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सुप्रीम कोर्ट में 'धनुष-बाण' की जंग : उद्धव गुट की याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई तय! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।चुनाव चिन्ह विवाद में फंसी शिवसेना (UBT) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी उम्मीद है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर 14 जुलाई को अहम सुनवाई होगी। क्या दो साल से लंबित इस मामले में कोई अंतरिम राहत मिलेगी, जिससे आगामी चुनावों में उद्धव गुट को परेशानी न हो?
महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना का चुनाव चिन्ह 'धनुष-बाण' हमेशा से एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। लेकिन जब से पार्टी दो धड़ों में बंटी है – एक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में और दूसरा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ – तब से यह चिन्ह विवादों के घेरे में है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, जहां उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें 'धनुष-बाण' शिंदे गुट को दे दिया गया था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते हुए 'धनुष-बाण' का चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया था। इस फैसले के बाद उद्धव गुट को 'मशाल' का अंतरिम चुनाव चिन्ह दिया गया, जिससे उन्हें काफी निराशा हुई। उद्धव गुट का तर्क है कि चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव चिन्ह में बदलाव नहीं किया जा सकता। उनका यह भी कहना है कि यह विवाद पिछले दो साल से लंबित है और इससे उनकी चुनावी तैयारियों पर असर पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी मांग है कि इस लंबित विवाद पर कोई अंतरिम व्यवस्था की जाए, ताकि वे आगामी चुनावों में बिना किसी बाधा के उतर सकें।
The Supreme Court hears a plea by Shiv Sena (UBT) seeking directions against the decision of the Election Commission regarding the party’s symbol dispute between two factions.
— ANI (@ANI) July 2, 2025
Counsel appearing for Shiv Sena (UBT) faction stated that once elections will be notified in the… pic.twitter.com/Tu0NjBn4QM
उद्धव गुट की प्रमुख दलीलें
- चुनाव चिन्ह को लेकर दो साल से विवाद लंबित है।
- चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव चिन्ह नहीं बदला जा सकता।
- आगामी चुनावों को देखते हुए अंतरिम व्यवस्था की जाए।
- चुनाव आयोग का फैसला मनमाना है।
सुप्रीम कोर्ट से उम्मीदें: अंतरिम राहत संभव?
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव गुट की दलीलें सुनीं और मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई, 2025 की तारीख तय की है। यह तारीख उद्धव गुट के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन सुप्रीम कोर्ट कोई अंतरिम निर्देश जारी कर सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट उद्धव गुट के पक्ष में कोई अंतरिम राहत देता है, तो यह उनके लिए बड़ी जीत होगी। इससे उन्हें आगामी चुनावों में अपनी पहचान बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह भी देखना होगा कि शिंदे गुट इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है।
यह मामला सिर्फ चुनाव चिन्ह का नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना की विरासत और भविष्य की लड़ाई का भी है। दोनों ही गुट शिवसेना के असली वारिस होने का दावा करते हैं, और चुनाव चिन्ह 'धनुष-बाण' इसी दावे का प्रतीक है। इस विवाद का असर महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता पर भी पड़ सकता है।
क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के पास अंतरिम आदेश जारी करने का अधिकार है। वे परिस्थितियों को देखते हुए दोनों पक्षों के हितों को संतुलित करने वाला कोई निर्देश दे सकते हैं। यह हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट उद्धव गुट को अस्थायी रूप से 'धनुष-बाण' का उपयोग करने की अनुमति दे, या फिर कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था करे। हालांकि, अंतिम फैसला तो सुनवाई के बाद ही आएगा।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
सुप्रीम कोर्ट में इस सुनवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी हलचल है। सभी की निगाहें 14 जुलाई पर टिकी हैं। अगर उद्धव गुट को अंतरिम राहत मिलती है, तो इससे उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और वे चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। वहीं, शिंदे गुट के लिए यह एक झटका होगा। इस विवाद का असर भविष्य के चुनावों पर भी पड़ सकता है, खासकर स्थानीय निकाय चुनावों पर जहां चुनाव चिन्ह का महत्व और भी बढ़ जाता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस जटिल मामले में क्या रुख अपनाता है। क्या यह सिर्फ एक चुनाव चिन्ह का मामला है, या फिर यह भारतीय राजनीति में दल-बदल और विभाजन के बढ़ते चलन को भी रेखांकित करता है? आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा।