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"स्कॉच व्हिस्की प्रेमियों के लिए खुशखबरी : देसी रेट में विदेशी स्वाद!" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो स्कॉच व्हिस्की की एक बोतल को खरीदने से पहले कई बार सोचते हैं, तो अब खुश हो जाइए। भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) आपकी पसंदीदा अंग्रेजी शराब को आपकी जेब के अनुकूल बना सकता है। इस समझौते के तहत स्कॉच व्हिस्की और कुछ प्रमुख विदेशी बीयर ब्रांड्स पर लगने वाला भारी आयात शुल्क कम होने की संभावना है।
इसका मतलब है – विदेशी स्वाद अब देसी रेट में! इससे न केवल शराब के शौकीनों को राहत मिलेगी, बल्कि भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी, जिससे किफायती कीमतों पर बेहतरीन क्वालिटी की व्हिस्की मिल सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत-यूके व्यापारिक संबंधों को नया आयाम देगा और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। तो क्या आप तैयार हैं स्कॉच का असली स्वाद चखने के लिए – वो भी देसी दाम में?
भारत और ब्रिटेन के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारतीय बाजार में अंग्रेजी शराब, खासकर स्कॉच व्हिस्की और कुछ बीयर्स के दाम काफी कम हो सकते हैं। यह खबर उन शौकीनों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है, जो अब तक ऊंची कीमतों के कारण विदेशी ब्रांड्स का मज़ा नहीं ले पाते थे। क्या सचमुच आपकी पसंदीदा बोतलें अब ज़्यादा सस्ती होंगी?
कल्पना कीजिए, आपकी पसंदीदा स्कॉच व्हिस्की की बोतल, जिसे खरीदने से पहले आप दस बार सोचते थे, अब देसी ब्रांड्स की तरह आपके बजट में आ जाए! भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (FTA) इस सपने को हकीकत में बदलने की तैयारी में है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो भारतीय ग्राहकों को अंग्रेजी शराब पर लगने वाले भारी-भरकम आयात शुल्क में बड़ी राहत मिल सकती है।
यह समझौता सिर्फ पीने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी कई नए रास्ते खोलेगा। ब्रिटेन के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, और शुल्क में कमी से उनकी निर्यात में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी।
कैसे घटेंगे अंग्रेजी शराब के दाम?
फिलहाल, भारत में आयातित शराब पर काफी ऊंचा सीमा शुल्क लगता है, जिससे उनकी कीमतें आसमान छूती हैं। भारत-ब्रिटेन FTA के तहत, दोनों देश एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ कम करने पर सहमत हो सकते हैं। विशेष रूप से, ब्रिटेन भारत से अपने कृषि उत्पादों और सेवाओं के लिए बाजार पहुंच चाहता है, जबकि भारत ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं, जैसे स्कॉच व्हिस्की और कुछ अन्य उपभोक्ता उत्पादों पर शुल्क में कमी की मांग कर रहा है।
टैरिफ में कमी: समझौते के बाद, आयात शुल्क में चरणबद्ध तरीके से कटौती की जा सकती है।
बाजार में प्रतिस्पर्धा: कीमतें कम होने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिसका सीधा फायदा ग्राहकों को होगा।
ब्रांड्स की उपलब्धता: नए ब्रांड्स भी भारतीय बाजार में कदम रख सकते हैं, जिससे चुनाव और बढ़ जाएगा।
इस डील से न केवल प्रीमियम स्कॉच व्हिस्की सस्ती होगी, बल्कि कुछ लोकप्रिय बीयर ब्रांड्स की कीमतें भी कम होने की उम्मीद है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय शराब कंपनियां इस नई प्रतिस्पर्धा का सामना कैसे करती हैं।
सिर्फ शराब नहीं, फेनी को भी मिलेगा ग्लोबल मंच
इस समझौते का एक और अहम पहलू है गोवा की प्रसिद्ध स्थानीय शराब, फेनी। भारत इस FTA के माध्यम से फेनी को भौगोलिक संकेत (GI) का दर्जा दिलाने की कोशिश कर रहा है, जिससे उसे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक विशिष्ट पहचान मिलेगी। यह गोवा के स्थानीय उत्पादकों के लिए एक बड़ी जीत होगी और उन्हें वैश्विक स्तर पर अपने उत्पाद को बेचने का अवसर मिलेगा।
फेनी को मिलने वाली यह पहचान भारतीय सांस्कृतिक विरासत को भी दुनिया के सामने लाएगी, ठीक वैसे ही जैसे स्कॉच व्हिस्की की अपनी एक वैश्विक पहचान है।
क्या वाकई आपकी शाम बदलेगी?
सवाल यह है कि क्या ये कीमतें इतनी गिरेंगी कि हर आम आदमी की पहुंच में आ जाएं? विशेषज्ञ मानते हैं कि शुरुआती दौर में कीमतों में उल्लेखनीय गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सरकारें शुल्क में कितनी कटौती करती हैं। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में विदेशी शराब का बाजार अब पहले से कहीं अधिक सुलभ होने वाला है।
यह समझौता भारत के व्यापार संबंधों को मजबूत करेगा और उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पादों तक पहुंच प्रदान करेगा। अगली बार जब आप अपनी पसंदीदा अंग्रेजी शराब खरीदने जाएं, तो हो सकता है कि आपको एक सुखद आश्चर्य मिले!
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