। कक्षा 9 के एक छात्र ने अपने ही स्कूल के सीनियर छात्र आदित्य वर्मा को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया। यह घटना कोई अचानक हुई मारपीट नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी। हत्यारोपी छात्र ने आदित्य के सिर, सीने और कमर पर चाकू से चार वार किए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि हमला इतनी क्रूरता से किया गया था कि उसका मकसद केवल चोट पहुंचाना नहीं, बल्कि जान लेना ही था।

पुलिस के अनुसार, 15 अगस्त को स्कूल के बाहर हुई एक मामूली कहासुनी और मारपीट ने इस भयानक घटना का रूप ले लिया। आरोपी छात्र के मन में बदले की भावना इस कदर हावी थी कि वह अपने साथ चाकू लेकर स्कूल आया और मौका मिलते ही आदित्य पर हमला कर दिया। आरोपी छात्र का वारदात के बाद सिर झुकाए उदास बैठा रहना, उसके चेहरे पर गुस्से और पछतावे का मिला-जुला भाव, यह सब दिखाता है कि उसके अंदर भावनाओं का एक गहरा द्वंद्व चल रहा था। इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या हम अपने बच्चों को सही और गलत के बीच का फर्क सिखा पा रहे हैं?

वारदात नंबर दो : गुजरात में अहमदाबाद के एक छोटी सी लड़ाई का खौफ़नाक अंत

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गुजरात में अहमदाबाद के सेवेंथ डे स्कूल में हुई घटना भी कुछ ऐसी ही थी। यहां 10वीं कक्षा के एक छात्र ने अपने ही सहपाठी पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में घायल छात्र ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह घटना भी मामूली कहासुनी पर शुरू हुई थी। दोनों छात्रों के बीच सीढ़ियों पर किसी बात को लेकर बहस हुई, जो मारपीट में बदल गई। इस दौरान आरोपी छात्र ने अपने बैग से चाकू निकाला और अपने सहपाठी पर वार कर दिया।

इस घटना के बाद मृतक छात्र के परिवार और स्कूल के बाहर हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों का गुस्सा जायज था, क्योंकि वे अपने बच्चे को सुरक्षित मानकर स्कूल भेजते हैं, लेकिन वहां उसे जान से हाथ धोना पड़ा। यह घटना दिखाती है कि हमारे बच्चे छोटी-छोटी बातों पर अपना आपा खो रहे हैं। उनमें सहनशीलता की कमी बढ़ती जा रही है और वे हिंसा को ही किसी भी समस्या का एकमात्र समाधान मानने लगे हैं। यह एक अलार्मिंग सिचुएशन है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम अपने बच्चों की परवरिश कैसे कर रहे हैं?

वारदात नंबर तीन : उत्तराखंड के काशीपुर में जब एक छात्र ने शिक्षक पर की फायरिंग

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तीसरी घटना और भी ज्यादा डराने वाली है। उत्तराखंड के काशीपुर के एक स्कूल में एक छात्र ने अपने ही शिक्षक पर तमंचे से फायर कर दिया। यह घटना इसलिए भी ज्यादा गंभीर है, क्योंकि यहां हिंसा का शिकार एक छात्र नहीं, बल्कि शिक्षक बना। एक 15 साल के छात्र ने अपने शिक्षक गगन सिंह पर गोली चला दी। गनीमत यह रही कि गोली उनके कंधे पर लगी और उनकी जान बच गई।

इस घटना का कारण भी बेहद मामूली था। शिक्षक ने पढ़ाई के दौरान छात्र को थप्पड़ मार दिया था। इस थप्पड़ से आहत होकर छात्र ने शिक्षक को सबक सिखाने की ठान ली। वह अपने घर की अलमारी से 315 बोर का तमंचा निकालकर स्कूल ले आया और मौका मिलते ही शिक्षक पर फायर कर दिया। यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है।

यह घटना केवल स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि अभिभावकों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है। हमें यह सोचना होगा कि क्या हम अपने बच्चों पर इतना ध्यान दे रहे हैं कि वे किस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं, और उनके मन में क्या चल रहा है?

यह क्यों हो रहा है और हम कहां जा रहे हैं?

पिछले चार दिनों में हुई ये तीनों घटनाएं कोई छोटी-मोटी बात नहीं हैं। ये हमारे समाज में पनप रही एक गंभीर बीमारी के लक्षण हैं। इन घटनाओं के पीछे कई कारण हो सकते हैं।

बढ़ती आक्रामकता और सहनशीलता की कमी: आज के युवाओं में गुस्सा और निराशा बहुत तेजी से बढ़ रही है। वे छोटी-छोटी बातों को बर्दाश्त नहीं कर पाते और उसका समाधान हिंसा में ढूंढते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी: कई बार बच्चे मानसिक दबाव, तनाव या किसी तरह के द्वेष से गुजर रहे होते हैं, लेकिन न तो वे अपनी बात किसी से कह पाते हैं और न ही उनके माता-पिता या शिक्षक इस पर ध्यान दे पाते हैं।

हथियारों की आसान उपलब्धता: उत्तराखंड की घटना बताती है कि नाबालिग बच्चों तक भी खतरनाक हथियारों की पहुंच है। यह हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।

पारिवारिक और सामाजिक माहौल: बच्चों पर घर के माहौल और समाज में हो रही घटनाओं का गहरा असर पड़ता है। अगर घर में हिंसा या आक्रामकता का माहौल है, तो बच्चों के व्यवहार में भी यह झलकता है।

इन घटनाओं से यह साफ है कि हमें अब न केवल अपने स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा, बल्कि अपने बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा। उन्हें समझना, उनसे बात करना और उनकी समस्याओं को सुलझाने में उनकी मदद करना अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है। यह सिर्फ स्कूलों की नहीं, बल्कि हर अभिभावक और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर हम इस समस्या पर अभी ध्यान नहीं देंगे, तो आने वाले समय में ये घटनाएं और भी भयावह रूप ले सकती हैं।

क्या हम इस बढ़ती हुई हिंसा को रोक पाएंगे, या फिर हमारा समाज और हमारे बच्चे इसी तरह खोते रहेंगे? यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब हम सबको मिलकर खोजना होगा।

School Shootings India Rising | Why School Violence Now | Kashipur Student Attack 

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