वाईबीएन नेटवर्क।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत केंद्र सरकार ने किसानों को आर्थिक सहायता देने का लक्ष्य रखा था, लेकिन हाल ही में खबर आई है कि 1.86 करोड़ किसान इस योजना से बाहर हो गए हैं। इससे उन किसानों को बड़ा झटका लगा है। इसके पीछे किसानों का बैंक खाता आधार से लिंक ना होना और कुछ तकनीकी कारण बताए जा रहे हैं। सरकार ने ये फैसला योजना की 12 वीं किस्त जारी करने से पहले लिया है। इतनी संख्या में किसानों का इस योजना से बाहर होना बड़ी खबर मानी जा रही है। यह खबर किसानों और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस योजना के तहत किसानों को 2000 रुपये की तीन किस्तों में सालाना सहायता दी जाती है।
किसानों के बाहर होने का कारण
अवैध लाभार्थियों का पहचान होना: सरकार ने यह पाया कि कुछ किसान, जो इस योजना के पात्र नहीं थे, उन्होंने इसमें आवेदन कर लिया था और उन्हें वित्तीय सहायता मिल रही थी। इन अवैध लाभार्थियों की पहचान की गई है, और उन्हें बाहर किया गया है।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी: कई किसानों ने अपने रजिस्ट्रेशन के दौरान गलत जानकारी दी थी या उनका डेटा अपडेट नहीं किया गया था, जिससे उनकी पात्रता को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। सरकार ने इन गड़बड़ियों को सुधारने का प्रयास किया है, लेकिन कुछ किसान पात्रता से बाहर हो गए हैं।
आधार लिंकिंग और बैंक अकाउंट्स का मुद्दा: पीएम किसान योजना के लिए आधार कार्ड और बैंक अकाउंट की जानकारी अनिवार्य है। कई किसानों के आधार या बैंक खातों के विवरण में गड़बड़ियां पाई गईं, जिसके कारण वे योजना से बाहर हो गए।
नौकरी पेशा किसानों का बाहर होना: जो किसान सरकारी कर्मचारी हैं या अन्य स्थिर आय वाले हैं, उन्हें इस योजना से बाहर कर दिया गया है क्योंकि यह योजना केवल खेती करने वाले छोटे किसानों के लिए थी।
क्या हैं आगे की योजनाएं?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी किसान को लगता है कि उन्हें गलत तरीके से बाहर किया गया है, तो वे पुनः आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकार इस योजना के तहत पंजीकरण को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए कदम उठा रही है। कुल मिलाकर, 1.86 करोड़ किसानों का पीएम किसान सम्मान निधि योजना से बाहर होना एक बड़ी संख्या है, लेकिन सरकार इसके लिए उपाय भी कर रही है ताकि सही और योग्य किसानों को ही इसका लाभ मिले।
कहाँ कितने किसान इस योजना से हुए बाहर
उत्तर प्रदेश: 58 लाख
पंजाब: 14 लाख 88 हजार 760
केरल: 14 लाख 59 हजार 806
राजस्थान: 14 लाख 29 हजार 402
ओडिशा: 11 लाख 51 हजार 262
महाराष्ट्र: 10 लाख 87 हजार 791