नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । छत्तीसगढ़ के सुकमा में कोंटा-एर्राबोरा मार्ग पर हुए एक भीषण आईईडी धमाके में कोंटा संभाग के एएसपी आकाश राव गिरिपंजे शहीद हो गए हैं। इस कायराना हमले में कई अन्य जवान भी जख्मी हुए हैं। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला, जो हमेशा से नक्सलियों की काली छाया में रहा है, एक बार फिर कायराना हमले का शिकार हुआ है।
सोमवार 9 जून 2025 को कोंटा-एर्राबोरा मार्ग पर डोंड्रा के पास हुए एक भीषण प्रेशर आईईडी ब्लास्ट ने पूरे इलाके को दहला दिया है। इस दिल दहला देने वाले धमाके में कोंटा संभाग के बहादुर एएसपी आकाश राव गिरिपंजे शहीद हो गए हैं।
यह खबर जैसे ही सामने आई, पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। शुरुआती रिपोर्ट्स में कुछ और भी भयावह खबरें सामने आ रही थीं। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन, बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि एएसपी आकाश राव गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस हमले में उनके साथ कुछ अन्य अधिकारी और जवान भी घायल हुए हैं, जिनकी संख्या और स्थिति के बारे में अभी विस्तृत जानकारी का इंतजार है।
यह घटना छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों पर नक्सलियों के बढ़ते हमलों की एक और दुखद कड़ी है। सुकमा जिला अपनी दुर्गम भौगोलिक स्थिति और घने जंगलों के कारण नक्सलियों का गढ़ रहा है। यहां आए दिन सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ और हमले होते रहते हैं। लेकिन इस तरह से अचानक हुए आईईडी धमाके ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धमाके की भयावहता और घायल जवानों का हाल
स्थानीय सूत्रों और पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, धमाका इतना जबरदस्त था कि उसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई दी। सड़क पर गहरा गड्ढा बन गया और आसपास का इलाका धुएं और मलबे से भर गया। तुरंत ही राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। घायल जवानों को मौके से निकालकर नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। एएसपी आकाश राव की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए जल्द से जल्द बड़े अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही है।
यह हमला बताता है कि नक्सली अभी भी इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए हुए हैं और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इस तरह के हमलों से न केवल सुरक्षाबलों का मनोबल प्रभावित होता है, बल्कि आम जनता में भी डर और दहशत का माहौल पैदा होता है।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का दुस्साहस
पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में कमी देखी जा रही थी, जिससे यह उम्मीद जगी थी कि स्थिति में सुधार आ रहा है। लेकिन आज का यह हमला एक बार फिर यह साबित करता है कि नक्सली अपनी रणनीति और मंसूबों को बदलने में माहिर हैं। वे घात लगाकर हमला करने की फिराक में रहते हैं और सुरक्षाबलों की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।
सरकार और प्रशासन को इस तरह के हमलों को रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाने होंगे। सिर्फ जवाबी कार्रवाई से काम नहीं चलेगा, बल्कि नक्सलियों के खात्मे के लिए एक समग्र और प्रभावी रणनीति बनानी होगी। इसमें खुफिया जानकारी जुटाना, नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्य तेज करना, और स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना शामिल है।
इस दुखद घटना ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या को सुर्खियों में ला दिया है। हमें अपने उन वीर जवानों को नहीं भूलना चाहिए जो देश की रक्षा करते हुए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।
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