नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । गाजा की जख्मी धरती को पाकिस्तान ने फिर से राजनीति का हथियार बना लिया। शहबाज शरीफ ने इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को भारत के सिंधु जल समझौते से जोड़ दिया। मेजबान देश के सामने ऐसा बयान देना पाकिस्तान की चालबाजी को उजागर करता है। भारत पर 'पानी हथियार बनाने' का आरोप लगाकर शरीफ ने नया प्रोपेगेंडा शुरू किया है। क्या अब पाकिस्तान कूटनीति में सहानुभूति के बदले साजिश का सहारा ले रहा है?
शहबाज की कूटनीतिक चालबाज़ी का खुलासा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत पर ऐसा आरोप मढ़ा, जिसने राजनीतिक हलचलों को तेज कर दिया। उन्होंने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के ज़रिए भारत की सिंधु जल संधि पर निर्णय को निशाना बनाया। शरीफ ने गाजा में हुए अत्याचारों को याद दिलाते हुए कहा कि भारत भी अब 'पानी को हथियार' बना रहा है।
इस बयान में साफ तौर पर एक रणनीतिक चाल नजर आई, जिसका मकसद सिंधु जल समझौते को लेकर भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदिग्ध बनाना था। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि भारत ने यह निर्णय क्यों लिया और इस समझौते को स्थगित करने की मजबूरी क्या थी।
क्या है सिंधु जल संधि और क्यों हुआ विरोध?
सिंधु जल समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इसके तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलज) का अधिकार रखा जबकि तीन पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चिनाब) पाकिस्तान के लिए छोड़ीं।
भारत ने दशकों तक इस समझौते का पूरी ईमानदारी से पालन किया। लेकिन उरी और पुलवामा जैसे आतंकी हमलों के बाद भारत ने इसकी समीक्षा शुरू की। और हाल ही में पाकिस्तान की लगातार उकसाने वाली गतिविधियों को देखते हुए भारत ने इसे "अस्थायी रूप से स्थगित" करने का फैसला किया।
गाजा से सिंधु जोड़ना: एक प्रोपेगेंडा या रणनीति?
शरीफ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब गाजा पट्टी फिर से हिंसा की आग में झुलस रही है। इजरायल की कार्रवाई के खिलाफ वैश्विक सहानुभूति बटोरते हुए पाकिस्तान ने इस पीड़ा को भारत के साथ जोड़ने की कोशिश की।
यह कूटनीति कम और एक प्रोपेगेंडा ज्यादा लगता है, क्योंकि शरीफ ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने की ठोस वजहों को नजरअंदाज किया। उन्होंने इस संवेदनशील मसले को गाजा की पीड़ा के सहारे एक अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति हथियार बना लिया।
शरीफ की रणनीति कितनी सफल?
इस बयान से पाकिस्तान एक साथ दो मोर्चों पर खेल रहा है—
- भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचाना
- गाजा के बहाने मुस्लिम देशों की एकजुटता को भुनाना
लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तथ्यों की अनदेखी ज्यादा देर तक नहीं चलती। भारत का रुख स्पष्ट है—आतंक के समर्थन पर जवाबदेही तय होनी चाहिए।
क्या पानी भी अब राजनीति का मोहरा बन गया है?
गाजा में खून बहा, पाकिस्तान में बयान बहा, और भारत को दुनिया के सामने कठघरे में खड़ा करने की साजिश हो गई। सिंधु जल संधि एक संवेदनशील मुद्दा है, लेकिन शरीफ की चालबाज़ी इसे भटका सकती है।
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