नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: भारत की अंतरिक्ष विज्ञान यात्रा 18 मई को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ेगी, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने भरोसेमंद प्रक्षेपण यान पीएसएलवी (PSLV) के ज़रिए एक अत्याधुनिक पृथ्वी इमेजिंग उपग्रह EOS-09 को कक्षा में स्थापित करेगा। यह प्रक्षेपण रविवार सुबह 5:59 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया जाएगा। इस खास मौके पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल भी उपस्थित रहेगा। यह पहली बार होगा जब इतने बड़े स्तर पर जनप्रतिनिधि भारत की अंतरिक्ष क्षमता का प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे। दो दर्जन से अधिक सांसदों के इस आयोजन में शामिल होने की संभावना है।
ईओएस-09: अंतरिक्ष से निगरानी की नई शक्ति
करीब 1,710 किलोग्राम वजनी यह उपग्रह C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) से लैस है, जो इसे हर मौसम और दिन-रात में धरती की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने की क्षमता प्रदान करता है। इसका उपयोग कृषि और वन निगरानी, आपदा प्रबंधन, जल संसाधन विश्लेषण, शहरी नियोजन, और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कई अहम क्षेत्रों में किया जाएगा। ईओएस-09 उपग्रह भारत की पृथ्वी अवलोकन उपग्रह श्रृंखला का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा, जिससे देश के विशाल और विविध भूगोल की निगरानी बेहतर ढंग से की जा सकेगी। यह उपग्रह विशेष रूप से उन इलाकों में निगरानी करेगा, जहां लगातार बदलते मौसम, बादल या अंधकार सामान्य कैमरों के लिए चुनौती पेश करते हैं।
सांसदों का तिरुपति विज्ञान संस्थान दौरा
प्रक्षेपण कार्यक्रम के बाद सांसदों का प्रतिनिधिमंडल तिरुपति स्थित एक प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान का दौरा करेगा। इस दौरे का उद्देश्य जनप्रतिनिधियों को भारत की वैज्ञानिक शोध गतिविधियों और नवाचारों से प्रत्यक्ष रूप से परिचित कराना है, जिससे नीतिगत निर्णयों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जा सके। यह उपग्रह प्रक्षेपण न केवल भारत की तकनीकी और अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि यह भविष्य की रणनीतिक और नागरिक आवश्यकताओं की पूर्ति में भी एक बड़ा कदम है। इसका प्रभाव नीति-निर्माण, आपदा प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपायों तक फैलेगा। ISRO का यह मिशन भारत की वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में एक और ठोस उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।