नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुए भयावह IED ब्लास्ट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहीद हो गए हैं। इस कायराना हमले से पूरा प्रदेश स्तब्ध है। आज सोमवार 9 जून 2025 को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस शहादत को नमन करते हुए नक्सलियों की कायराना हरकत की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। घायल जवानों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर लाया जा रहा है। यह घटना नक्सलियों की बौखलाहट दर्शाती है, जो अपनी अंतिम साँसें गिन रहे हैं।
बस्तर... यह नाम सुनते ही अक्सर हरे-भरे जंगल, आदिवासी संस्कृति और प्रकृति की गोद का चित्र सामने आता है। लेकिन पिछले कुछ दशकों से इस खूबसूरत इलाके का एक और स्याह पहलू है - नक्सलवाद। इसी बस्तर के सुकमा जिले में एक बार फिर खून बहा, जब नक्सलियों द्वारा बिछाए गए एक खूनी IED ब्लास्ट ने एक जांबाज़ अधिकारी को हमसे छीन लिया। सुकमा के कोंटा में हुए इस भीषण विस्फोट में हमारे एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) शहीद हो गए, जिससे पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है।
यह खबर जैसे ही राजधानी रायपुर पहुंची, सब सन्न रह गए। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने तत्काल अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए इस दुखद घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा, "आज सोमवार 9 जून 2025 को सुकमा जिले के कोंटा में सुकमा जिले के हमारे एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक IED ब्लास्ट में शहीद हो गए। हम उनकी शहादत को नमन करते हैं और उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।" ये शब्द सिर्फ सरकारी बयान नहीं थे, बल्कि एक मुख्यमंत्री की तरफ से अपने राज्य के एक बहादुर बेटे के खोने का दर्द था।
शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी: नक्सलियों की बौखलाहट का नतीजा
अक्सर जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो मन में एक सवाल आता है - आखिर कब तक? कब तक हमारे जवान यूं ही शहीद होते रहेंगे? मुख्यमंत्री साय ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते हुए कहा, "उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। नक्सली अंतिम सांसें ले रहे हैं और इसी बौखलाहट में वे ऐसे हमले कर रहे हैं।" ये शब्द सिर्फ सांत्वना नहीं, बल्कि एक दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं। यह साफ संदेश है कि सरकार नक्सलियों के आगे घुटने टेकने वाली नहीं है, बल्कि इस लड़ाई को निर्णायक अंजाम तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
नक्सलियों की यह कायराना हरकत उनकी बढ़ती हताशा और कमजोर पड़ती पकड़ को दर्शाती है। सुरक्षाबलों की लगातार बढ़ती पैठ और सरकार के विकास कार्यों से नक्सल प्रभावित इलाकों में लोगों का भरोसा लौट रहा है। ऐसे में हताश नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और डर फैलाने के लिए ऐसे जघन्य हमलों का सहारा ले रहे हैं। लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि अब यह देश, यह छत्तीसगढ़ जाग चुका है। हमारे जवानों की शहादत हमें और मजबूत बनाएगी, कमजोर नहीं।
घायल जवानों का बेहतर इलाज प्राथमिकता
इस हमले में कुछ अन्य जवान भी घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि घायल जवानों को तुरंत रायपुर लाने की व्यवस्था की जा रही है और उनका "अच्छे से अच्छा इलाज करवाया जाएगा।" यह एक राहत भरी खबर है कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। हमारी दुआएं उनके साथ हैं, ताकि वे जल्द से जल्द स्वस्थ होकर वापस अपने परिवार के बीच लौट सकें।
इस दुखद घड़ी में, हम सभी को शहीद ASP के परिवार के साथ खड़े रहना चाहिए। उनके दर्द को साझा करना चाहिए और उन्हें यह अहसास दिलाना चाहिए कि पूरा देश उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने भी उनके शोक संतप्त परिवार के लिए प्रार्थना की और भगवान से उन्हें इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति प्रदान करने की कामना की।
क्या है IED और क्यों हैं ये इतने खतरनाक?
IED यानी इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (Improvised Explosive Device) एक ऐसा विस्फोटक उपकरण है जिसे पारंपरिक सैन्य हथियारों के अलावा अन्य माध्यमों से बनाया जाता है। नक्सली अक्सर इन IEDs का इस्तेमाल सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए करते हैं। ये अक्सर सड़क किनारे, पगडंडियों पर या ऐसी जगहों पर बिछाए जाते हैं जहां से सुरक्षाबलों का गुजरना तय होता है। इन बमों को बनाना और बिछाना आसान होता है, लेकिन इनका पता लगाना बेहद मुश्किल और खतरनाक। यही वजह है कि IED ब्लास्ट हमेशा से सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती रहे हैं।
आगे क्या? बस्तर में शांति की राह
बस्तर में शांति स्थापित करना एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है। सिर्फ सैन्य कार्रवाई से ही नक्सलवाद का खात्मा संभव नहीं है। विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जब तक बस्तर के सुदूर इलाकों तक विकास की किरण नहीं पहुंचेगी, तब तक नक्सलवाद की जड़ें पूरी तरह से नहीं उखड़ेंगी।
यह घटना हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि हमारे जवान कितनी मुश्किल परिस्थितियों में हमारी सुरक्षा कर रहे हैं। वे अपने घरों, परिवारों से दूर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं। उनकी शहादत हमें प्रेरणा देती है कि हम सभी मिलकर इस बुराई के खिलाफ लड़ें और बस्तर को शांति और खुशहाली की राह पर ले जाएं।
क्या आप इस शहादत से सहमत हैं और मानते हैं कि नक्सलियों की बौखलाहट ही ऐसे हमलों की वजह है? अपनी राय कमेंट करें।
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