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डॉग लवर्स नोट कर लें सुप्रीम कोर्ट की ये 7 बातें, कहीं गायब न हो जाए स्माइल! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने फैसले में बदलाव किया है, जिससे 'डॉग प्रेमी क्लब' में जश्न है। वहीं डॉग बाइट पीड़ितों की चिंताएं बढ़ गई हैं। नए आदेश के तहत अब सिर्फ रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा, जबकि बाकियों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद वापस सड़कों पर छोड़ दिया जाएगा। यह फैसला देश भर में लागू होगा, जिससे इस संवेदनशील मुद्दे पर एक नई बहस छिड़ गई है।
यह खबर इस वक्त देश के हर दूसरे व्हाट्सएप ग्रुप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ट्रेंड कर रही है। यह एक ऐसा फैसला है जिसने आवारा कुत्तों पर चल रही बहस को एक नया मोड़ दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने रुख को बदलते हुए एक ऐसा आदेश दिया है, जो कुछ लोगों के लिए राहत है, तो कुछ के लिए नई मुसीबत भी है। यह मुद्दा जितना संवेदनशील है, उतना ही उलझा हुआ भी है। एक तरफ वो लोग हैं जो इन बेजुबानों की आजादी के लिए लड़ते हैं, तो दूसरी तरफ वो हैं जो इनके हमलों से डरे हुए हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले ने डॉग लवर्स को खुश कर दिया है। 11 अगस्त को अदालत ने दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने का निर्देश दिया था। लेकिन, अब यह फैसला 22 अगस्त 2025 को पलट दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि अब आवारा कुत्ते शेल्टर होम में नहीं जाएंगे। पहले नसबंदी और टीकाकरण भी शेल्टर होम में ही होना था, लेकिन अब इन प्रक्रियाओं के बाद कुत्तों को वापस वहीं छोड़ दिया जाएगा जहां से उन्हें उठाया गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आदेश अब सिर्फ दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में लागू होगा।
क्या हैं सुप्रीम कोर्ट के 7 खास निर्देश?
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से जुड़े मामलों पर आंशिक रोक लगाते हुए 7 महत्वपूर्ण बातें कही हैं, जिन्हें हर डॉग लवर को ध्यान में रखना चाहिए।
सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाना मना: अब कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना नहीं खिला सकेगा।
हर वार्ड में 'फीडिंग ज़ोन': हर वार्ड में आवारा कुत्तों के लिए विशेष फीडिंग ज़ोन बनाए जाएंगे। सिर्फ इन्हीं निर्धारित जगहों पर कुत्तों को खाना खिलाया जा सकेगा।
नियमों का उल्लंघन करने पर शिकायत: इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है।
गोद लेने का विकल्प: 'पशु प्रेमी' आवारा कुत्तों को गोद लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
गोद लिए कुत्ते को छोड़ना मना: एक बार गोद लिए गए कुत्ते को दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ा जा सकेगा।
जमा राशि का प्रावधान: अदालत ने याचिका दायर करने वाले NGO को 2 लाख रुपये और डॉग लवर्स को 25 हज़ार रुपये कोर्ट में जमा कराने को कहा है। इस राशि का उपयोग कुत्तों के लिए बुनियादी सुविधाओं के निर्माण में होगा।
सिर्फ 'खतरनाक' कुत्ते ही रहेंगे शेल्टर होम में: अब सिर्फ रेबीज से संक्रमित, गंभीर रूप से बीमार या आक्रामक कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा। बाकी सब वापस छोड़ दिए जाएंगे।
'आक्रामक कुत्ते' की परिभाषा क्या होगी?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक और बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: आखिर यह कैसे तय होगा कि कौन सा कुत्ता आक्रामक है और कौन सा नहीं? इसकी परिभाषा कौन तय करेगा? क्या आवारा कुत्तों के बीच से हिंसक कुत्तों की पहचान करना संभव है?
जिन लोगों पर आवारा कुत्तों ने हमला किया है, उनके मन में डर अभी भी बना हुआ है। आए दिन ऐसे कई वीडियो सामने आते हैं, जिनमें कुत्तों का झुंड राह चलते लोगों, बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देता है। क्या ऐसे मामलों में टीकाकरण का तर्क काफी होगा? अगर किसी की जान चली जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
पीड़ितों का सवाल जायज़ है - क्या वैक्सीनेशन के बाद कुत्ता काटना भूल जाएगा? क्या आक्रामक कुत्तों को छांटने से यह समस्या खत्म हो जाएगी? ऐसे ही सवाल फीडिंग ज़ोन को लेकर भी हैं। क्या ये ज़ोन रिहायशी इलाकों से दूर बनाए जाएंगे? और क्या डॉग लवर्स इन नियमों का पालन करेंगे?
डॉग बाइट्स का बढ़ता आंकड़ा
यह समझना जरूरी है कि यह सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय मुद्दा भी है। देश में हर साल लाखों लोग डॉग बाइट्स का शिकार होते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 5 सालों में लगभग 1.6 करोड़ लोग कुत्तों के काटने की घटनाओं का सामना कर चुके हैं। अकेले 2023 में ही 27 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। ये आंकड़े बताते हैं कि समस्या कितनी गंभीर है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला डॉग लवर्स के लिए राहत की बात हो सकती है, लेकिन यह उन लाखों लोगों की चिंताओं को भी बढ़ाता है जो आवारा कुत्तों के हमलों से डरे हुए हैं। यह फैसला जहां जानवरों के अधिकारों की बात करता है, वहीं इंसानों की सुरक्षा का सवाल भी उठाता है। जरूरत है एक ऐसे समाधान की जो दोनों पक्षों को ध्यान में रखे, ताकि इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित रह सकें।
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