नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: कांग्रेस नेता और केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपे जाने की अटकलें तेज हो गईं । यह चर्चा मुख्य रूप से उनके उन बयानों और कार्यों से उपजी है, जो कांग्रेस की आधिकारिक रुख से अलग प्रतीत होते हैं। शुक्रवार एक एक्स पोस्ट में दावा किया गया कि भारत सरकार ने वैश्विक मंच पर देश का पक्ष रखने के लिए आठ समूह बनाए हैं, जिनमें शशि थरूर को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, इस दावे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, और इसे केवल सोशल मीडिया आधारित जानकारी माना जा सकता है।
क्या भाजपा की तारीफ दे रही है बदलाव के संकेत
शशि थरूर, जो अपनी विदेश नीति विशेषज्ञता और पूर्व राजनयिक पृष्ठभूमि के लिए जाने जाते हैं, ने हाल के वर्षों में कई बार केंद्र सरकार की नीतियों की प्रशंसा की है। उदाहरण के लिए, मार्च 2025 में, उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के तटस्थ रुख की आलोचना करने की अपनी पूर्व भूल स्वीकारी और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति ने भारत को स्थायी शांति के लिए मध्यस्थ की भूमिका में ला खड़ा किया है। इसके अलावा, मई 2025 में, उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान युद्धविराम जैसे मुद्दों पर सरकार का समर्थन किया, जिसे कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने "लक्ष्मण रेखा पार करना" माना।
यह है विश्लेषकों का कहना
इन बयानों के कारण कुछ विश्लेषकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने अनुमान लगाया है कि थरूर को सरकार कोई महत्वपूर्ण भूमिका दे सकती है, जैसे कि वैश्विक कूटनीति या अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व। उनकी संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अनुभव और वैश्विक मंचों पर प्रभावशाली उपस्थिति उन्हें ऐसी भूमिकाओं के लिए उपयुक्त बनाती है। हालांकि, इस तरह की कोई औपचारिक घोषणा सरकार की ओर से नहीं हुई है।
बयानों ने कांग्रेस के भीतर असहजता पैदा की
दूसरी ओर थरूर के इन बयानों ने कांग्रेस के भीतर असहजता पैदा की है। कांग्रेस नेतृत्व, विशेष रूप से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे, ने इन टिप्पणियों को पार्टी लाइन से विचलन माना है। फरवरी 2025 में, थरूर ने कहा था कि यदि कांग्रेस को उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो उनके पास अन्य विकल्प हैं, जिससे उनके पार्टी छोड़ने की अटकलें भी शुरू हुईं। इसके बावजूद, राहुल गांधी ने मार्च 2025 में स्पष्ट किया कि केरल कांग्रेस एकजुट है, और थरूर ने भी पार्टी छोड़ने की अफवाहों को खारिज किया। वर्तमान में कोई ठोस सबूत नहीं है कि मोदी सरकार थरूर को कोई आधिकारिक जिम्मेदारी सौंप रही है। उनकी प्रशंसा और सरकार के साथ सार्वजनिक मंच साझा करना, जैसे कि मई 2025 में विजिंजम बंदरगाह उद्घाटन के दौरान, केवल सहकारी संघवाद का उदाहरण हो सकता है। फिर भी, उनकी विशेषज्ञता और वैश्विक छवि को देखते हुए, भविष्य में ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।