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"नौकरी गई - अब सड़क पर संघर्ष! हज़ारों SSC शिक्षक हावड़ा में क्यों उग्र हुए?"

पश्चिम बंगाल में हज़ारों SSC शिक्षकों ने नौकरी से हटाए जाने के विरोध में 'नबन्नो अभियान' के तहत हावड़ा से ज़ोरदार मार्च निकाला। सुप्रीम कोर्ट के भ्रष्टाचार से जुड़ी नियुक्ति रद्द करने के फ़ैसले के बाद ये शिक्षक बेरोज़गार हो गए हैं।

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Ajit Kumar Pandey

"नौकरी गई, अब सड़क पर संघर्ष! हज़ारों SSC शिक्षक हावड़ा में क्यों उग्र हुए?" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आज सोमवार 14 जुलाई 2025 को नौकरी खो चुके हज़ारों SSC शिक्षकों ने हावड़ा में बंगाल सचिवालय की ओर 'नबन्नो अभियान' के तहत ज़ोरदार विरोध मार्च निकाला। सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले के बाद ये सभी अपनी नौकरी से हाथ धो बैठे थे, जिसमें पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया गया था। अब ये शिक्षक इंसाफ़ की आस में सड़कों पर हैं।

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पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से SSC शिक्षकों का आक्रोश सड़कों पर नज़र आ रहा है। 'जोग्या शिक्षक शिक्षा अधिकार मंच' के बैनर तले हावड़ा की सड़कों पर निकले इन हज़ारों बेरोज़गार शिक्षकों का दर्द उनकी आंखों में साफ़ दिख रहा था। इनके हाथों में तख्तियां थीं, जुबान पर न्याय की गुहार थी और दिल में अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता। यह विरोध मार्च हावड़ा से शुरू होकर राज्य सचिवालय 'नबन्नो' तक पहुंचने की कोशिश कर रहा था, जहां ये शिक्षक सरकार से अपने लिए समाधान की मांग कर रहे थे।

एक झटके में छिनी नौकरी: सुप्रीम कोर्ट का 'वो' फ़ैसला

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शिक्षकों का यह प्रदर्शन कोई अचानक नहीं है। इसकी जड़ में है सुप्रीम कोर्ट का वो ऐतिहासिक फ़ैसला, जिसने हज़ारों परिवारों की रातों की नींद छीन ली। दरअसल, कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में हुई शिक्षक नियुक्तियों को लेकर एक बड़ा फ़ैसला सुनाया था। कोर्ट ने पाया कि पूरी नियुक्ति प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ है। इसी के चलते, कोर्ट ने इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हज़ारों SSC शिक्षकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। ये वो शिक्षक थे, जिन्होंने कई साल तक मेहनत की, परीक्षाएं दीं और नौकरी पाई, लेकिन एक झटके में सब कुछ खत्म हो गया।

सड़कों पर ज़िंदगी: क्या सिर्फ़ भ्रष्टाचार की बलि चढ़े शिक्षक?

सवाल यह उठता है कि क्या इन बेरोज़गार शिक्षकों को सिर्फ़ भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया है? क्या इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी? 'जोग्या शिक्षक शिक्षा अधिकार मंच' का दावा है कि उनके सदस्य पूरी तरह से योग्य और ईमानदारी से नियुक्त हुए थे, लेकिन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। कई शिक्षक तो ऐसे हैं जिन्होंने सालों तक सेवाएं दीं और अब उनके सामने घर चलाने का संकट खड़ा हो गया है। बच्चों की पढ़ाई, घर का किराया, बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल – सब कुछ अब दांव पर है।

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'नबन्नो अभियान' ने ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। इन शिक्षकों की मांग है कि सरकार उन्हें फिर से बहाल करे या कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे। उनका कहना है कि वे बिना किसी गलती के दंडित हो रहे हैं। यह सिर्फ़ नौकरी का मामला नहीं है, बल्कि लाखों लोगों की उम्मीदों और सपनों का सवाल है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में ये SSC शिक्षक अब एक बड़ा मुद्दा बन चुके हैं।

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