Advertisment

'मुस्लिम इंडिया' का सपना छोड़ें कथित बुद्धिजीवी, संविधान सर्वोपरि है: विहिप

विहिप के अखिल भारतीय प्रचार प्रसार प्रमुख विजय शंकर तिवारी ने बयान जारी कर कहा कि हाल ही में कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों द्वारा देश के मुस्लिम सांसदों को लिखे गए पत्र में संविधान के विरुद्ध भावनाएं भड़काने का प्रयास किया गया है।

author-image
Jyoti Yadav
'मुस्लिम इंडिया' का सपना छोड़ें कथित बुद्धिजीवी, संविधान सर्वोपरि है विश्व हिंदू परिषद
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क

Advertisment

वक्फ अधिनियम को लेकर देश में मचे विवाद के बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने कुछ मुस्लिम नेताओं और बुद्धिजीवियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विहिप के अनुसार, वक्फ अधिनियम का विरोध कर कुछ संगठन देश में हिंसा और उपद्रव को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं। परिषद का कहना है कि यह एक सुनियोजित प्रयास है, जिसके पीछे भारत को एक बार फिर मजहबी आधार पर विभाजित करने की सोच काम कर रही है। 

संविधान के विरुद्ध भावनाएं भड़काने का प्रयास

विहिप के अखिल भारतीय प्रचार प्रसार प्रमुख विजय शंकर तिवारी ने बयान जारी कर कहा कि हाल ही में कुछ मुस्लिम बुद्धिजीवियों द्वारा देश के मुस्लिम सांसदों को लिखे गए पत्र में संविधान के विरुद्ध भावनाएं भड़काने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा, “इस पत्र के माध्यम से तथाकथित 'मुस्लिम इंडिया' बनाने का दिवास्वप्न देखने वालों की मानसिकता उजागर हुई है। यह वैसी ही सोच है जिसे पहले सैयद शहाबुद्दीन जैसे कट्टरपंथी नेताओं ने बढ़ावा दिया था।”

Advertisment

पत्र में मुस्लिम समाज के ‘गरिमापूर्ण अस्तित्व’ और 'सामूहिक संघर्ष' की बात की गई है। साथ ही संसद के भीतर और बाहर प्रदर्शन और बहिष्कार की अपील की गई है ताकि मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके।

कट्टरता को बढ़ावा देने वालों को बताया जिम्मेदार

विहिप प्रवक्ता ने चिंता जताई कि इस पत्र में केवल मुसलमानों के अधिकारों की बात की गई है, जबकि भारत के अन्य अल्पसंख्यकों की कोई चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस पत्र पर केवल कुछ कट्टरपंथी नेताओं के ही नहीं, बल्कि आईएएस, आईपीएस, सैन्य अधिकारी, विश्वविद्यालयों के कुलपति, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पत्रकारों जैसे जिम्मेदार पदों पर रहे लोगों के हस्ताक्षर भी हैं।"

Advertisment

देश से बड़ा कोई मजहब नहीं – विहिप

विहिप ने चेतावनी दी कि यदि इस तरह के उकसावे के परिणामस्वरूप देश के किसी हिस्से में हिंसा या उपद्रव होता है, तो इसकी जिम्मेदारी उन सभी लोगों की होगी जिन्होंने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, “भारत एक पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है और यहां संविधान से ऊपर कोई नहीं है। मजहब को संविधान से ऊपर रखने की मानसिकता देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है।”

केंद्र सरकार और न्यायपालिका से मांग

Advertisment

विश्व हिंदू परिषद ने केंद्र सरकार और न्यायपालिका से इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने की मांग की है। परिषद ने कहा कि संविधान की मर्यादा को लांघने वाले किसी भी संगठन या समूह को छूट नहीं दी जानी चाहिए।

Advertisment
Advertisment