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''सुदर्शन चक्र'' ने हवा में ही मार गिराए दुश्मन के सैकड़ों ''दैत्य'', जान लें भारत के इन रक्षा कवचों के बारे में

पाकिस्तान ने रिहायशी इलाकों पर हमला करने की साजिश के तहत अपने सैकड़ों 'दैत्यरूपी' ड्रोन भेजे थे, लेकिन भारतीय ''सुदर्शन चक्र'' ने इन दैत्यों का हवा में ही संहार कर दिया।

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Jyoti Yadav
''Sudarshan Chakra'' killed hundreds of enemy demons in the air, know about these defense shields of India
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत के लिए पिछले कई दशकों से दैत्य बनकर नासुर बन चुके पाकिस्तान के अंत का समय शायद निकट आ गया है। भारतीय सेनाओं ने गुरुवार रात पाकिस्तान के 18 बड़े शहरों में आखिरकार जिन अस्त्रों का उपयोग किया, उससे पाकिस्तान की विनाशलीला की फुटेज अब धीरे धीरे सामने आने लगी हैं। हालांकि पाकिस्तान ने भी भारत के रिहायशी इलाकों पर हमला करने की साजिश के तहत अपने सैकड़ों 'दैत्यरूपी' ड्रोन भेजे थे, लेकिन भारतीय ''सुदर्शन चक्र'' ने इन दैत्यों का हवा में ही संहार कर दिया। तो चलिए जानते हैं भारतीय सेना के उन अस्त्रों के बारे में, जिसके आगे पाकिस्तान के फुस्स तीरों का अस्तित्व ही नहीं रहा।

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सुदर्शन चक्र यानी S-400 (सरफेस टू एयर)

चलिए सबसे पहले बात करते हैं भारत के सुदर्शन चक्र की। यानी भारतीय सेना के सबसे अहम हथियारों में से एक S-400 के बारे में । असल में यह एक एयर डिफेंस सिस्टम है, जो सतह पर रहते हुए आसमान से आने वाले किसी भी तरह से हथियार (ड्रोन , मिसाइल या लड़ाकू विमान) को आसमान में ही मार गिराता है। गुरुवार को जिस नापाक साजिश के तहत पाकिस्तान ने राजस्थान-पंजाब-गुजरात - जम्मू कश्मीर के रिहायशी इलाकों में सैकड़ों ड्रोन से हमले की साजिश रची, उन्हें इस सुदर्शन चक्र ने ही हवा में मार गिराया। 

चलिए अब जानते हैं इस एयर डिफेंस सिस्टम की खूबियों के बारे में-

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  • असल में यह डिफेंस सिस्टम भारत ने वर्ष 2018 में रूस से खरीदा था। इसे लेने पर अमेरिका समेत कुछ देशों ने कड़ी आपत्ति जताई थी, लेकिन भारत सरकार ने अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखते हुए इन देशों की नाराजगी की परवाह नहीं की । ऐसे भारतीय सैन्य शक्ति का हिस्सा बनी ये S-400 मिसाइल। 
  • आपको बता दें कि इस मिसाइल की खूबी ये है कि यह 40 किलोमीटर दूर किसी ड्रोन- मिसाइल को हवा में उड़ाने के साथ ही 400 किमी दूर तक मौजूद ऑबजेक्ट को हवा में ही मार गिरा सकती है। 
  •  अगर बात इसके टारगेट की करें तो इसकी रेंज 600 किमी तक बढ़ जाती है। इसकी स्पीड किसी प्रचंड अस्त्र से कम नहीं। इससे निकलने वाली मिसाइल की गति 4.8किमी/सेकंड की है।
  • भारत को रूस से ऐसे तीन रेजिमेंट मिले थे। इस एक रेजिमेंट में आठ लॉंचर होते हैं और एक लॉंचर से 4 मिसाइलें दागी जा सकती हैं। ऐसे में एक रेजिमेंट से एक समय में 32 मिसाइलों को दागा जा सकता है। ये आसमान में नजर आने वाली और घात लगाकर आने वाली मिसाइलों - ड्रोन के कुछ ही क्षणों में आसमान में ही परखच्चे उड़ा सकता है। 
  • विशेष बात यह है कि यह न्यूक्लियर मिसाइलों को भी हवा में ही मारकर गिरा सकता है। 

पेचोरा मिसाइल

बता दें कि पेचोरा वहीं मिसाइल हैं , जिन्होंने पाकिस्तान की ओर से होने वाले हमले को नाकाम किया है। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है । S-125 पेचोरा सोवियत निर्मित मिसाइल सिस्टम है। यह सतह से हवा में वार करने में सक्षम है। भारतीय वायुसेना पिछले कई दशकों से इस सिस्टम का इस्तेमाल करती आई है। यह सिस्टम मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्यों ड्रोन, फाइटर जेट्स और क्रूज मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम है। ये मिसाइलें 35 किमी तक की दूरी के टारगेट को अपना निशाना बना लेती हैं। इसके साथ ही .02 किमी से 25 किमी ऊंचे ऑब्जेक्ट को भी यह अपना निशाना बना सकती है । 

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हार्पी ड्रोन 

चलिए अब बात करते हैं इससे इतर दूसरे ऐसे अस्त्र के बारे में जो अपने आप में अनोखा है। बात करते हैं हार्पी ड्रोन की। यह वो ड्रोन है, जिसकी मदद से हमने पाकिस्तान के रडार सिस्टम को नेस्तनाबूद कर दिया। 

  • भारत ने यह ड्रोन इजराइल से लिया है। 
  • ये ड्रोन हवा में मंडराते हुए पैनी नजर रखता है और आदेश मिलते ही अपने टारगेट को ध्वस्त कर देता है। 
  • यह करीब 9 घंटे तक हवा में रहते हुए न केवल निगरानी कर सकता है बल्कि1 हजार किमी तक की रेंज में जाकर हमला कर सकता है।
  •  ऐसे में इसे दुश्मन के काफी करीब जाकर उसपर हमला करने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है।
  •  इस ड्रोन में सीसीडी कैमरा लगा है और खास बात यह है कि इसमें रडार को भी चकमा देने की तकनीक लगी हुई है। 
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CUAS गन सिस्टम

अब बात करते हैं उस भारतीय गन सिस्टम की, जिसने निचले स्तर पर उड़ रहे पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया। यह है CUAS गन सिस्टम। ये सिस्टम और ऑप्टिकल सेंसर और रडार की मदद से दुश्मन देश के ड्रोन को डिटेक्ट करता है और फिर उसे ड्रोन को मार गिराने का काम करता है।इसे खास तौर पर मानवरहित टोही विमानों को मार गिराने के लिए ही डिजाइन किया गया है। यह बहुत तेजी से दुश्मन देश के ड्रोन को खोजते हैं और उन्हें मार गिराने में बहुत ही कम समय लेते हैं। पिछले कुछ सालों में भारत ने खुद इस प्रणाली को तैयार किया है और अब भारतीय बॉर्डरों पर यह अपनी उपयोगिता सिद्ध कर रहा है।

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